लखनऊ (मानवी मीडिया) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए :-
पशुधन, कुक्कुट एवं मत्स्य-आहार नीति क्रियान्वित किए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने पशुधन, कुक्कुट एवं मत्स्य-आहार नीति (वर्ष 2024 से 2029 तक) क्रियान्वित किए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
उत्तर प्रदेश में किसानों के लिए पशुधन, कुक्कुट एवं मत्स्य क्षेत्र में सांद्रित आहार की कमी से जुडे़ हुए जोखिमों को कम करने तथा सन्तुलित आहार की उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए पोषण की गुणवत्ता को बढ़ाने के उद्देश्य से पशुधन, कुक्कुट एवं मत्स्य-आहार नीति (वर्ष 2024 से 2029 तक) क्रियान्वित की जा रही है।
इस नीति के माध्यम से किसानों की पशुधन और मुर्गीपालन में रुचि बढ़ाने के साथ पशुधन, कुक्कुट एवं मत्स्य के स्वास्थ्य और उत्पादकता को बेहतर करने के लिए मिश्रित आहार और पारम्परिक घरेलू आहार सहित आहार निर्माण की पोषण गुणवत्ता में सुधार किया जायेगा।
पशुधन एप्लिकेशन में मवेशियों के कृत्रिम गर्भाधान (एआई) आधारित ब्यांत को पंजीकृत करने वाले किसानों को प्राथमिकता देते हुए उन्हें रियायती दरों पर खनिज मिश्रण वितरित करके खनिज मिश्रण के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। क्रियाशील डेयरी सहकारी समिति के सदस्यों को प्राथमिकता देते हुए रियायती दरों पर सांद्र खली. मिश्रित फीड आदि आहारों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। आहार तकनीक, निर्माण और प्रसंस्करण में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा दिया जायेगा।
व्यक्तियों, स्वयं सहायता समूह (एस0एच0जी0), ज्वाइन्ट लायबिलटी ग्रुप्स (जे0एल0जी0), फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाईजेशन्स (एफ0पी0ओ0), डेयरी सहकारी समितियों और कम्पनियों को आहार, खनिज मिश्रण और अन्य उत्पादों के उत्पादन के लिए उपकरण, परिचालन पूंजी आदि जैसे इनपुट पर पूंजी सब्सिडी या ब्याज अनुदान दिया जाएगा, जिससे निजी भागीदारी और उद्यमिता में वृद्धि होगी। इन्टरनेशनल डेवलपमेंट एजेंसियों (आई0डी0ए0), विश्वविद्यालयों, शोध संस्थानों, उद्योगों, गैर-सरकारी संगठनों और स्टार्टअप्स के सहयोग से अग्रणी और शोध गतिविधियों को अनुसंधान हेतु अनुदान के माध्यम से बढ़ावा दिया जायेगा।
इस नीति से पशुओं का बेहतर पोषण, पशुधन, कुक्कुट एवं मत्स्य जन्य उत्पादों में वृद्धि, किसानों की दैनिक आय में वृद्धि, पशुओं की प्रजनन क्षमता में सुधार, ब्यांत के बीच की अवधि में कमी और पशु की उत्पादकता अवधि में वृद्धि, पशुओं के सामान्य स्वास्थ्य में सुधार, पशुधन, कुक्कुट एवं मत्स्य के विकास दर में वृद्धि एवं शीघ्र परिपक्वता एवं राज्य में खनिज मिश्रण और राशन उत्पादन में सुधार हो सकेगा। साथ ही, आहार और पूरक/सप्लीमेंट प्रसंस्करण उद्योगों का विकास होने से रोजगार के नये अवसर उत्पन्न हांगे।
प्रस्तावित नीति को प्रत्येक 05 वर्ष बाद मूल्यांकन के पश्चात आवश्यकतानुसार संशोधित किया जा सकेगा। विशेष परिस्थितियों में यह निर्णय पूर्व में भी लिया जा सकता है। इस नीति में किसी भी प्रकार के संशोधन, परिमार्जन एवं परिवर्धन हेतु विभागीय मंत्री सक्षम होंगे।
पशुपालन विभाग, उ0प्र0 चारा नीति क्रियान्वित कराए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने पशुपालन विभाग, उत्तर प्रदेश चारा नीति (वर्ष 2024 से 2029 तक) क्रियान्वित कराए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
