उत्तर प्रदेश में मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय - मानवी मीडिया

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Tuesday, June 25, 2024

उत्तर प्रदेश में मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

 


लखनऊ (मानवी मीडिया)उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए :-

अयोध्या में विश्वस्तरीय मन्दिर संग्रहालय का निर्माण एवं संचालन किए जाने के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने अयोध्या स्थित तहसील सदर के ग्राम मांझा जमथरा की नजूल भूमि गाटा-57 मि0 जुमला में टाटा ग्रुप के सहयोग (सी0एस0आर0 फण्ड) द्वारा विश्वस्तरीय मन्दिर संग्रहालय के निर्माण एवं संचालन हेतु भूमि के उपयोग का 90 वर्ष का लाइसेंस एक रुपये प्रतिवर्ष की टोकन दर पर दिए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। विश्वस्तरीय मन्दिर संग्रहालय के निर्माण एवं संचालन हेतु संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार एवं टाटा संस प्रा0लि0 के मध्य त्रिपक्षीय एम0ओ0यू0 को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हस्ताक्षरित किए जाने के प्रस्ताव को भी मंत्रिपरिषद ने स्वीकृति दे दी है।

मंत्रिपरिषद द्वारा उक्त एम0ओ0यू0 को उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से हस्ताक्षरित करने हेतु अधिकारी नामित करने के लिए प्रमुख सचिव पर्यटन, उ0प्र0 शासन को अधिकृत किया गया है। प्रकरण में आवश्यकतानुसार अग्रेतर निर्णय लिए जाने हेतु मंत्रिपरिषद द्वारा मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया गया है।

विविध पर्यटन आकर्षणों की दृष्टि से उत्तर प्रदेश भारत का सबसे महत्वपूर्ण राज्य है। भारत में घरेलू पर्यटकों एवं विदेशी पर्यटकों के आगमन की दृष्टि से उत्तर प्रदेश अग्रणी राज्य है। अपनी गौरवशाली ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासतों तथा समृद्ध प्राकृतिक वन सम्पदा की दृष्टि से उत्तर प्रदेश में पर्यटन की असीम सम्भावनाएं विद्यमान हैं।

भगवान श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या एक विश्वस्तरीय धार्मिक एवं आध्यात्मिक पर्यटन गन्तव्य के रूप में विकसित हो रहा है। अयोध्या में वर्ष 2021 में लगभग 1.58 करोड़ पर्यटक आये थे। वर्ष 2022 में लगभग 2.40 करोड़ तथा वर्ष 2023 में लगभग 5.75 करोड़ पर्यटक आये थे। 22 जनवरी, 2024 को श्री राम जन्मभूमि प्रांगण में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के उपरान्त अयोध्या आने वाले पर्यटकों की संख्या में अभूतपूर्व गुणात्मक वृद्धि हुई है। 22 जनवरी, 2024 से प्रतिदिन लगभग 2 से 4 लाख पर्यटक अयोध्याधाम आ रहे हैं।

वर्तमान में अयोध्या आने वाले पर्यटकों का मुख्य आकर्षण केन्द्र श्रीराम जन्मभूमि परिसर एवं समीपवर्ती स्थित कनक भवन, हनुमान गढ़ी एवं अन्य धार्मिक स्थल हैं। यह पर्यटक धार्मिक पूजा-अर्चना हेतु श्रद्धाभाव से अयोध्या आते हैं। नई पीढ़ी के युवाओं, विदेशी पर्यटकों, भारतीय सभ्यता और संस्कृति में रूचि रखने वाले अन्य पर्यटकों को अयोध्या के प्रति आकर्षित करने हेतु आवश्यक पर्यटक गन्तव्य का वर्तमान में अयोध्या में एक प्रकार का अभाव है।

टाटा संस द्वारा अयोध्या में भारतीय मन्दिर संग्रहालय के निर्माण हेतु सी0एस0आर0 फण्ड से लगभग 650 करोड़ रुपये का व्यय तथा प्रश्नगत भूमि में आधारभूत अवस्थापना सुविधाओं एवं साइट के विकास हेतु लगभग 100 करोड़ रुपये का व्यय किया जाना सम्भावित है। इस प्रकार टाटा संस द्वारा कुल लगभग 750 करोड़ रुपये का सम्भावित व्यय अपने सी0एस0आर0 फण्ड से भारतीय मन्दिर संग्रहालय के विकास हेतु किया जायेगा।

टाटा संस सरीखे प्रतिष्ठित संस्थान द्वारा अपने वित्तीय स्रोतों से विश्वस्तरीय मन्दिर संग्रहालय का निर्माण कराये जाने से मन्दिर संग्रहालय निर्माण में प्रवीणता एवं दक्षता परिलक्षित होगी। साथ ही, साथ प्रदेश सरकार द्वारा मन्दिर संग्रहालय के निर्माण हेतु व्यय की जाने वाली धनराशि की भी बचत होगी, जिसे अन्य जनोपयोगी परियोजनाओं में प्रयुक्त किया जा सकेगा।

