वाराणसी : (मानवी मीडिया) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 20 करोड़ 32 लाख से पूर्वांचल की सबसे बड़ी फल-सब्जी मंडी बनाई गई। इसे पहड़िया मंडी के नाम से भी जाना जाता है। मंडी के निर्माण कार्यों में करोड़ों का घोटाला हुआ। साल 2016-17 में शुरू हुए निर्माण कार् तत्कालीन डायरेक्टर ने जांच करवाई। घोटालेबाज अधिकारियों का नाम सामने आया तो उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई। इस बीच नए डायरेक्टर ने दोबारा जांच के आदेश दिए।
आरोपी अफसरों को बचाने की कोशिश हो रही है। अब पूरे मामले की शिकायत हाईकोर्ट (लखनऊ) के वकील आनंद शुक्ला ने लोकायुक्त से की है। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नाम पर बनी पहड़िया मंडी में हुए करोड़ों के घोटाले की दैनिक भास्कर ने पड़ताल की। कैसे आरोपियों का नाम सामने आया? कहां-कहां ज्यादा भुगतान किया गया? क्या है पूरा मामला? पहले 52 एकड़ में बनी पूर्वांचल की सबसे बड़ी मंडी के बारे में जानिएपहड़िया मंडी वाराणसी-सारनाथ रोड पर 52 एकड़ में बनी है। इसे ‘क’ विशिष्ट श्रेणी की मंडी का दर्जा दिया गया।
यहां वाराणसी, चंदौली, जौनपुर, सोनभद्र, आजमगढ़ से तो फल-सब्जियां आती ही हैं, बिहार और झारखंड के किसान भी फसल लेकर आते हैं। इस मंडी को बनाने के लिए 20 करोड़ 32 लाख 36 हजार रुपए स्वीकृत किए गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के नाते तेजी से इस काम कराया गया। पूरे काम को अधिकारियों ने 8 अलग-अलग भागों में बांट कर टेंडर करवाया। हर काम के लिए अलग ठेकेदार नियुक्त किया गया। इनके कार्यों की गुणवत्ता के लिए जूनियर इंजीनियर तैनात किए गए।
पहड़िया मंडी में कई राज्यों से किसान फल और सब्जियां लेकर आते हैं। अब पढ़िए कैसे सामने आया ये पूरा घोटाला तारीख 22 जुलाई, 2019 : राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के तत्कालीन निदेशक जेपी सिंह को वाराणसी में तैनात तत्कालीन उपनिदेशक निर्माण राम नरेश सोनकर ने लेटर लिखा। उन्हें निर्माणाधीन पहड़िया मंडी में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं की सूचना दी। साथ ही मंडी में चल रहे कार्यों की गुणवत्ता और उसके लिए ठेकेदारों को किए गए भुगतान की जांच करवाने का अनुरोध किया। आरोप था, जूनियर इंजीनियर्स ने गलत रिपोर्ट लगाकर ठेकेदारों को करोड़ों का फर्जी भुगतान किया है।