नीति का उद्देश्य प्रदेश में चारा उत्पादन में वृद्धि करना, गुणवत्तापरक व पौष्टिक चारा वर्ष पर्यन्त उपलब्ध कराना, पशुओं की उत्पादकता बढ़ाकर कृषकों की आय में वृद्धि करना, चारा क्षेत्र में उद्यमिता एवं क्षमता का विकास करना, प्रदर्शन/प्रशिक्षण/जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से चारा फसलों के विकास एवं प्रसार क्षेत्र में वृद्धि करना, चारे को संरक्षित कर आपदा की स्थिति में उपयोग में लाने हेतु एवं साइलेज के रूप में तैयार कर उपयोग करने हेतु किसानों को जागरूक करना है।
चारा नीति के माध्यम से ग्राम समाज की भूमि विशेषकर चारागाहों को चिन्हित कर उन्हें चारा उत्पादन के अन्तर्गत लाया जाएगा। इस कार्य में गैर सरकारी संस्थाओं व निजी संस्थाओं का सहयोग प्राप्त करने हेतु पी0पी0पी0 के अनुरूप कार्ययोजना विकसित की जाएगी। चिन्हित ग्राम समाज की भूमि पर चारा उत्पादन हेतु भूमि प्रबन्धन समिति/एन0जी0ओ0/कृषकों/पशुपालकों को निःशुल्क चारा बीज/रूट स्लिप/पौध उपलब्ध कराए जाएंगे। किसानों द्वारा वर्तमान में प्रयोग में लाए जा रहे निम्न गुणवत्ता के चारा बीजों को उन्नत चारा बीजों से बदलने के लिए योजना लायी जाएगी। जो कृषक खाद्यान्न फसलों के स्थान पर चारा फसलों का उत्पादन करना चाहेंगे, उन किसानों को प्रोत्साहन हेतु निःशुल्क चारा बीज उपलब्ध कराया जाएगा।
पंजीकृत गौशालाओं/राजकीय गो-आश्रय स्थलां के पास उपलब्ध भूमि पर हरा चारा उगाने को प्रोत्साहित किया जाएगा। पंजीकृत गौशालाओं/राजकीय गो-आश्रय स्थलां को चारा उत्पादन हेतु चारा बीज/रूट स्लिप निःशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा। राजकीय विभागों के पास उपलब्ध सरप्लस भूमि को सम्बन्धित विभाग के नियमों के अधीन रहते हुए हरे चारे से आच्छादित करने के लिए इन विभागों से समन्वय कर चिन्हित किया जाएगा। जायद में रिक्त रहने वाली भूमि को चिन्हित कर सम्बन्धित कृषक को हरे चारे के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित कर हरे चारे का सकल आच्छादन क्षेत्रफल बढ़ाया जाएगा। खाद्यान्न की खेती से आच्छादित भूमि को हरा चारा उगाने के अन्तर्गत लाने को प्रोत्साहित किया जाएगा।
कृषि अवशेषों को (पराली, कड़वी, फलों, सब्जियों एवं अन्य अवशेष) को पशु आहार के रूप में उपयोग करने हेतु कृषकों/पशुपालकों को जागरूक किया जाएगा। प्रदेश में चारा विपणन को बढ़ावा देने हेतु चारा विपणन पोर्टल का विकास किया जाएगा, जिससे सम्बन्धित चारा उद्यमी/व्यापारी को सूखे/हरे चारे की उपलब्धता की सुगम जानकारी हो सके। हरे चारे के रूप में साइलेज को बढ़ावा देने के लिए साइलेज निर्माण हेतु उद्यमिता को बढ़ावा देने हेतु पूंजीगत अनुदान/ब्याज प्रतिपूर्ति की व्यवस्था की जाएगी।
प्रदेश में सूखे चारे के भण्डारण एवं परिवहन को सुगम बनाने के उद्देश्य से कम्प्रेस्ड फॉडर ब्लॉक स्थापना हेतु उद्यमियों को पूंजीगत अनुदान/ब्याज प्रतिपूर्ति की व्यवस्था की जाएगी। औद्यानिक क्षेत्रों में फल वृक्षों के मध्य खाली जगहों में लेग्यूम चारा फसलें एवं बाग-बगीचों के चारों ओर बहुवर्षीय चारा फसलों (नैपियर घास/गिनी ग्रास/स्टाईलो) की रोपाई हेतु कृषकों/पशुपालकों को प्रोत्साहित एवं जागरूक किया जाएगा।
इस नीति से चारा उत्पादकों की आय में वृद्धि के साथ-साथ बुनियादी सुविधाओं का विकास होगा तथा वर्ष भर हरे चारे की आपूर्ति सुनिश्चित होगी। चारा उत्पादन की परम्परागत पद्धति में बदलाव होगा, जिससे चारा उत्पादन पर लागत दर कम होगी। प्रदेश में पशुधन संरक्षण एवं संवर्धन के साथ-साथ स्थायी एवं टिकाऊ डेयरी क्षेत्र का विकास होगा। अकृषित भूमि का सर्वोत्तम उपयोग किया जा सकेगा। दैवीय आपदा की स्थिति में चारे एवं भूसे के कमी की पूर्ति की जा सकेगी। साथ ही, स्थायी एवं टिकाऊ डेयरी क्षेत्र का विकास होने से रोजगार के नये अवसर उत्पन्न होगें एवं हरे चारे के उत्पादन एवं प्रसंस्करण क्षेत्र में भी रोजगार सृजन होगा।