अयोध्या में एक विश्वस्तरीय मन्दिर संग्रहालय के निर्माण से अयोध्या सहित प्रदेश के अन्य स्थलों पर पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। टाटा संस की प्रतिष्ठा, प्रवीणता एवं सी0एस0आर0 फण्ड द्वारा मन्दिर संग्रहालय की स्थापना एवं संचालन किये जाने की प्रदर्शित इच्छा से प्रदेश सरकार के बजट में होने वाली बचत तथा प्रदेश में राजस्व एवं रोजगार के नये अवसरों के सृजन के दृष्टिगत उक्त प्रस्ताव जनहित में ग्राह्य किया जाना उपयुक्त है।

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जनपद सहारनपुर में माँ शाकुम्भरी देवी धाम पर पर्यटन विकास कार्य हेतु पर्यटन विभाग को निःशुल्क भूमि उपलब्ध कराये जाने के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने ग्राम मिरगपुर पांजूवाला, तहसील बेहट, जनपद सहारनपुर की खाता संख्या 00189 तथा खाता संख्या 0049 की कुल 0.369 हेक्टेयर भूमि श्रेणी-1 माँ शाकुम्भरी देवी धाम पर पर्यटन विकास कार्य हेतु पर्यटन विभाग को निःशुल्क उपलब्ध कराए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है। मंत्रिपरिषद ने प्रकरण में आवश्यकतानुसार अग्रेतर निर्णय लेने के लिए मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया है।

ज्ञातव्य है कि सहारनपुर जनपद मुख्यालय से 45 कि0मी0 दूर शिवालिक पर्वत श्रृंखला में स्थित सिद्धपीठ माँ शाकुम्भरी देवी मन्दिर स्थित है। इस मन्दिर की गणना देश की 51 पवित्र शक्तिपीठों में की जाती है। माँ शाकुम्भरी देवी आदिशक्ति का ही स्वरूप हैं। सिद्धपीठ में निर्मित माता के पावन भवन में माता शाकुम्भरी देवी, भीमा, भ्रामरी एवं शताक्षी देवी की भव्य एवं प्राचीन मूर्ति स्थापित हैं। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार शिवालिक पर्वत पर पुरातनकाल में माँ गौरी नारायणी का शीश गिरा था। मान्यता है कि माँ भगवती सूक्ष्म रूप में इसी स्थल पर वास करती हैं। नवरात्र के दिनों में लाखों की संख्या में श्रद्धालु उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, हरियाणा, पंजाब व हिमाचल प्रदेश आदि से दर्शनार्थ आते हैं।

परियोजना के पूर्ण हो जाने पर पर्यटन सुविधाएं बढ़ेंगी। इससे पर्यटकों के आवागमन में वृद्धि होगी, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा तथा पर्यटन क्षेत्र के विविध आयामों का विकास सम्भव हो सकेगा।

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पर्यटन विभाग के बन्द/घाटे में चल रहे/असंचालित पर्यटक आवास गृहों को पी0पी0पी0 मोड पर विकसित कर संचालित किए जाने के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने पर्यटन विभाग के राही पर्यटक आवास गृह, मुंशीगंज (अमेठी), राही पर्यटक आवास गृह, खुर्जा (बुलन्दशहर), राही पर्यटक आवास गृह, देवाशरीफ (बाराबंकी) व राही पर्यटक आवास गृह, हरगांव (सीतापुर) को सार्वजनिक निजी सहभागिता (पी0पी0पी0) मोड पर विकसित व संचालित कराये जाने हेतु निर्धारित दर पर लीज पर दिये जाने के साथ ही लेटर ऑफ अवॉर्ड जारी किये जाने एवं चयनित फर्म तथा विभाग के मध्य अनुबंध किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।

मंत्रिपरिषद ने पर्यटन विभाग के राही पर्यटक आवास गृह, कछला (बदायूं), राही पर्यटक आवास गृह, इटावा (इटावा), राही पर्यटक आवास गृह, कपिलवस्तु (सिद्धार्थनगर), राही पर्यटक आवास गृह, शिकोहाबाद (फिरोजाबाद), यात्री निवास विन्ध्याचल (मीरजापुर), राही पर्यटक आवास गृह, गोपीगंज (भदोही) व झील महल रेस्टोरेण्ट (मऊ) को सार्वजनिक निजी सहभागिता (पी0पी0पी0) मोड पर विकसित व संचालित कराये जाने हेतु आर0एफ0क्यू0 की ई-निविदा के सापेक्ष प्राप्त निविदाकर्ता फर्मों का शॉर्टलिस्ट किये जाने, आर0एफ0पी0 निविदा प्रपत्रों एवं शॉर्टलिस्टेड निविदाकर्ताओं के मध्य आर0एफ0पी0 की ई-निविदा आमंत्रित किये जाने के प्रस्ताव को भी अनुमोदित कर दिया है।

मंत्रिपरिषद ने प्रकरण में आवश्यकतानुसार अग्रेतर निर्णय लिए जाने हेतु मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया है।

