प्राइवेट जॉब में 100 फीसदी आरक्षण को लेकर सिद्धारमैया सरकार की हुई आलोचना - मानवी मीडिया

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Wednesday, July 17, 2024

प्राइवेट जॉब में 100 फीसदी आरक्षण को लेकर सिद्धारमैया सरकार की हुई आलोचना


कर्नाटक : (
मानवी मीडियाप्राइवेट सेक्टर की ग्रुप सी और ग्रुप डी ग्रेड की नौकरियों में कर्नाटक के स्थानीय लोगों को 100 फीसदी कोटा दिए जाने के बिल को लेकर बवाल मचा हुआ है. इस बीच सोशल मीडिया पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने एक पोस्ट किया, जिसे उन्होंने बाद में डिलीट भी कर दिया. श्रम मंत्री संतोष लाड ने साथ ही स्पष्ट किया कि कर्नाटक की निजी कंपनियों में नौकरियों का आरक्षण नॉन मैनेजमेंट रोल के लिए के लिए 70 प्रतिशत और मैनेजमेंट रोल के कर्मचारियों के लिए 50 प्रतिशत तक सीमित किया जाएगा. संतोष लाड ने अपने एक एक्स पोस्ट में कहा, ‘मैनेजमेंट रोल पर 50 फीसदी लोगों को आरक्षण देने का निर्णय लिया गया है. 

गैर प्रबंधन स्तर पर 70 फीसदी को काम देने का निर्णय लिया गया है.’ संतोष लाड ने ये भी कहा कि अगर कंपनियां इस आरक्षण के अंतर्गत कुशल कर्मचारी नहीं नियुक्त कर हा रही हैं, तो स्टेट के बाहर से भी एम्पॉइज को हायर कर सकती हैं. उन्होंने कहा, ‘अगर ऐसे कौशल (कन्नड़िगों में) उपलब्ध नहीं हैं तो नौकरियों को आउटसोर्स किया जा सकता है. सरकार स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देने के लिए एक कानून लाने की कोशिश कर रही है. अगर यहां कुशल श्रमिक उपलब्ध हैं.’ हालांकि, उन्होंने घोषणा की कि राज्य में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है. कर्नाटक में पर्याप्त कुशल कार्यबल है. बहुत सारे इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, अंतर्राष्ट्रीय स्कूल है

हम उनसे 70 प्रतिशत काम कन्नड़ लोगों को देने के लिए कह रहे हैं. अगर पर्याप्त प्रतिभा उपलब्ध नहीं है तो वे बाहर से ला सकते हैं.’ बीते मंगलवार कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने भी प्राइवटे नौकरियों में 100 फीसदी कर्नाटक वर्कर्स के आरक्षण को लेकर एक्स पर एक पोस्ट किया था, जिसे बाद में डिलीट कर दिया गया. सिद्धारमैया ने लिखा, सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में राज्य के सभी प्राइवेट इंडस्ट्रीज में ‘सी और डी’ ग्रेड पदों के लिए 100 प्रतिशत कन्नड़ लोगों की भर्ती को अनिवार्य बनाने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी गई.’ मुख्यमंत्री ने कहा कि यह उनकी सरकार की इच्छा है कि कन्नड़ लोगों को अपने राज्य में आरामदायक जीवन जीने का अवसर दिया जाए और उन्हें ‘कन्नड़ भूमि’ में नौकरियों से वंचित न किया जाए. हालांकि सरकार के इस फैसले का विरोध भी हुआ. कई लोगों ने इसे ‘भेदभावपूर्ण’ फैसला बताया

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