वर्ष 2024 से 2029 तक प्रस्तावित यह नीति प्रत्येक 05 वर्ष बाद मूल्यांकन के पश्चात आवश्यकतानुसार संशोधित की जा सकती है। विशेष परिस्थितियों में यह निर्णय पहले भी लिया जा सकता है। इस नीति में किसी एक प्रकार के संशोधन, परिमार्जन एवं परिवर्धन हेतु विभागीय मंत्री सक्षम होंगे।
अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में अस्थायी रूप से मानदेय-शिक्षक रखे जाने की प्रक्रिया एवं कार्य निष्पादन शर्तें स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में अस्थायी रूप से मानदेय-शिक्षक रखे जाने की प्रक्रिया एवं कार्य निष्पादन शर्तें, 2024 को स्वीकृति प्रदान कर दी है। मानदेय शिक्षकों हेतु निर्धारित प्रक्रिया एवं कार्य निष्पादन की शर्तां में कोई भी संशोधन, परिवर्धन, अपमार्जन अथवा परिवर्तन मुख्यमंत्री जी के अनुमोदन से किया जा सकेगा।
ज्ञातव्य है कि मा0 सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली में योजित सिविल अपील संख्या-8300/2016 संजय सिंह व अन्य बनाम उ0प्र0 राज्य व अन्य एवं इससे सम्बन्धित मिस0 अप्लीकेशन संख्या-818/2021 में मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांक 26.08.2020 एवं 07.12.2021 के समादर में अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत तदर्थ शिक्षकों में से जो शिक्षक उ0प्र0 माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड, प्रयागराज द्वारा आयोजित परीक्षा में अन्तिम रूप से चयनित हो गये, उन्हें सम्बन्धित संस्थाओं में नियमित/स्थायी शिक्षक के रूप में नियुक्ति प्रदान कर दी गयी है। शेष कार्यरत तदर्थ शिक्षकों को मा0 सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुपालन में शासनादेश दिनांक 09 नवम्बर, 2023 द्वारा सेवा से पृथक कर दिया गया है।
कतिपय कारणवश अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के पद रिक्त हैं, जिसके कारण शिक्षण कार्य प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो रहा है। ऐसी स्थिति में प्रश्नगत संस्थाओं में शैक्षणिक कार्य को सुचारु रूप से सम्पादित किये जाने हेतु न्यूनतम कार्यात्मक आवश्यकता के दृष्टिगत नितांत अस्थायी तौर पर मानदेय शिक्षक रखे जाने की आवश्यकता है। उक्त हेतु मानदेय शिक्षक रखे जाने की प्रकिया एवं कार्य निष्पादन शर्तों का निर्धारण किया गया है।
इसके तहत जिन तदर्थ शिक्षकों की सेवायें शासनादेश दिनांक 09 नवम्बर, 2023 द्वारा समाप्त की गयी है, वे ही मानदेय शिक्षक हेतु पात्र होंगे। मानदेय शिक्षक नितांत अस्थायी तौर पर रखे जायेंगे। यथासम्भव मानदेय शिक्षक को अध्यापन की न्यूनतम कार्यात्मक आवश्यकता के दृष्टिगत उसी विद्यालय में रखा जायेगा, जिनमें वे तदर्थ शिक्षक के रूप में कार्यरत रहे हैं। उक्त संस्था में अध्यापन की न्यूनतम कार्यात्मक आवश्यकता नहीं होने पर जनपद अथवा मण्डल की अन्य संस्थाओं में अध्यापन की न्यूनतम कार्यात्मक आवश्यकता के दृष्टिगत मानदेय शिक्षक को रखा जा सकेगा। मण्डल के बाहर मानदेय शिक्षक को यथासंभव उन्हीं संस्थाओं में रखा जायेगा, जहाँ नियमित पद रिक्त हों। मानदेय शिक्षक की दो श्रेणियां-मानदेय शिक्षक (हाईस्कूल स्तर) एवं मानदेय शिक्षक (इण्टरमीडिएट स्तर) होंगी।
