मुरादाबाद के पुलिस कप्तानों से वकील ने वसूले 28 लाख - मानवी मीडिया

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Sunday, August 4, 2024

मुरादाबाद के पुलिस कप्तानों से वकील ने वसूले 28 लाख


मुरादाबाद : (मानवी मीडियाSSP बंगले का मालिक बताकर एक वकील ने 19 साल में पुलिस कप्तानों से 28 लाख रुपए वसूल लिए। लेकिन, जब इस वकील के मालिकाना हक के दस्तावेज चेक गए तो उनमें फर्जीवाड़ा पकड़ा गया। इसके बाद एसएसपी की ओर से वकील के खिलाफ सिविल लाइन थाने में 5 महीने पहले से तत्कालीन SSP हेमराज मीणा ने इस बंगले का किराया देना भी बंद कर दिया था। उन्होंने दस्तावेजों की जांच पड़ताल कराई तो पता चला कि जिन दस्तावेजों से संजय धवन खुद को एसएसपी बंगले का मालिक बता रहा है, वो फर्जी हैं। रजिस्ट्री और रेवेन्यू रिकॉर्ड में उनका कोई उल्लेख नहीं मिला है। 

जबकि नगर निगम रिकॉर्ड में ये बंगला करीब 100 साल से IPS हाउस के नाम से दर्ज है। 1927 से इस बंगले में रह रहे हैं SSP मुरादाबाद मुरादाबाद में सिविल लाइन में जिस बंगले को एडवोकेट संजय धवन ने अपना बताकर किराया वसूला उस बंगले में 1927 से वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) का आवास रहा है। यह आवास करीब 6000 वर्ग मीटर में फैला है। आजादी के पहले से मुरादाबाद के पुलिस कप्तान इसी बंगले में रहते चले आ रहे हैं। 1927 के पहले मुरादाबाद के पुलिस कप्तान का निवास मौजूदा एडीजी ट्रेनिंग के आवास में हुआ करता था। लेकिन पुलिस एकेडमी के एडीजी के लिए वो आवास खाली कर कप्तान को 1927 में यहां शिफ्ट कर दिया गया था। 2003 में अचानक पुलिस कप्तान को बताया अपना किराएदारइस बंगले के मालिकाना हक को लेकर 1927 से 2003 तक कभी कोई विवाद नहीं रहा। लेकिन 2003-04 में अचानक एडवोकेट संजय धवन नाम का एक व्यक्ति इस बंगले को अपना बताकर कोर्ट में दावा ठोंक देता है। पूरे मामले में कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।


काफी समय कोर्ट में मामला चलता है लेकिन तत्कालीन अधिकारियों ने उसमें रुचि नहीं ली। न तो दावा करने वाले वकील से मालिकाना हक के दस्तावेज मांगे गए और न ही कोर्ट में पैरवी की गई। 2005 में कोर्ट ने 5000 रुपए महीना किराया देने के आदेश दिए तत्कालीन अधिकारियों की ढिलाई और मामले में रुचि नहीं लेने की वजह से कोर्ट ने एक्स पार्टी ऑर्डर (इकतरफा आदेश) पास कर दिया कि दावा करने वाले को 5000 रुपए महीने किराया दिया जाए। 20005 में लघुवाद न्यायालय से संजय धवन के सिविल शूट पर ये एकतरफा आदेश पारित हुआ। कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक मुरादाबाद को आदेश दिया कि वो संजय धवन को एसपी बंगले का 5000 रुपए महीना किराया दें। इस आदेश को तत्कालीन पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से न तो किसी कोर्ट में चुनौती दी गई न ही संजय धवन से मालिकाना हक के दस्तावेज मांगे गए। बल्कि तत्कालीन एसएसपी ने डीजीसी सिविल से काउंटर डलवाया कि हम किराया दे रहे हैं, हमसे बंगला खाली न कराया जाए। 2019 में किराया बढ़ाकर कर दिया 51 हजार रुपए 2005 से 2019 तक संजय धवन को सभी एसएसपी 5000 रुपए महीना किराया देते रहे। 

