(मानवी मीडिया) : भारत की 20 प्रतिशत गरीब आबादी के लिहाज से मोदी सरकार के पिछले 10 साल बेहद उल्लेखनीय रहे हैं। 2011-12 में जहां सिर्फ 6% गरीब परिवारों के पास अपनी खुद की मोटरसाइकिल, स्कूटर, कार या जीप होती थी, वहीं 2022-23 में अब 40% गरीब परिवारों के पास अपने ये निजी वाहन हैं। राज्यवार देखें तो ये पंजाब में ये आंकड़ा सबसे ज्यादा है। पंजाब के ग्रामीण इलाकों में जहां 2011-12 में सिर्फ 15.5% गरीब परिवारों के पास अपने निजी वाहन थे, वहीं 2022-23 में ये आंकड़ा बढ़कर 62.5% तक पहुंच गया। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, पंजाब के शहरी इलाकों में 2011-12 में जहां सिर्फ 14 प्रतिशत लोगों के पास अपने वाहन थे, वहीं 2022-23 में ये आंकड़ा बढ़कर 65.7 प्रतिशत तक पहुंच गया। इसके साथ ही भारत के सभी राज्यों में पंजाब अव्वल है। ग्रामीण इलाकों में लोगों के पास निजी वाहनों की बात करें तो पंजाब के बाद कर्नाटक दूसरे नंबर पर है। 2011-12 में कर्नाटक की सिर्फ 3.3 प्रतिशत गरीब आबादी के पास निजी वाहन थे, वहीं 2022-23 में 56.6 प्रतिशत लोगों के पास अपने वाहन हैं। इसी तरह, शहरी इलाकों के मामले में मध्य प्रदेश दूसरे नंबर पर है। यहां 2011-12 में जहां 7.2 प्रतिशत गरीब शहरी आबादी के पास निजी वाहन थे, तो वहीं 2022-23 में ये आंकड़ा बढ़कर 62 प्रतिशत तक पहुंच गया।
(मानवी मीडिया) : भारत की 20 प्रतिशत गरीब आबादी के लिहाज से मोदी सरकार के पिछले 10 साल बेहद उल्लेखनीय रहे हैं। 2011-12 में जहां सिर्फ 6% गरीब परिवारों के पास अपनी खुद की मोटरसाइकिल, स्कूटर, कार या जीप होती थी, वहीं 2022-23 में अब 40% गरीब परिवारों के पास अपने ये निजी वाहन हैं। राज्यवार देखें तो ये पंजाब में ये आंकड़ा सबसे ज्यादा है। पंजाब के ग्रामीण इलाकों में जहां 2011-12 में सिर्फ 15.5% गरीब परिवारों के पास अपने निजी वाहन थे, वहीं 2022-23 में ये आंकड़ा बढ़कर 62.5% तक पहुंच गया। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, पंजाब के शहरी इलाकों में 2011-12 में जहां सिर्फ 14 प्रतिशत लोगों के पास अपने वाहन थे, वहीं 2022-23 में ये आंकड़ा बढ़कर 65.7 प्रतिशत तक पहुंच गया। इसके साथ ही भारत के सभी राज्यों में पंजाब अव्वल है। ग्रामीण इलाकों में लोगों के पास निजी वाहनों की बात करें तो पंजाब के बाद कर्नाटक दूसरे नंबर पर है। 2011-12 में कर्नाटक की सिर्फ 3.3 प्रतिशत गरीब आबादी के पास निजी वाहन थे, वहीं 2022-23 में 56.6 प्रतिशत लोगों के पास अपने वाहन हैं। इसी तरह, शहरी इलाकों के मामले में मध्य प्रदेश दूसरे नंबर पर है। यहां 2011-12 में जहां 7.2 प्रतिशत गरीब शहरी आबादी के पास निजी वाहन थे, तो वहीं 2022-23 में ये आंकड़ा बढ़कर 62 प्रतिशत तक पहुंच गया।