हाईस्कूल स्तर के मानदेय शिक्षक हेतु मानदेय की धनराशि 25,000 रुपये प्रतिमाह एवं इण्टरमीडिएट स्तर के मानदेय शिक्षक हेतु मानदेय की धनराशि 30,000 रुपये प्रतिमाह होगी। मानदेय शिक्षक अधिकतम 62 वर्ष की आयु पूर्ण करने तक अध्यापन कार्य कर सकेगा। मानदेय शिक्षक सृजित/नियमित पद के अतिरिक्त होंगे।
उ0प्र0 नोडल विनिधान रीजन विनिर्माण (निर्माण) क्षेत्र विधेयक-2024 का आलेख अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश नोडल विनिधान रीजन विनिर्माण (निर्माण) क्षेत्र विधेयक-2024 के आलेख को अनुमोदित कर दिया है।
उत्तर प्रदेश को 01 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने हेतु निवेश आकर्षित करने में राज्य सरकार की भूमिका अतिमहत्वपूर्ण है। इस सम्बन्ध में विनिर्माण हेतु उत्तर प्रदेश नोडल विनिधान क्षेत्र (नोडल इन्वेस्टमेंट रीजन फॉर मैन्युफैक्चरिंग-निर्माण) अधिनियम, 2024 को क्रियान्वित किया जाएगा।
विनिर्माण हेतु चीन प्लस वन दृष्टिकोण अपनाने वाली कम्पनियों की वैश्विक प्रवृत्ति, उत्तर प्रदेश को चीन के बाहर विनिर्माण करने के आशय वाली कम्पनियों को आकर्षित करने तथा विशेष रूप से श्रम-गहन क्षेत्रों में वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी प्राप्त किये जाने हेतु उक्त अधिनियम लागू किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश में बड़े आकार के निवेश क्षेत्रों अथवा क्लस्टर्स की स्थापना, संचालन, विनियमन एवं प्रबन्धन करने, औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित करने तथा नवीन निवेश की सुविधा हेतु व्यापार करने में आसानी (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) होगी। आर्थिक विकास को गति मिलेगी। जन सामान्य को रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे, जिससे जन सामान्य को प्रत्यक्ष लाभ होगा।
इस अधिनियम की मुख्य विशेषताओं के अन्तर्गत राज्य सरकार को निर्माण क्षेत्र के रूप में भूमि के किसी भी क्षेत्र को अधिसूचित करने की शक्ति होगी, बशर्ते उक्त क्षेत्र, राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर घोषित किए गये न्यूनतम क्षेत्रफल को आच्छादित करता हो। निर्माण क्षेत्र स्थानीय प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र से बाहर होगा। अधिनियम के तहत उत्तर प्रदेश निर्माण क्षेत्र बोर्ड, निर्माण क्षेत्र प्राधिकरण एवं निर्माण क्षेत्र समिति का गठन किया जाएगा।
मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश निर्माण क्षेत्र बोर्ड के अध्यक्ष होंगे। निर्माण क्षेत्र समिति के अध्यक्ष अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त एवं उपाध्यक्ष प्रमुख सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग होंगे। निर्माण क्षेत्र प्राधिकरण में एक मुख्य कार्यपालक अधिकारी एवं न्यूनतम 02 अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा उद्योग के प्रतिनिधि एवं अन्य विभागों के सम्बन्धित सदस्य व आवश्यकतानुसार अन्य शासकीय एवं गैर शासकीय सदस्य शामिल होंगे।
निर्माण क्षेत्र प्राधिकरण द्वारा सम्बन्धित अधिनियमों, नियमों, विनियमों अथवा अधिसूचनाओं (यथा-श्रम, प्रदूषण बोर्ड, स्टाम्प, अग्निशमन, उद्योग, स्थानीय नगर निकाय) के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली स्वीकृतियां/अनुमोदन/अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रदान किये जाएंगे। निर्माण क्षेत्र प्राधिकरण द्वारा तैयार किये गये मास्टर प्लान को अनुमोदित करने की शक्ति निर्माण क्षेत्र समिति को प्रदान की जाएगी।
