लखनऊ( मानवी मीडिया)- उत्तर प्रदेश सरकार इस महीने के अंत तक या अगस्त के पहले सप्ताह में राज्य विधानमंडल का मानसून सत्र बुलाने की योजना बना रही है। संवैधानिक बाध्यता के चलते विधानमंडल को 10 अगस्त से पहले सत्र बुलाना आवश्यक है। नियमों के मुताबिक दो सत्रों के बीच छह महीने का अंतर नहीं होना चाहिए।
राज्य विधानमंडल का बजट सत्र, जो 2 फरवरी को शुरू हुआ था, 10 फरवरी को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया था। भारत के संविधान के अनुच्छेद 174 के प्रावधान में कहा गया है, “… राज्य विधानमंडल के सदन या सदनों को हर साल कम से कम दो बार बैठक के लिए बुलाया जाएगा, और एक सत्र में उनकी आखिरी बैठक और अगले सत्र में उनकी पहली बैठक के लिए नियत तारीख के बीच छह महीने का अंतर नहीं होगा।
उत्तर प्रदेश विधान सभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन की नई नियमावली-2023 के प्रावधानों के तहत, राज्य सरकार को सत्र बुलाने के लिए एक सप्ताह का नोटिस (पहले नियमों में दिए गए 14 दिन के नोटिस के मुकाबले) देना होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा, “राज्य सरकार जुलाई 2024 के अंत तक सत्र बुला सकती है। हमारे पास विधायिका की मंजूरी के लिए ज्यादा काम लंबित नहीं है। इसलिए, सत्र संक्षिप्त होने की संभावना है। लेकिन राज्य मंत्रिमंडल जल्द ही मानसून बुलाने के लिए फैसला ले सकता है।” सत्तारूढ़ भाजपा और इंडिया ब्लॉक (समाजवादी पार्टी और कांग्रेस सहित) के नेतृत्व वाला विपक्ष 2024 के लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद पहली बार सदन में आमने-सामने आएंगे।
प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) ने अभी तक नए नेता प्रतिपक्ष (एलओपी) की घोषणा नहीं की है। राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता का पद संभालने वाले सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कन्नौज से लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। सपा को किसी अन्य पार्टी नेता को नया नेता प्रतिपक्ष नियुक्त करना होगा और विधानसभा में अपनाई जाने वाली रणनीति पर फैसला करना होगा। सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, “राज्य सरकार को मानसून सत्र जरूर बुलाना चाहिए। ऐसा करना संविधान के तहत बाध्य है। कई जिले बाढ़ से प्रभावित हैं। आंदोलनरत युवा, कानून-व्यवस्था की स्थिति और बढ़ती महंगाई अहम मुद्दे हैं। जहां तक नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे का सवाल है, पार्टी नेतृत्व जल्द ही इस पर फैसला करेगा।”
कांग्रेस विधायक दल की नेता आराधना मिश्रा ‘मोना’ ने कहा, “हमारे पास युवाओं, किसानों और बढ़ती महंगाई को उठाने के लिए प्रमुख मुद्दे हैं। हम लंबा मानसून सत्र चाहते हैं ताकि इन मुद्दों पर सदन में बहस हो सके।”