(मानवी मीडिया) : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कन्नड़ न्यूज़ चैनल पावर टीवी पर प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने को लेकर केंद्र सरकार को फटकार लगाया है। कोर्ट ने लाइसेंस रिन्यूअल के लिए आवेदनों के निपटारे तक ऐसे प्रतिबंधों के बारे में केंद्र से सवाल भी किया है। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी से पूछा है कि कितने चैनलों ने लाइसेंस नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हमारे सामने डेटा पेश करें कि कितने चैनलों ने लाइसेंस नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था और इनमें से कितनों को प्रसारण बंद करने के लिए कहा गया था। हम जानना चाहते हैं कि पिछले तीन सालों में नवीनीकरण के लिए आवेदन करने वाले कितने टीवी चैनलों को मंजूरी मिलने तक प्रसारण बंद करने का आदेश दिया गया।'' पीठ में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे।हालांकि प्रतिबंध के खिलाफ पावर टीवी की याचिका पर सुनवाई 22 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी गई है। इसकी वजह सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता अनुपस्थिति बताई गई है। चैनल का प्रतिनिधित्व रंजीत कुमार और सुनील फर्नांडीस ने कर रहे थे। सुनवाई के दौरान सिन्हा ने पीठ को सूचित किया कि 12 जुलाई को शीर्ष अदालत के आदेश पर चैनल को फिर से शुरू कर दिया है। आदेश में चैनल के प्रसारण से प्रतिबंध हटा लिया गया था। पीठ ने 12 जुलाई को इस बात पर जोर दिया था कि जब भी सरकार समाचार और सूचना के प्रसार को रोकने का प्रयास करती है तो हस्तक्षेप करना कोर्ट का कर्तव्य है। साथ ही कोर्ट ने पावर टीवी को प्रसारण से रोकने वाले कार्यकारी आदेश पर रोक लगा दी थी।
चैनल को चुप कराने की कोशिश सरासर राजनीतिक प्रतिशोध- कोर्ट
उस दिन अदालत ने टिप्पणी की थी कि चैनल को चुप कराने की कोशिश सरासर राजनीतिक प्रतिशोध मालूम पड़ता है क्योंकि चैनल सेक्स टेप प्रसारित करना चाहता था। गौरतलब है कि चैनल और इसके अतिरिक्त निदेशक राकेश शेट्टी जनता दल (सेक्युलर) के नेताओं के खिलाफ अभियान में सबसे आगे रहे हैं। वह पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना से जुड़े सेक्स टेप को प्रसारित करना चाहते थे जिन पर कई महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न का आरोप है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा था, "चैनल एक सेक्स स्कैंडल प्रसारित करना चाहता था और चैनल पर रोक करने के पीछे का उद्देश्य उसे ऐसा करने से रोकना था, उसकी आवाज़ को पूरी तरह से बंद करना था। यह एक सरासर राजनीतिक प्रतिशोध है और कुछ नहीं।”
कर्नाटक हाईकोर्ट ने जून में पावर टीवी के प्रसारण पर लगाई थी रोक
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से पहले कर्नाटक हाईकोर्ट ने जून में पावर टीवी के प्रसारण पर रोक लगा दी थी। इसमें सूचना और प्रसारण मंत्रालय से चैनल के पास लाइसेंस न होने का हवाला दिया गया था। चैनल की अपलिंक और डाउनलिंक न्यूज़ की अनुमति 12 अक्टूबर, 2021 को समाप्त हो गई थी और रिन्यूअल आवेदन अभी भी लंबित था। 3 जुलाई को उच्च न्यायालय की एक पीठ ने अंतरिम आदेश को बरकरार रखते हुए अंतिम निर्णय केंद्र को सौंप दिया था। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ चैनल की अपील की सुनवाई के दौरान 12 जुलाई को पीठ ने पर्याप्त मूल्यांकन के बिना हाईकोर्ट के प्रतिबंध का समर्थन करने के लिए केंद्र सरकार को जमकर सुनाया।