उत्तर प्रदेश : (मानवी मीडिया) जब कोई समाज अपने स्व का बोध खोता है तो पहचान का संकट खड़ा होता है,ऐसा ही षडयंत्र इस समाज के साथ हुआ जो समाज अपने बल बुद्धि पौरूष से भारत को सोने की चिड़िया बनाने और समृद्ध बनाने का जज्बा रखता था,उसको उसी के आपस मे लड़ा कर पहचान का संकट पैदा कर दिया गया वो ताकते जानती थी अगर ये समाज ऐसे ही पौरुष से भरपूर रहा तो भारत का कोई भी बाल बांका नही कर पायेगा,इसीलिए उन्होंने इस समाज को आपस मे लड़ा दिया,जो समाज विदेशी ताकते करती थी वही कार्य आज छद्म सेक्युलर कहलाने वाले दल कर रहे है
लोकसभा चुनाव में आपने देखा कैसे आपस मे लड़ाने का प्रयास किया गया, इस समय पश्चिमी उत्तरप्रदेश में कांवड़ यात्रा चल रही है यही कावंड़ यात्रा सपा बसपा कांग्रेस की सरकारों में प्रतिबंधित थी ये केवल शिव भक्तों की यात्रा नही बल्कि रोजगार का माध्यम भी थी,एक बार की कांवड़ यात्रा से वो हस्तशिल्पी वर्ष भर की आय प्राप्त कर लेते थे सपा सरकार में 86 एसडीएम की नियुक्ति हुई,86 में से 56 सिर्फ एक ही जाति से हुई,वो लोग इस बात पर खामोश हो जाते है पिछले 7 वर्षों में हमने 6.50 लाख सरकारी भर्ती की,इसमे 60% ओबीसी समाज की भर्ती की,69 हजार शिक्षको की भर्ती में हमने इसको लागू किया,ये वही लोग प्रश्न खड़ा करते जो 86 में 56 एक ही समाज की भर्ती करते थे