राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस को लेकर आयोजित हुआ प्रशिक्षण कार्यक्रम - मानवी मीडिया

निष्पक्ष एवं निर्भीक

.

Breaking

Post Top Ad

Post Top Ad

Monday, July 29, 2024

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस को लेकर आयोजित हुआ प्रशिक्षण कार्यक्रम

 


लखनऊ,( मानवी मीडिया)जनपद में 10 अगस्त को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (एनडीडी) का आयोजन किया जायेगा | इसी क्रम में सोमवार को मुख्य अचिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में एक दिवसीय  जिला एवं ब्लाक स्तरीय अधिकरियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित  हुआ |

इस मौके पर प्रशिक्षक और राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के  नोडल अधिकारी डा. विनय मिश्रा ने कहा कि साल में दो बार पेट से कीड़े निकालने की दवा एल्बेन्डाजोल खिलाई जाती है | फरवरी में सर्वजन दवा सेवन(आईडीए)  अभियान के दौरान और अगस्त में | यह इसलिए दी जाती है कि बच्चों में कृमि संक्रमण की समस्या देखने को मिलती है जो कि उनमें एनीमिया का एक कारण है | इसके अलावा  यदि पेट में कीड़े हैं तो वृद्धि तो रुकती ही है इसके साथ ही बच्चा किसी चीज पर ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाता है | पढ़ाई में पिछड़ जाता है | इसलिए स्वास्थ्य कार्यकर्ता अभिभावकों को दवाई दिए जाने के सकारात्मक पहलुओं के बारे में अवगत कराएं |

प्रशिक्षक और जिला समुदाय प्रक्रिया प्रबन्धक विष्णु प्रताप ने कहा कि पेट से कीड़े निकालने की दवा एक से 19 साल तक की आयु के बच्चों को खिलानी है | इस बात का ध्यान रखें कि खाली पेट दवा किसी को भी न खिलाएं | दवा खिलाने से पहले ही अभिभावकों को इस बात की सूचना दे दें कि 10 अगस्त को दवा खिलाई जाएगी इसलिए बच्चों को नाश्ता कराकर ही स्कूल भेजें | जहाँ पर मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था है वहां पर बच्चों द्वारा भोजन करने के बाद ही दवा खिलाएं | आंगनबाड़ी केन्द्रों पर यह सुनिश्चित करने के बाद ही बच्चों को दवा का सेवन करायें कि वह खाली पेट नहीं हैं | 

एक से दो साल की आयु के बच्चों को एल्बेंडाजोल की आधी गोली और दो  से तीन  साल की आयु के बच्चों को एक गोली चूरा बना कर खिलाई जायेगी ।   तीन  से  19 साल की आयु के बच्चों को एक गोली खिलाई जायेगी । गोली दांत से चबाकर ही खिलाना सुनिश्चित कराना है | गोली स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने सामने ही खिलाएं | बाद में खाने के लिए न दें |

दवा खाने के बाद किन्हीं बच्चों में दवा के प्रतिकूल प्रभाव – उल्टी, जी मिचलाना चक्कर आना पेट में दर्द आदि देखने को मिलते हैं | इससे घबराने की जरूरत नहीं है | इसका मतलब होता कि पेट में कीड़ों की संख्या अधिक है और उन्हीं के मरने से यह प्रतिकूल प्रभाव दिखाई देते हैं | ऐसा होने पर बच्चे को लिटा दें थोड़ी देर में यह प्रतिकूल प्रभाव खत्म हो जायेंगे | ऐसे प्रतिकूल प्रभाव के प्रबन्धन के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम ब्लाक और जिले पर तैनात रहे|

जो बच्चे किन्हीं कारणों से 10 अगस्त को दवा खाने से वंचित रह जायेंगे उन्हें 14 अगस्त को मॉप अप राउंड का आयोजन कर दवा खिलाई जाएगी |

इस मौके पर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. बी.एन. यादव,  डा. गोपी लाल,  जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी योगेश रघुवंशी, डीईआईसी मैनेजर डा. गौरव सक्सेना, सभी सीएचसी के अधीक्षक, बीपीएम, बीसीपीएम, सभी ब्लाक से आरबीएसके की टीम से एक चिकित्सक, शिक्षा विभाग, आईसीडीएस एवं पंचायती राज विभाग के हर ब्लाक के प्रतिनिधि, नेहरु युवा केंद्र एवं स्वयंसेवी संस्था एविडेंस एक्शन के प्रतिनधि सहित कुल 83 प्रतिभागी मौजूद रहे |

Post Top Ad