इस अधिनियम के अन्तर्गत प्रत्येक निर्माण क्षेत्र द्वारा स्थापित किये जाने वाले रिवॉल्विंग फण्ड के लिए राज्य सरकार द्वारा 10 करोड़ रुपये की राशि का प्रथम योगदान किया जाएगा।
निर्माण क्षेत्रों की स्थापना करके, राज्य में विशिष्ट उद्योगों एवं क्षेत्रों पर केन्द्रित विशेष क्लस्टर्स स्थापित किये जाएंगे। इस दृष्टिकोण को विभिन्न देशों में सफलतापूर्वक लागू किया गया है, जिससे उत्पादकता, नवाचार एवं प्रतिस्पर्द्धात्मकता में वृद्धि हुई है। निर्माण क्षेत्र स्वदेशी एवं विदेशी निवेश के साथ-साथ कुशल प्रतिभा को भी आकर्षित करेंगे। इन क्लस्टर्स में संसाधनों एवं विशेषज्ञता पर ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र सृजित किया जाएगा, जो व्यापार, वृद्धि एवं विकास के अनुकूल होगा, जिससे क्षेत्र में और अधिक निवेश एवं प्रतिभा आकर्षित होगी।
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उ0प्र0 एग्रीटेक नीति-2024 अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने कृषि डिजिटल सेवाओं के उपयोग को बढ़ावा देने एवं कृषि को बेहतर बनाने हेतु उत्तर प्रदेश एग्रीटेक नीति-2024 को अनुमोदित कर दिया है। यह नीति वर्ष 2024-25 से प्रभावित होगी। इसका कार्य क्षेत्र सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश होगा।
उत्तर प्रदेश कृषि की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य है। प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि और सम्बन्धित क्षेत्र का योगदान 26 प्रतिशत है। प्रदेश के लगभग 2.63 करोड़ किसानों की आजीविका का मुख्य स्रोत कृषि है। प्रदेश में कृषि और सम्बन्धित क्षेत्र की वर्तमान वृद्धि दर 10 प्रतिशत है, जिसे 20 प्रतिशत तक बढ़ाये जाने के लिए राज्य सरकार प्रयासरत है। इसमें एग्रीटेक सेवाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
एग्रीटेक का तात्पर्य है कि खेती और इससे जुड़े क्षेत्रों में नयी तकनीकियों का उपयोग करके किसानों को किसी फसल विशेष की खेती के विभिन्न चरणों पर की जाने वाली उन्नत कृषि क्रियाआें की ससमय सटीक जानकारी प्रदान करना, जिससे खेती की लागत में कमी, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि तथा किसान की आय में भी वृद्धि हो। एग्रीटेक को बढ़ावा देने में डाटा का महत्वपूर्ण स्थान है। इसका सुरक्षित विनिमय एग्रीटेक सेवाओं का महत्वपूर्ण भाग है। उत्तर प्रदेश ने भारत सरकार की एग्रीस्टैक पहल के तहत डिजिटल फसल सर्वेक्षण के प्रारम्भिक चरण को पूरा करते हुए विभिन्न प्रकार के डाटाबेस तैयार किये हैं। इन डाटाबेस एवं अन्य डाटाबेस का सुरक्षित विनिमय कृषि डेटा एक्सचेंज प्लेटफॉर्म विकसित करके किया जायेगा। इस उद्देश्य से प्रदेश में एग्रीटेक नीति प्रख्यापित की जा रही है।
एग्रीटेक नीति के प्रख्यापन से प्रदेश में कृषि प्रौद्योगिकी नवाचारों को बढ़ावा दिया जा सकेगा। कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप को बढ़ावा देते हुए एग्रीटेक सेवाओं के प्रभावी उपयोग हेतु किसानों का क्षमतावर्धन एवं एग्रीटेक सेवा प्रदाताओं के लिए अनुकूल वातावरण का विकास किया जा सकेगा। एग्रीटेक नीति के क्रियान्वयन हेतु 05 वर्षों में 21.65 करोड़ रुपये का व्यय सम्भावित है, जिसके लिए राज्य सरकार द्वारा 05 वर्षों के लिए बजट प्राविधान कराया जायेगा एवं आवश्यकतानुसार आगामी वर्षों में अतिरिक्त बजट का प्राविधान किया जा सकेगा।