ज्ञातव्य है कि देश में पर्यटन उद्योग का परिदृश्य निरन्तर बदल रहा है। पर्यटन विभाग के बंद घाटे में चल रहे/असंचालित पर्यटक आवास गृहों को पी0पी0पी0 मोड पर विकसित कर संचालित किये जाने में प्रशिक्षित/विशेषज्ञ संस्थाओं की आवश्यकता है, जिनका निर्माण एवं संचालन विशेषज्ञ संस्थाओं/निजी निवेशकों द्वारा कराया जाना पर्यटन के दृष्टिकोण से लाभकारी एवं लोकप्रिय होगा। इससे पर्यटन उद्योग से जुड़े हुए व्यवसायियों एवं सेवा प्रदाताओं का आर्थिक उन्नयन होगा।

विविध पर्यटन आकर्षणों की दृष्टि से उत्तर प्रदेश भारत का सबसे महत्वपूर्ण राज्य है। अपनी गौरवशाली ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासतों तथा समृद्ध प्राकृतिक वन सम्पदा की दृष्टि से उत्तर प्रदेश में पर्यटन की असीम सम्भावनायें विद्यमान हैं। पर्यटन विभाग के बन्द/घाटे में चल रहे/असंचालित पर्यटक आवास गृहों को पी0पी0पी0 मोड पर विकसित कर संचालित किए जाने से पर्यटकों के लिए उच्चस्तरीय सुविधाएं विकसित करने तथा प्रदेश में निजी निवेश को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

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जनपद लखनऊ, प्रयागराज एवं कपिलवस्तु में पर्यटन विकास के दृष्टिगत हेलीकॉप्टर सेवा संचालन के लिए हेलीपैड को पी0पी0पी0 मोड पर विकसित एवं संचालित कराए जाने के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने जनपद लखनऊ, प्रयागराज एवं कपिलवस्तु स्थित हेलीपैड को सार्वजनिक निजी सहभागिता (पी0पी0पी0) मोड पर निजी निवेशकों के माध्यम से विकसित एवं संचालित कराए जाने हेतु आर0एफ0पी0/डी0सी0ए0 रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल वॉल्यूम-प्ः इन्स्ट्रक्शन टू बिडर्स, वॉल्यूम-प्प्ः ड्राफ्ट कन्सेशन एग्रीमेन्ट एवं वॉल्यूम-प्प्प्ः ड्राफ्ट शिड्यूल्स टू कन्सेशन एग्रीमेन्ट को अनुमोदित कर दिया है। मंत्रिपरिषद द्वारा शॉर्टलिस्टेड निविदाकर्ताओं के मध्य आर0एफ0पी0/डी0सी0ए0 की निविदा कराए जाने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति प्रदान की गई है।

ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश में पर्यटन उद्योग के बहुआयामी महत्व को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के मुख्य पर्यटन स्थलों/आकर्षणों और पर्यटन सम्भावनाओं के प्रति अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करने पर जोर दिया जा रहा है। इसके दृष्टिगत पर्यटकों के लिए अन्तरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं का सृजन किया जा रहा है ताकि यहाँ पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हो सके।

जनपद आगरा एवं मथुरा प्रमुख पर्यटन स्थल होने के कारण इन जनपदों में वर्षपर्यन्त देशी एवं विदेशी पर्यटकों का आगमन होता है। पर्यटन के क्षेत्र में विभिन्न पर्यटन स्थलों को वायुसेवा से जोड़ने हेतु हेलीपैड के महत्व के दृष्टिगत प्रथम चरण में प्रदेश के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों यथा-आगरा एवं मथुरा में हेलीपैड के पी0पी0पी0 मोड पर संचालन की पहल की गयी है।

जनपद लखनऊ, प्रयागराज एवं कपिलवस्तु स्थित हेलीपैड को सार्वजनिक निजी सहभागिता (पी0पी0पी0 मोड) पर विशेषज्ञ संस्थाओं/निजी निवेशकों के माध्यम से विकसित कर संचालित किये जाने से इन स्थलों पर हेलीपोर्ट की सुविधा से देशी-विदेशी पर्यटकों और श्रद्धालुओं का अनुभव बेहतर होगा, सैलानियों की संख्या बढ़ेगी, रोजगार के नये अवसर सृजित होंगे, लोगों का आर्थिक उन्नयन होगा तथा राजस्व में वृद्धि होगी।

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प्रदेश के प्राचीन तथा विरासत भवनों को एडाप्टिव रि-यूज के अन्तर्गत पी0पी0पी0 मॉडल पर पर्यटन इकाईयों के रूप में विकसित व संचालित कराये जाने के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के प्राचीन तथा विरासत भवनों को एडाप्टिव रि-यूज के अन्तर्गत सार्वजनिक-निजी सहभागिता (पी0पी0पी0) मॉडल पर पर्यटन इकाईयों के रूप में विकसित व संचालित कराये जाने हेतु कोठी रोशन-उद्-दौला (लखनऊ), बरसाना जल महल (मथुरा) तथा शुक्ला तालाब (कानपुर देहात) की तकनीकी निविदा, तकनीकी प्रस्तुतीकरण एवं वित्तीय निविदा सम्बन्धी प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।

ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश प्राचीन काल से भारत के उन राज्यों में से एक है जो सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक धरोहरों की दृष्टि से समृद्ध भारतीय इतिहास को परिभाषित करता है। पर्यटन के लिये महत्वपूर्ण इन धरोहरों के मामले में उत्तर प्रदेश भारत का सबसे महत्वपूर्ण राज्य भी है। अपनी गौरवशाली ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासतों तथा समृद्ध प्राकृतिक वनसम्पदा की दृष्टि से उत्तर प्रदेश में पर्यटन की असीम सम्भावनाएं विद्यमान हैं।

