लखनऊ : (मानवी मीडिया) गौतमपल्ली थाना क्षेत्र में महिला के अत्मदाह की साजिश पिछले पांच दिन से रची जा रही थी। डीसीपी मध्य रवीना त्यागी ने बताया कि महिला के वकील और अंजलि के बीच दो जुलाई से छह जुलाई के बीच करीब 57 बार फोन पर बात हुई थी। मंगलवार सुबह करीब 8.51 बजे भी महिला ने आखिरी कॉल उन्नाव दारोगा बाग निवासी अधिवक्ता सुनील कुमार को मिलाई थी। दोनों के बीच मोबाइल फोन पर हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग पुलिस को मिली। पुलिस के हवाले से प्रमुख अंश...।
आरोपी वकील- कल वाला काम करो समझ में आ जायेगा, एसओ और सीओ को बस ...(अपशब्द) औकात में आ जायेंगे कि अब बुरा हुआ।
पीड़िता- यही करेंगे पहले जा करके...।
आरोपी वकील- ये काम किया नहीं समझो काम चालू, लाओ कल एफआईआर हम इनका बवाल कर ही दें, इनकी ऐसी की तैसी...
पीड़िता- हम मुख्यमंत्री के यहां न जायें।
आरोपी वकील- नहीं मुख्यमंत्री के यहां जाओ।
पीड़िता- अब तो इसमें कुछ, वो लोग जेल चले गये हैं तो इसमें ऐसा कुछ लिखा तो नहीं है सब इन्ही लोगों के खिलाफ है।
आरोपी वकील- बड़ा मुस्किल काम है, हमारी बात समझ नहीं रही हो. तुम कानून नहीं जानती हो। उन्होंने जो 107/116 चलाया 151 किया है। इसके अन्तर्गत उनको जेल भेजा है तो अब इस मामले में वहां जाना बहुत जरूरी है। इसी समय कल पूरा थाना खाली हो जायेगा, खाली ये जाकर के बताओ कि 151 में इनको जेल भेजा है। हमको भी भेजने के मूड में थे, पुलिस वाले कह रहे थे इनको मिलने मत देना एसडीएम से, समझे, कल सुबह हम लोग आते हैं, तुम ऐसा करो, हमारा इन्तजार न करो तुम निकलो पहले लखनऊ।
पीड़िता - हां हम निलकते हैं, फिर जब हम आ जायें तब आप निकलियेगा।
आरोपी वकील- अपना काम करो लखनऊ में भगवान चाहेंगे तो 12 घंटे के अन्दर सब ठीक हो जायेगा। समझे कल इनको दिखा दो, आदमी।
पीड़िता - बस हमको कल भर खेल लेने दो, इसके बाद देखते हैं क्या होता है।
आरोपी वकील- नहीं भगवान चाहेगें तो कल सब हल हो जायेगा, तुम अर्ली ऑवर में निकलो। वहां पूरी बात बताओ, बस वही काम करो डिब्बे वाला, कह दो साहब अब मालूम हो गया यहां कुछ है नहीं, बस छोटी-छोटी बात के लिए यहां आना पड़ता है, मतलब यह पुलिस, हो सके तो यह कह देना कोतवाल पता नहीं किस बिरादरी का है।
पीड़िता - कोतवाल कुवंर बहादुर सिंह, है तो ठाकुर, ठाकुर ही है।
आरोपी वकील- कल बताना जाके शाम को जब हसबैण्ड चला गया जेल, तो कहा साली चमारिन तुम्हारा दिमाग खराब है, तो हरिजन एक्ट बन जायेगा, और इसका पैसा तुमको अलग से मिलेगा सरकार से।
पीड़िता - फिर तो सब ठीक है।
आरोपी वकील- 70-80 हजार, और यह तुम्हारे पैर की धुवन घुलेंगे।
पीड़िता- यही करेगें, सुबह जैसे कहा है...।
आरोपी वकील- चाहें उनके आवास पर करो, चाहे विधानसभा पर करो, आवास जहां है, वहीं जाओ, वो ज्यादा अच्छा है।
पीड़िता - आवास पर नहीं गये थे, जहां जमा होता है वहीं गये थे।
आरोपी वकील- मुख्यमंत्री वाला अलग होता है. तुम जाओ तुरन्त एक्शन होगा, यह काम जहां तुमने किया, मिट्टी का तेल वाला, डीजल वाला, पेट्रोल वाला, आफत मच जायेगी...आफत। यह जरूर कह देना, बाद में कहा साली चमारिन होश रह नहीं तो तुमको कटवा कर मरवा देंगे, पता भी नहीं चलेगा।
पीड़िता - ठीक है सर, फिर सुबह निकलेगें, तो बतायेगें, जब पहुंच जायेगें वहां।
आरोपी वकील- ठीक-ठीक वहां पहुंचकर अपना काम करना, और सामान यहीं ले लेना।
पीड़िता - जी सर ले लेंगे यहीं।
आरोपी वकील- वो वहां नहीं मिलेगा।
पीड़िता - समझ गये सर।
आरोपी वकील- समझ गये ना।
पीड़िता- हां-हां
आरोपी वकील- डार्क वाला कोई डिब्बा ले लेना, जिसमें दिखाई न पड़े, वो ले लेना, डार्क में सब दे देगें।
पीड़िता- ठीक-ठीक-ठीक ठीक है सर।
आरोपी वकील- गाड़ी वालों के माध्यम से कह देना दे देगें।
पीड़िता- वही करेंगे, कह देगें, भइया स्कूटी खड़ी है, यहां पर थोड़ा दे दीजिये, हां वही।
आरोपी वकील- भाई कुछ अपना बदलना सीखो।
पीड़िता - जी जी सर।
आरोपी वकील- है ना, बेटा देखो राहें बहुत आसान नहीं हैं।
पीड़िता- जी सर।
आरोपी वकील- पहुंच गये।
पीड़िता- सर बस पहुंचने वाली हूं।
आरोपी वकील- ठीक है, करो।