वाराणसी में 5 घंटे मलबे में दबी रही पूजा की आपबीती - मानवी मीडिया

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Wednesday, August 7, 2024

वाराणसी में 5 घंटे मलबे में दबी रही पूजा की आपबीती


उत्तर प्रदेश : (मानवी मीडिया
'हम रात में सोए थे। अचानक आंख खुली, लगा जैसे सब कुछ हिल रहा है। कुछ बोलने से पहले मेरे ऊपर छत गिर गई। सांसें थम सी गईं। सन्नाटा हो गया, कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। मैंने हाथ हिलाए, तो लगा कि हड्‌डी टूट गई है, बहुत तेज दर्द हुआ। जब आंख ठीक से खुल सकी, त ये कहना है 36 साल की पूजा गुप्ता का। वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के पास मंगलवार को मकान ढह गए थे। पूजा मलबे में 5 घंटे तक दबी रहीं। बाद में एनडीआरएफ ने उनको बाहर निकाला। दैनिक भास्कर ने दहशत के उस पल के बारे में पूजा से जाना 

NDRF की टीम ने पूजा गुप्ता को सुरक्षित बाहर निकाला। वह टीम के लोगों से बड़ी मुश्किल से बात कर पा रही थीं। मुझे लगा मर चुकी हूं, खुद की सांसें महसूस कींपूजा ने बताया- मेरे घर में कल 8 सदस्य थे, सभी गहरी नींद में सो रहे थे। मैं तीसरी मंजिल के एक कमरे में अकेली सोई थी। जब मलबा गिरने लगा, तब नींद खुली। कुछ समझ में ही नहीं आया। महज 5 सेकेंड में हम मलबे के नीचे दबे थे। पहले लगा, मैं मर चुकी हूं। खुद की सांसें महसूस करने की कोशिश की। हकीकत जानिए, मलबे को हाथ से हटाकर देखा, तब यकीन आया कि मैं जिंदा हूं। 

चिल्लाने की कोशिश की, लेकिन मैं कुछ नहीं बोल सकी। जैसे आवाज गले में घुट गई हो। पता नहीं कितनी देर तक ऐसे ही पड़ी रही। लगातार यही सोच रही थी कि परिवार के बाकी लोग अलग-अलग जगह पर सोए थे। वो कैसे हैं, कहीं चोट तो नहीं लगी? वो पता नहीं बच पाए या नहीं? फिर दिमाग में सवाल आने लगे कि आक्सीजन खत्म हो जाएगी, तब कैसे सांस लूंगी? क्या बच पाऊंगी? इतनी उम्मीद थी कि भोलेनाथ बचा लेंगे। कुछ देर में मुझे कुछ दूरी पर मिट्‌टी हटती हुई महसूस हुई। एक आवाज सुनाई दी। जैसे कोई पुकार रहा हो। 

यह देखकर मुझे हिम्मत आ गई। पूरी ताकत से चिल्लाई, शायद किसी ने मेरी आवाज सुन ली थी। कुछ देर में पूछा- सांस ले पा रही हो? तुम्हें आक्सीजन भेज रहे हैं, कुछ देर में बाहर निकाल लेंगे। कुछ देर बाद ऊपर होल से एक पाइप अंदर आ गया। मैंने थोड़ा सरक कर उस पाइप को पकड़ लिया। उससे सांस लेने की कोशिश करने लगी। अब लगा कि मैं बच जाऊंगी। NDRF की 8 लोगों की टीम ने पूजा को मलबा के नीचे से सुरक्षित बाहर निकाल लिया। उन्हें अस्पताल लाया गया। यहां उनके परिवार के लोग पहले से भर्ती थे।

जो लोग फंसे थे, उन्हें रस्सियों के सहारे खींचकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया। आंख खुली तो हर तरफ अंधेरा थाघायल रमेश चंद्र गुप्ता को 1 घंटे के अंदर ही बाहर निकाल लिया गया था। उन्होंने कहा- हम गहरी नींद में सोए हुए थे। आंख खुली तो हर तरफ अंधेरा था और हम मलबे के नीचे दबे थे। काफी कोशिश की कि इसके नीचे से निकल सके, मगर कामयाब नहीं हुए। कई जगह चोट आई थीं। ज्यादा हिल नहीं पा रहा था। मैं घर की चौथी मंजिल पर सो रहा था। साथ में मेरी बीवी कुसुमलता भी सोई थी। वह भी मलबा में दबी हुई थी। करीब 1 घंटे बाद मुझे NDRF की टीम ने बाहर निकाला।

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