भवन संरक्षण एवं पुरातात्विक अनुसंधान की आवश्यकताओं के लिए विरासत सम्पत्तियों को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण या राज्य पुरातत्व निदेशालय के अन्तर्गत निहित विधिक प्राविधानों द्वारा संरक्षित घोषित किया गया है। वर्तमान में प्रदेश में स्थित विरासत सम्पत्तियां समुचित अनुरक्षण के अभाव में क्षतिग्रस्त हो रही हैं। इनकी देख-रेख हेतु पर्याप्त मानव संसाधन नहीं होने के कारण इनमें लगी सामग्रियों की चोरी तथा भवन परिसर की क्षति की सम्भावना रहती है। ऐसे परिसर असामाजिक तत्वों की अराजक गतिविधियों के केन्द्र भी बन सकते हैं। इस प्रकार यह प्राचीन धरोहर भवन वर्तमान में स्थानीय नागरिकों एवं पर्यटकों के लिये उपयोगी नहीं हैं। इससे सरकार को कोई आर्थिक लाभ या राजस्व की प्राप्ति भी नहीं हो पा रही है।

 इस उद्देश्य से प्रदेश के प्राचीन धरोहर भवनों (हेरिटेज बिल्डिंग्स) को एडाप्टिव रि-यूज के अन्तर्गत सार्वजनिक-निजी सहभागिता (पी0पी0पी0) मॉडल पर हेरिटेज पर्यटन इकाईयों के रूप में विकसित किया जाना है। इससे पर्यटन उद्योग से जुड़े हुए व्यवसायियों एवं सेवा प्रदाताओं का आर्थिक उन्नयन होगा।

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मुख्यमंत्री टूरिज्म फेलोशिप कार्यक्रम के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने मुख्यमंत्री टूरिज्म फेलोशिप कार्यक्रम योजना सम्बन्धी प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। मंत्रिपरिषद द्वारा भविष्य में किसी अग्रेतर संशोधन/निर्णय के लिए मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया गया है।

मुख्यमंत्री टूरिज्म फेलोशिप कार्यक्रम का उद्देश्य प्रदेश के युवाओं को सरकार के साथ पर्यटन नीति, प्रबन्धन, कार्यान्वयन, अनुश्रवण के कार्यों में सहभागिता का विशिष्ट अवसर प्रदान करना है। प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति पारिस्थितिकी से जुड़े स्थलों के सर्वांगीण विकास, केन्द्र/राज्य सरकार द्वारा कार्यान्वित योजनाओं के समवर्ती मूल्यांकन, संरचना तथा प्रदेश में मेले-महोत्सवों के आयोजन की रूप-रेखा तैयार करने हेतु शोधार्थियों का चयन किया जाना है। इससे प्रदेश की पर्यटन विकास योजनाओं एवं कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में प्रतिभाशाली एवं ऊर्जावान शोधार्थियों की सहभागिता सुनिश्चित हो सकेगी।

मुख्यमंत्री टूरिज्म फेलोशिप कार्यक्रम के अन्तर्गत पर्यटन, संस्कृति, ऐतिहासिक, तथा पारिस्थितिकी से जुड़े सम्बद्ध क्षेत्र के शोध कार्य करने वाले शोधार्थियों का चयन किया जाएगा। चयनित शोधार्थियों के द्वारा जिलाधिकारी, मण्डलायुक्त तथा सम्बन्धित पर्यटन विभाग के अधिकारी के पर्यवेक्षण में कार्य किया जायेगा।

चयनित शोधार्थियों द्वारा पर्यटन विभाग की योजनाओं एवं मेले महोत्सवों के समेकित कार्यान्वयन की रूप-रेखा तैयार कराने एवं उसका क्रियान्वयन कराने में सहयोग किया जाएगा। पर्यटन के क्षेत्र में विभिन्न राज्यों एवं देशों द्वारा अपनायी गई बेस्ट प्रैक्टिसेस का चयनित शोधार्थियों द्वारा अध्ययन करते हुए उनके क्रियान्वयन सम्बन्धी सुझाव पर्यटन विभाग को प्रस्तुत किए जाएंगे।

मुख्यमंत्री टूरिज्म फेलोशिप कार्यक्रम के कार्यान्वयन एवं प्रबन्धन का कार्य पर्यटन विभाग द्वारा किया जाएगा। शोधार्थियों के चयन में होटल प्रबन्धन, खान-पान प्रौद्योगिकी एवं अनुप्रयुक्त पोषाहार संस्थान, मान्यवर कांशीराम पर्यटन प्रबन्ध संस्थान, लखनऊ तथा फूड क्राफ्ट संस्थान, अलीगढ़ का भी सहयोग प्राप्त किया जाएगा।

