लखनऊ : (मानवी मीडिया) कक्षा 1 से 8 तक सरकारी विद्यालयों में बच्चों के लिए परोसे जाने वाले मध्यान्ह भोजन में मोटा आनाज अभी तक शामिल नहीं हुआ है। जबकि इसके लिए पिछले साल तेजी से जागरूकता अभियान चलाया गया। मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा ने इसे मध्यान्ह भोजन में शामिल करने के लिए कहा था। लेकिन ये अभियान कागजों तक ही सिमट कर रह गया, हकीकत में बच्चों को मोटा आनाज नहीं मिल सका है। जिम्मेदार विभाग के अधिकारी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है उनका यही कहना है ये आनाज केन्द्र सरकार की ओर से मिलना था जो कि अभी तक नहीं मिला है। हालांकि अब नये शैक्षिक सत्र 2024-25 में बच्चों मोटा अनाज मिल सके इसके लिए तैयारी की जा रही है।पूरे प्रदेश में 1.33 लाख से अधिक प्राइमरी और जूनियर विद्यालयों का संचालन होता है इनमें 1.75 करोड़ बच्चे पढ़ाई करते हैं। योजना के मुताबिक, मध्याह्न भोजन में छात्रों को बाजरे की रोटी या खिचड़ी परोसी जानी थी । मध्याह्न भोजन प्राधिकरण को अनुमानित 60,000 टन मोटा अनाज खरीदने की जरूरत है। वर्तमान में सप्ताह में छह दिन बच्चों को सब्जियों या प्रोटीन के साथ गेहूं या चावल से बने व्यंजन परोसे जाते हैं।
लखनऊ : (मानवी मीडिया) कक्षा 1 से 8 तक सरकारी विद्यालयों में बच्चों के लिए परोसे जाने वाले मध्यान्ह भोजन में मोटा आनाज अभी तक शामिल नहीं हुआ है। जबकि इसके लिए पिछले साल तेजी से जागरूकता अभियान चलाया गया। मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा ने इसे मध्यान्ह भोजन में शामिल करने के लिए कहा था। लेकिन ये अभियान कागजों तक ही सिमट कर रह गया, हकीकत में बच्चों को मोटा आनाज नहीं मिल सका है। जिम्मेदार विभाग के अधिकारी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है उनका यही कहना है ये आनाज केन्द्र सरकार की ओर से मिलना था जो कि अभी तक नहीं मिला है। हालांकि अब नये शैक्षिक सत्र 2024-25 में बच्चों मोटा अनाज मिल सके इसके लिए तैयारी की जा रही है।पूरे प्रदेश में 1.33 लाख से अधिक प्राइमरी और जूनियर विद्यालयों का संचालन होता है इनमें 1.75 करोड़ बच्चे पढ़ाई करते हैं। योजना के मुताबिक, मध्याह्न भोजन में छात्रों को बाजरे की रोटी या खिचड़ी परोसी जानी थी । मध्याह्न भोजन प्राधिकरण को अनुमानित 60,000 टन मोटा अनाज खरीदने की जरूरत है। वर्तमान में सप्ताह में छह दिन बच्चों को सब्जियों या प्रोटीन के साथ गेहूं या चावल से बने व्यंजन परोसे जाते हैं।