2019 में संजय धवन की ओर से फिर से एक सिविल शूट फाइल किया गया। इसमें उसने कहा कि उसकी प्रॉपर्टी बड़ी है। प्रॉपर्टी 6000 वर्ग मीटर में फैली है और उसमें 20 से अधिक रूम हैं। इसलिए उसका किराया 5000 रुपए से बढ़ाया जाए।​​​पुलिस सूत्रों का कहना है कि कोर्ट से जारी हुए नोटिस तत्कालीन एसएसपी के सामने पुटअप नहीं किए गए। नतीजतन इस बार भी कोर्ट से एक्स पार्टी ऑर्डर हो गया। कोर्ट ने एसएसपी बंगले का किराया 5000 रुपए से बढ़ाकर 51 हजार रुपए महीना कर दिया। इस बार फिर डीजीसी सिविल ने काउंटर दाखिल करा दिया कि हमें बेदखल किया जाए हम किराया दे रहे हैं। इस तरह कुल मिलाकर अभी तक संजय धवन को 28 लाख रुपए किराया दिया जा चुका है। 2024 में SSP ने कराई जांच तो पकड़ा गया फर्जीवाड़ा2024 में तत्कालीन SSP हेमराज मीणा ने इस मामले की जांच कराई। उन्होंने संजय धवन से मालिकाना हक के दस्तावेज मांगे। संजय धवन ने 1903 की उर्दू भाषा की एक रजिस्ट्री दिखाई। चेक कराया तो रजिस्ट्री विभाग में इसका कोई उल्लेख नहीं मिला। 

इसके अलावा संजय धवन के पास इस बात का कोई दस्तावेज नहीं मिला जो उसे एसएसपी बंगले का मालिक साबित करता हो। रजिस्ट्री विभाग, नगर निगम और रेवेन्यू रिकॉर्ड में कहीं भी संजय धवन के पास इस बंगले के मालिकाना हक का टाइटल नहीं निकला। छानबीन में पता चला कि ब्रिटिश पीरियड में ये पूरी प्रॉपर्टी एक मुस्लिम परिवार की थी। जिसे उस वक्त एसएसपी आवास के लिए दिया गया था। ये पूरी लैंड करीब 40 बीघा थी। संजय धवन की ओर से दावा किया गया कि 1903 में शाहू हरगुलाल ने अकबरी बेगम से इस प्रॉपर्टी को खरीदा था। इसके बाद ये प्रॉपर्टी उनके बेटे श्रीनाथ के पास गई। संजय धवन खुद को इसी फैमिली का वंशज बताकर दावा कर रहा है। 2005 में SSP के जांच के आदेश दबा दिए गए विभागीय सूत्रों का कहना है 

पहली बार जब किराया देने का आदेश हुआ तो तत्कालीन एसएसपी ने 2005 में एक जांच के आदेश दिए थे। जिसमें संजय धवन के मालिकाना हक के दस्तावेजों की जांच होनी थी। लेकिन उनके ये आदेश फाइल में दबा दिए गए। इस मामले में कभी जांच हुई ही नहीं और एक के बाद एक सभी SSP किराया देते चले आए। कमिश्नर ने भी गठित की है जांच कमेटीइस मामले की गंभीरता को देखते हुए मुरादाबाद के कमिश्नर आन्जनेय कुमार सिंह ने भी इस फर्जीवाड़े की जांच के आदेश दिए हैं। कमिश्नर के आदेश पर गठित की गई अपर आयुक्त सर्वेश गुप्ता के नेतृत्व वाली कमेटी रेवन्यू रिकॉर्ड में छेड़छाड़ कर कप्तान के बंगले पर दावा करने के मामले की जांच करेगी

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