मुख्यमंत्री टूरिज्म फेलोशिप कार्यक्रम में चयन हेतु अभ्यर्थियों को पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। कार्यक्रम के अन्तर्गत चयनित शोधार्थी की सम्बद्धता अवधि कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से एक वर्ष के लिए मान्य होगी। उत्कृष्ट कार्य के आधार पर सम्बद्धता अवधि को एक वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकेगा। चयनित शोधार्थियों को पारिश्रमिक के रूप में 30 हजार रुपये तथा क्षेत्र भ्रमण हेतु 10 हजार रुपये प्रतिमाह भुगतान किया जाएगा। शोधार्थी को एक टैबलेट उपलब्ध कराया जाएगा। आवास की व्यवस्था शोधार्थी द्वारा स्वयं की जाएगी।

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प्रयागराज और आगरा में इंटीग्रेटेड मैनुफैक्चरिंग क्लस्टर्स की स्थापना के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने भारत सरकार की अमृतसर-कोलकाता इण्डस्ट्रियल कॉरीडोर परियोजना के अन्तर्गत प्रयागराज और आगरा में एक-एक इंटीग्रेटेड मैनुफैक्चरिंग क्लस्टर की स्थापना हेतु राज्य सरकार, यूपीसीडा एवं केन्द्र सरकार की कार्यदायी संस्था नेशनल इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर डेवलपमेंट एण्ड इम्प्लीमेंटेशन ट्रस्ट (एन0आई0सी0डी0सी0 ट्रस्ट) के मध्य हस्ताक्षरित किये जाने वाले त्रिपक्षीय स्टेट सपोर्ट एग्रीमेंट के आलेख, यूपीसीडा और एन0आई0सी0डी0सी0 ट्रस्ट के मध्य हस्ताक्षरित किये जाने वाले द्विपक्षीय शेयर होल्डर्स एग्रीमेंट के आलेख तथा एस0पी0वी0 के गठन के लिए आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन एवं मेमोरेण्डम ऑफ एसोसिएशन के आलेख को अनुमोदित कर दिया है।

भविष्य में स्टेट सपोर्ट एग्रीमेंट में किसी संशोधन को करने के लिए मुख्यमंत्री जी एवं शेयर होल्डर्स एग्रीमेंट में होने वाले किसी संशोधन को करने के लिए मंत्री, औद्योगिक विकास विभाग को अधिकृत किये जाने के प्रस्ताव पर भी मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया है।

ज्ञातव्य है कि भारत सरकार द्वारा ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर को अमृतसर-कोलाकाता इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर परियोजना की रीढ़ के रूप में चयनित किया गया है। ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का 60 प्रतिशत हिस्सा उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है। इसके दृष्टिगत प्रदेश में 02 इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर्स विकसित किए जाने का निर्णय लिया गया है। इंटीग्रेडेट मैनुफैक्चरिंग क्लस्टर्स की स्थापना से प्रदेश के आर्थिक विकास को गति प्राप्त होगी, औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।

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नोएडा सेक्टर-142 स्टेशन से बॉटेनिकल गार्डेन तक 11.56 कि0मी0 लम्बाई के एक्वा लाइन मेट्रो कॉरिडोर के प्रस्तावित विस्तार के सम्बन्ध में डी0पी0आर0 अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने नोएडा सेक्टर-142 स्टेशन से बॉटेनिकल गार्डेन तक 11.56 कि0मी0 लम्बाई के एक्वा लाइन मेट्रो कॉरिडोर के प्रस्तावित विस्तार के सम्बन्ध में डी0पी0आर0 को अनुमोदित कर दिया है। उक्त विस्तारित परियोजना परिवहन अवस्थापना को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने तथा विभिन्न परिवहन माध्यमों में निर्बाधित कनेक्टिविटी में सहयोग प्रदान करेगी। परियोजना में 08 नए एलिवेटेड मेट्रो स्टेशन प्रस्तावित हैं। इस परियोजना की कुल लागत 2254.35 करोड़ रुपये (भूमि आई0डी0सी0 एवं सभी करां सहित) है। राज्य सरकार की अंश पूंजी के सापेक्ष

573.31 करोड़ रुपये का व्ययभार का वहन नोएडा प्राधिकरण द्वारा किया जाएगा।

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उ0प्र0 औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2022 में अनुमन्य वित्तीय प्रोत्साहन हेतु 09 औद्योगिक लेटर ऑफ कम्फर्ट निर्गत किए जाने सम्बन्धी उच्च स्तरीय प्राधिकृत समिति की संस्तुति अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2022 में अनुमन्य वित्तीय प्रोत्साहन हेतु 09 औद्योगिक लेटर ऑफ कम्फर्ट निर्गत किए जाने सम्बन्धी उच्च स्तरीय प्राधिकृत समिति की संस्तुति को अनुमोदित कर दिया है।

ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2022 में अनुबन्ध वित्तीय प्रोत्साहन हेतु अर्ह औद्योगिक इकाईयों को लेटर ऑफ कम्फर्ट निर्गत किए जाने की संस्तुति का अधिकार मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय प्राधिकृत समिति में निहित है। समिति द्वारा की गई संस्तुति पर मंत्रिपरिषद का अन्तिम अनुमोदन प्राप्त किए जाने की व्यवस्था है। 01 फरवरी, 2024 को सम्पन्न उच्च स्तरीय प्राधिकृत समिति की बैठक में समिति द्वारा 09 औद्योगिक लेटर ऑफ कम्फर्ट किए जाने की संस्तुति की गई।

