(मानवी मीडिया) नासा ने पहली बार कुछ ऐसा किया है, जिसके बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। नासा की ग्लेन रिसर्च सेंटर टीम ने स्पेसक्राफ्ट से इंटरनेशनल स्पेस सेंटर में 4के वीडियो स्ट्रीम करके एक माइलस्टोन हासिल किया है। इस वीडियो स्ट्रीमिंग के लिए लेजर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया।
अभी तक नासा स्पेस कम्यूनिकेशन के लिए रेडियो वेव का इस्तेमाल करती थी। नासा ने यह इनीशिएटिव स्पेस से डेटा शेयरिंग का टेस्ट करने के लिए किया था। आगे चलकर ह्यूमन मिशन में यह काफी काम आने वाला है। नासा कुछ स्पेस मिशंस की तैयारी में है जिसके लिए अच्छी नेविगेशन और कम्यूनिकेशन की जरूरत होगी। ऐसे में लेजर कम्यूनिकेशन धरती और अंतरिक्ष के बीच सूचना साझा करने में काफी प्रभावशाली होगी।
नासा ने यह कम्यूनिकेशन टेस्ट आगामी मून मिशन, आर्टेमिस मिशन की तैयारी के लिए किया गया। इस दौरान अंतरिक्ष यात्री लाइव कवरेज कर सकते हैं। रेडियो फ्रीक्वेंसी कम्यूनिकेशन सिस्टम की तुलना में लेजर कम्यूनिकेशन में इंफ्रारेड लाइट के लिए 10 से 100 फीसदी ज्यादा डेटा ट्रांसफर होगा। इस प्रोजेक्ट के प्रमुख खोजकर्ता डॉक्टर डैनियल रेबेल ने इसे बेहद शानदार अनुभव बताया। उन्होंने कहा कि 4के एचडी वीडियो स्ट्रीमिंग को लेकर मिली सफलता से हमारे आर्टेमिस मिशन के दौरान अंतरिक्षयात्रियों से एचडी में वीडियो कांफ्रेंसिंग होगी। यह उनके स्वास्थ्य और गतिविधियों के समन्वय को लेकर काफी अहम रहेगा।नासा के मुताबिक ग्लेन इंजीनियर्स ने पिलेटस पीसी-12 एयरक्राफ्ट पर लेजर टर्मिनल इंस्टाल किया। इसके बाद एयरक्राफ्ट एरी झील के ऊपर पहुंचा। वहां से डेटा क्लीवलैंड में स्थित ग्राउंड स्टेशन पर डेटा भेजा गया। फिर यह न्यू मेक्सिको के लास क्रूसेस स्थित नासा की बिल्डिंग में पहुंचा। इस तरह सिग्नल ने धरती से लेकर अंतरिक्ष में स्थित नासा के लेजर कम्यूनिकेशन रिले डिमॉन्स्ट्रेशन प्लेटफॉर्म तक कुल 22000 मील की दूरी तय की। नासा का दावा है कि इस एक्सपेरिमेंट ने टेक्नोलॉजी और परफॉर्मेंस में इजाफा किया है। इससे स्पेश मिशन के दौरान कई तरह के फायदे मिलेंगे।