प्रयागराज : (मानवी मीडिया) किसी भी तरह की सर्जरी के बाद मरीजाें को एपिड्यूरल की एक डोज 36 घंटे तक दर्द से आराम दिलाएगी। यह तरल दवा इंजेक्शन के माध्यम से मरीज के कमर की नस पर डाली जाती है। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के एनेस्थीसिया विभाग में एक शोध के दौरान यह बात सामने आई है। शोध 2021 से 2023 तक चला। एनेस्थीसिया विभाग में करीब 100 मरीजों को शोध में शामिल किया गया। इन सभी मरीजों की सर्जरी हुई थी। इनकी उम्र 20 से 60 वर्ष के बीच थी। मरीजों को दो वर्गाें में बांटा गया। 50 मरीजों को दर्द की दवा दी गई, जबकि 50 मरीजों पर एपिड्यूरल इंजेक्शन लगाया गया। गभग दो वर्ष चले शोध के दौरान देखा गया कि मरीजों पर दवा से बेहतर इंजेक्शन ने काम किया। सर्जरी के बाद करीब 36 घंटे तक मरीजों को दर्द से आराम रहा। जिनको 36 घंटे के बाद फिर से दर्द शुरू हुआ, उन्हें इंजेक्शन की दूसरी डोज दी गई।विभागाध्यक्ष डॉ. नीलम सिंह, डॉ. धर्मेंद्र कुमार, डॉ. मनीष सिंह और डॉ. वैभव ने पाया कि दवा से ज्यादा इंजेक्शन कारगर है। इसके बाद मरीज को 36 घंटे तक दर्द निवारक दवा खाने की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा मरीज का बीपी भी नियंत्रित रहता है और इंजेक्शन का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है। वर्ष 2023 में इस शोध को जनरल ऑफ एनेस्थीसिया में प्रकाशित किया गया। इसके बाद एपिड्यूरल दवा मरीजों को दी जा रही है। डॉ. नीलम सिंह ने शोध को वाराणसी के बीएचयू में भी प्रस्तुत किया है।
प्रयागराज : (मानवी मीडिया) किसी भी तरह की सर्जरी के बाद मरीजाें को एपिड्यूरल की एक डोज 36 घंटे तक दर्द से आराम दिलाएगी। यह तरल दवा इंजेक्शन के माध्यम से मरीज के कमर की नस पर डाली जाती है। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के एनेस्थीसिया विभाग में एक शोध के दौरान यह बात सामने आई है। शोध 2021 से 2023 तक चला। एनेस्थीसिया विभाग में करीब 100 मरीजों को शोध में शामिल किया गया। इन सभी मरीजों की सर्जरी हुई थी। इनकी उम्र 20 से 60 वर्ष के बीच थी। मरीजों को दो वर्गाें में बांटा गया। 50 मरीजों को दर्द की दवा दी गई, जबकि 50 मरीजों पर एपिड्यूरल इंजेक्शन लगाया गया। गभग दो वर्ष चले शोध के दौरान देखा गया कि मरीजों पर दवा से बेहतर इंजेक्शन ने काम किया। सर्जरी के बाद करीब 36 घंटे तक मरीजों को दर्द से आराम रहा। जिनको 36 घंटे के बाद फिर से दर्द शुरू हुआ, उन्हें इंजेक्शन की दूसरी डोज दी गई।विभागाध्यक्ष डॉ. नीलम सिंह, डॉ. धर्मेंद्र कुमार, डॉ. मनीष सिंह और डॉ. वैभव ने पाया कि दवा से ज्यादा इंजेक्शन कारगर है। इसके बाद मरीज को 36 घंटे तक दर्द निवारक दवा खाने की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा मरीज का बीपी भी नियंत्रित रहता है और इंजेक्शन का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है। वर्ष 2023 में इस शोध को जनरल ऑफ एनेस्थीसिया में प्रकाशित किया गया। इसके बाद एपिड्यूरल दवा मरीजों को दी जा रही है। डॉ. नीलम सिंह ने शोध को वाराणसी के बीएचयू में भी प्रस्तुत किया है।