इनमें कनोडिया सीमेन्ट प्रा0लि0, बुलन्दशहर (मेगा श्रेणी य प्रस्तावित निवेश 452.75 करोड़ रुपये), कनोडिया सीमेन्ट प्रा0लि0, प्रतापगढ़ (मेगा श्रेणीय प्रस्तावित निवेश 452.75 करोड़ रुपये), बालाजी वेफर्स प्रा0लि0, हरदोई (मेगा श्रेणी य प्रस्तावित निवेश 497.24 करोड़ रुपये), बनासकांठा जिला सहकारी मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनियन लि0, वाराणसी (सुपर मेगा श्रेणी य प्रस्तावित निवेश 618.15 करोड़ रुपये), आर0ए0सी0एल0 गियरटेक लि0, अमरोहा (मेगा श्रेणी य प्रस्तावित निवेश 250 करोड़ रुपये), आई0टी0सी0 लि0, हरदोई (सुपर मेगा श्रेणी य प्रस्तावित निवेश 663.24 करोड़ रुपये), ए0बी0 मौरी इण्डिया प्रा0लि0, पीलीभीत (सुपर मेगा श्रेणी य प्रस्तावित निवेश 1133.67 करोड़ रुपये), एच0एल0 एग्रो प्रोडक्ट्स प्रा0लि0, कानपुर देहात (मेगा श्रेणी य प्रस्तावित निवेश 499.99 करोड़ रुपये) तथा श्री सीमेन्ट नॉर्थ प्रा0लि0, एटा (सुपर मेगा श्रेणी य प्रस्तावित निवेश 1016.60 करोड़ रुपये) सम्मिलित हैं। उच्च स्तरीय प्राधिकृत समिति की उपर्युक्तानुसार संस्तुति पर मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया।

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टेक्सफेड समूह के अन्तर्गत उ0प्र0 स्टेट स्पिनिंग कं0लि0, कानपुर एवं उ0प्र0 स्टेट यार्न कं0लि0, कानपुर की बन्द पड़ी कताई मिलों की भूमि के औद्योगिक प्रयोग हेतु यूपीसीडा को निःशुल्क हस्तांतरण के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने टेक्सफेड समूह के अन्तर्गत उ0प्र0 स्टेट स्पिनिंग कं0लि0, कानपुर एवं उ0प्र0 स्टेट यार्न कं0लि0, कानपुर की बन्द पड़ी कताई मिलों की भूमि के औद्योगिक प्रयोग के लिए यूपीसीडा को निःशुल्क हस्तांतरित किए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। इसके तहत उ0प्र0 स्टेट स्पिनिंग कं0लि0 की बाराबंकी इकाई में उपलब्ध 69.86 एकड़ भूमि तथा उ0प्र0 स्टेट यार्न कम्पनी की इकाईयों क्रमशः मेजा, प्रयागराज (175 एकड़), बांदा (90 एकड़) एवं रसड़ा, बलिया (57 एकड़) भूमि यूपीसीडा को निःशुल्क उपलब्ध कराए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई है।

ज्ञातव्य है कि प्रदेश सरकार द्वारा वर्तमान में उद्योगों को बढ़ावा देने हेतु इन्वेस्टर्स समिट तथा ग्राउण्ड ब्रेकिंग सेरेमनी जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से देश-विदेश के उद्यमियों को आकर्षित करने के लगातार प्रयास किये जा रहे हैं, जिसके सकारात्मक परिणाम भी विगत वर्षों में सामने आये हैं। विभिन्न सेक्टरों के निवेशकों द्वारा प्रदेश में औद्योगिक इकाईयों की स्थापना के सम्बन्ध में एम0ओ0यू0 किये गये हैं।

इन इकाईयों की स्थापना हेतु प्रमुखतः भूमि एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है। भूमि की उक्त मांग को पूर्ण किये जाने हेतु औद्योगिक विकास विभाग के स्तर पर लैण्ड बैंक को बढ़ाये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं। इसके दृष्टिगत टैक्सफेड समूह के अन्तर्गत उ0प्र0 स्टेट स्पिनिंग कं0लि0, कानपुर एवं उ0प्र0 स्टेट यार्न कं0लि0, कानपुर की बन्द पड़ी कताई मिलों की भूमि के औद्योगिक प्रयोग हेतु यूपीसीडा को निःशुल्क हस्तांतरण का प्रस्ताव है।

विगत दो दशकों से बंद पड़ी इन कताई मिलों की निष्प्रयोज्य कुल 391.86 एकड़ भूमि के हस्तांतरण के फलस्वरूप राज्य सरकार द्वारा औद्योगिक विकास के कार्य यथाशीघ्र प्रारम्भ किये जा सकेंगे। बंद पड़ी कताई मिलों की निष्प्रयोज्य भूमि पर नई औद्योगिक इकाईयों की स्थापना की जा सकेगी। स्थानीय स्तर पर उद्यमिता के अधिक अवसर उपलब्ध होंगे। उद्योगों की स्थापना होने से रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे।