एग्रीटेक नीति के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु परियोजना प्रबन्धन इकाई (पी0एम0यू0) स्थापित की जाएगी। परियोजना प्रबन्धन इकाई नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए उत्तरदायी होगी। एग्रीटेक नीति के अनुश्रवण के लिए निदेशक कृषि की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय क्रियान्वयन समिति एवं अपर मुख्य सचिव (कृषि) की अध्यक्षता में एक राज्य स्तरीय स्टीयरिंग समिति होगी, जो रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान करेगी।
अधिक से अधिक किसानों तक एग्रीटेक सेवाओं की पहुंच से कृषक एग्रीटेक को समझने एवं उनका उपयोग करने में सक्षम हो जायेंगे, जिसके फलस्वरूप विभिन्न फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि होगी। प्रदेश में अधिक से अधिक एग्रीटेक स्टार्टअप/कम्पनियों को अपनी सेवाएं संचालित करने हेतु प्रोत्साहन मिलेगा एवं एग्रीटेक सैंडबॉक्स में नई एग्रीटेक तकनीकों की टेस्टिंग हेतु सुविधा प्राप्त होगी।
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संस्था इण्डिया ट्रेड प्रमोशन आर्गनाइजेशन एवं उ0प्र0 सरकार के सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम तथा निर्यात
प्रोत्साहन विभाग (निर्यात प्रोत्साहन ब्यूरो के माध्यम से) के मध्य समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किए जाने का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने भारत सरकार की संस्था इण्डिया ट्रेड प्रमोशन आर्गनाइजेशन (आई0टी0पी0ओ0) एवं उत्तर प्रदेश सरकार के सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम तथा निर्यात प्रोत्साहन विभाग (निर्यात प्रोत्साहन ब्यूरो के माध्यम से) के मध्य एक समझौता ज्ञापन तथा इसे हस्ताक्षरित किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस सम्बन्ध में किसी भी प्राविधान का संशोधन, परिमार्जन तथा स्पष्टीकरण मुख्यमंत्री जी के अनुमति से किए जाने की स्वीकृति भी मंत्रिपरिषद द्वारा प्रदान की गयी है।
प्रदेश में औद्योगिक निवेश के अत्यन्त अनूकूल वातावरण को बढ़ावा देने के क्रम में आई0टी0पी0ओ0 एवं राज्य सरकार के एम0एस0एम0ई0 विभाग के मध्य समझौता ज्ञापन किया जाना है।
इण्डिया ट्रेड प्रमोशन आर्गनाईजेशन द्वारा नई दिल्ली में भारत मण्डपम के रूप में एक अत्यन्त उत्कृष्ट कोटि की अवस्थापनात्मक सुविधा स्थापित की गयी है, जहाँ निरन्तर राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय स्तर के व्यापार मेलों का आयोजन किया जाता है। इस संस्था को ऐसी अवस्थापनात्मक सुविधा निर्मित करने तथा व्यापार मेलों का आयोजन करने में दक्षता प्राप्त है।
कई राज्यों यथा-तमिलनाडु, कर्नाटक आदि द्वारा आई0टी0पी0ओ0 के सहयोग से अपने-अपने प्रदेश में व्यापार मेलों के लिए उत्कृष्ट कोटि की अवस्थापनात्मक सुविधाएँ स्थापित की गयी हैं, जिनमें उच्च स्तर के मेलों का आयोजन किया जाता है।
उत्तर प्रदेश में विनिर्माण के लिए हो रहे निवेश के फलस्वरूप बनने वाले उत्पादों के लिए व्यापक राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय बाजार तक पहुँच की आवश्यकता होगी। 01 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए यह अत्यन्त महत्वपूर्ण कदम होगा।
उत्तर प्रदेश में उच्च कोटि की अवस्थापनात्मक सुविधाएँ स्थापित करने हेतु आई0टी0पी0ओ0 से तकनीकी सहयोग प्राप्त किया जाना उपयुक्त होगा। इसके लिए उनकी सहायता से संयुक्त रूप से एक स्पेशल परपज व्हीकल का निर्माण किया जा सकता है। आई0टी0पी0ओ0 का प्रबन्धन इस हेतु सहमत है।
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