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उ0प्र0 स्टार्टअप नीति-2020 (प्रथम संशोधन-2022) के प्राविधानां के अन्तर्गत प्रदेश में 04 नए उत्कृष्टता के केन्द्रों की स्थापना हेतु आर्थिक सहायता प्रदान किए जाने का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश स्टार्टअप नीति-2020 (प्रथम संशोधन-2022) के प्राविधानां के अन्तर्गत प्रदेश में 04 नए उत्कृष्टता के केन्द्रों की स्थापना हेतु आर्थिक सहायता प्रदान किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके तहत आई0आई0टी0 रुड़की (सहारनपुर परिसर) में 5जी/6जी टेक्नोलॉजी, आई0आई0टी0 कानपुर में 5जी/6जी टेक्नोलॉजी आई0आई0एम0 लखनऊ (नोएडा परिसर) में ब्लॉक चेन तथा अजय कुमार गर्ग इंजीनियरिंग कॉलेज, गाजियाबाद में एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग के उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना हेतु कुल 39.96 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता (जिसमें पूंजीगत तथा परिचालन व्यय सम्मिलित है) 05 वर्षों में प्रदान किया जाना प्रस्तावित है।

ज्ञातव्य है कि प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश स्टार्टअप नीति-2020 (प्रथम संशोधन- 2022) के अर्न्तगत 8 उत्कृष्टता के केन्द्रों की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। प्रथम उत्कृष्टता का केन्द्र (सी0ओ0ई0) मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स (स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी) के क्षेत्र में संजय गाँधी पोस्ट ग्रेजुएट इन्स्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइन्सेज में सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इण्डिया, भारत सरकार के सहयोग से कार्यरत हो गया है। इसके अतिरिक्त, आई0आई0टी0 कानपुर तथा फिक्की के सहयोग से नोएडा में आर्टिफिशियल इन्टेलिजेंस एण्ड इनोवेशन ड्रिवेन आंत्रेप्रोन्योरशिप सेण्टर ऑफ एक्सिलेंस की स्थापना की गई है। तीसरे सेण्टर ऑफ एक्सिलेंस की स्थापना आई0आई0टी0, कानपुर परिसर में यूपीडा के सहयोग से ड्रोन तकनीक के क्षेत्र में प्रक्रियाधीन है।

स्थापित होने वाले उत्कृष्टता के केन्द्रों द्वारा दूरसंचार क्षेत्र, 3डी प्रिंटिंग तथा ब्लॉक चेन सहित उभरते प्रौद्योगिकी क्षेत्रों के नए स्टार्टअप्स को हैण्डहोल्डिंग और मेन्टरशिप सहायता प्रदान की जायेगी और स्टार्टअप्स को सम्बन्धित उद्योगों की सहायता से प्रौद्योगिकी का व्यवसायीकरण होगा। स्टार्टअप्स द्वारा नवाचार किया जायेगा तथा यह सभी उद्यमी के रूप में विकसित हो सकेंगे।

स्वीकृत मानकों के अनुसार प्रति स्टार्टअप औसतन 11 व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रोजगार प्राप्त होता है। स्टार्टअप्स के परिपक्व होने पर उनके द्वारा प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में उद्योग स्थापित किये जायेंगे जिससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे।

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उ0प्र0 आपराधिक विधि संशोधन अध्यादेश-2024 के प्रख्यापन के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश आपराधिक विधि संशोधन अध्यादेश-2024 के आलेख को स्वीकृति प्रदान कर दी है।

ज्ञातव्य है कि भारत सरकार द्वारा निरसित भारतीय दण्ड संहिता 1860, दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 के स्थान पर प्रवर्तित भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के अन्तर्गत विषयगत अध्यायों एवं प्राविधानों के क्रमांकों के अनुरूप उत्तर प्रदेश राज्य की विशेष आपराधिक विधियों में संशोधन हेतु उत्तर प्रदेश आपराधिक विधि संशोधन अध्यादेश, 2024 का प्रख्यापन किया जाना है।

वर्तमान में विधान मण्डल के सत्र में न होने के कारण विधेयक के स्थान पर अध्यादेश का प्रस्ताव किया जाना समीचीन होगा। अतः उत्तर प्रदेश शासन के गृह विभाग द्वारा निम्नलिखित राज्य विधियों में उत्तर प्रदेश आपराधिक विधि संशोधन अध्यादेश, 2024 के माध्यम से संशोधन प्रस्तावित किये जा रहे हैं :-

(1) उत्तर प्रदेश गिरोहबन्द और समाज विरोधी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1986 (उ0प्र0 अधिनियम संख्या 7, 1986),

(2) उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण अधिनियम, 1970 (उ0प्र0 अधिनियम संख्या 8, 1971),

(3) उत्तर प्रदेश सार्वजनिक और निजी सम्पत्ति क्षति वसूली अधिनियम, 2020 (उ0प्र0 अधिनियम संख्या 11, 2020),

(4) उत्तर प्रदेश डकैती प्रभावित क्षेत्र अधिनियम, 1983 (उ0प्र0 अधिनियम संख्या 31, 1983),

(5) उत्तर प्रदेश विशेष सुरक्षा बल अधिनियम, 2020 (उ0प्र0 अधिनियम 27, 2020)

(6) उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 (उ0प्र0 अधिनियम संख्या 3, सन् 2021)

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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (उ0प्र0 संशोधन), अध्यादेश 2024 के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (उत्तर प्रदेश संशोधन), अध्यादेश 2024 के आलेख को स्वीकृति प्रदान कर दी है। वर्तमान में विधान मण्डल के सत्र में न होने के कारण विधेयक के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 482 को नवीन धारा-482 द्वारा प्रतिस्थापित करने हेतु भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (उत्तर प्रदेश संशोधन), अध्यादेश 2024 का प्रख्यापन प्रस्तावित है।

ज्ञातव्य है कि दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 में गिरफ्तारी की आशंका करने वाले व्यक्ति की जमानत मंजूर करने के लिए निदेश (अग्रिम जमानत) के सम्बन्ध में धारा 438 में उपबन्ध है। उक्त धारा 438 में उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा संशोधन हेतु अधिसूचना दिनांक 06-06-2019 द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता (उत्तर प्रदेश संशोधन) अधिनियम, 2018 (उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या-4 सन् 2019) अधिनियमित किया गया है।

भारत सरकार द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 को निरसित करते हुये उक्त के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (अधिनियम संख्या-46, सन् 2023) प्रख्यापित की गयी है, जिसमें धारा-482 के अन्तर्गत गिरफ्तारी की आशंका करने वाले व्यक्ति की जमानत मंजूर करने के लिए निदेश (अग्रिम जमानत) के संबंध में प्रावधान किये गये हैं।

गिरफ्तारी की आशंका करने वाले व्यक्ति की जमानत मंजूर करने के लिए निदेश (अग्रिम जमानत) से सम्बन्धित भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (अधिनियम संख्या-46, सन् 2023) की धारा 482 के प्रावधानों में उत्तर प्रदेश राज्य की विशिष्ट परिस्थितियों के दृष्टिगत अविलम्ब संशोधन किया जाना आवश्यक है। उक्त संशोधन के प्रमुख औचित्य निम्नवत् हैं :-

(क) उत्तर प्रदेश सरकार की अपराध एवं अपराधियों के विरुद्ध विशेष कर महिलाओं एवं बालकों के विरुद्ध अपराधों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति।

(ख) समाज में महिलाओं एवं बालकों के मन में राज्य और विधि की सत्ता के प्रति अटूट विश्वास उत्पन्न किया जा सके एवं हॉस्टिलिटी की समस्या का समाधान किया जा सके।

(ग) यौन अपराधों में विवेचना के समुचित निस्तारण हेतु जैविक साक्ष्यों के यथाशीघ्र संकलन में बाधक अभियुक्त को अग्रिम जमानत की स्थिति का निवारण।

(घ पीड़ित/पीड़िता को भय, दबाव इत्यादि की संभावनाओं का निराकरण।

अग्रिम जमानत से सम्बन्धित भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (अधिनियम संख्या 46, सन् 2023) की धारा 482 के प्रावधानों में अग्रिम जमानत के अपवादों में पॉक्सो अधिनियम, 2012 (अधिनियम संख्या-32, सन् 2012) के अपराधों तथा भारतीय न्याय संहिता, 2023 (अधिनियम संख्या-45, सन् 2023) में वर्णित बलात्कार से सम्बन्धित धारा 64, धारा 65, धारा 66, धारा 68, धारा 69, धारा 70 एवं धारा 71 के अभियोग भी सम्मिलित किए गए हैं।

निम्नलिखित अधिनियमों के अपराधों को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 482 के प्रावधानों में अग्रिम जमानत के अपवादों में परिगणित किया जा रहा है -

(1) विधिविरुद्ध क्रिया-कलाप (निवारण) अधिनियम, 1967 (अधिनियम संख्या 37, सन् 1967);

(2) स्वापक औषधि और मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 (अधिनियम संख्या-61, सन् 1985);

(3) शासकीय गुप्त बात अधिनियम, 1923 (अधिनियम संख्या-19, सन् 1923);

(4) उत्तर प्रदेश गिरोहबन्द और समाज विरोधी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1986 (उ0प्र0 अधिनियम संख्या-7 सन् 1986);

(5) उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म समपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 (उ0प्र0 अधिनियम संख्या-3 सन् 2021);

राज्य सरकार की अपराधों के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति के दृष्टिगत ऐसे अपराधों, जिसमें मृत्यु दण्डादेश अधिनिर्णित किया जा सकता है; पर भी भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 482 लागू नहीं होने के सम्बन्ध में उपबन्ध किया जाना आवश्यक है।

दण्ड प्रक्रिया संहिता (उत्तर प्रदेश संशोधन) अधिनियम, 2018 (उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या-4 सन् 2019) में वर्णित अन्य उपबन्धों को भी यथास्थान भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 482 के प्रावधानों में प्रस्तावित संशोधनों में समाहित।

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उ0प्र0 सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अध्यादेश, 2024 के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अध्यादेश, 2024 के आलेख को स्वीकृति प्रदान कर दी है।

ज्ञातव्य है कि सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों, पेपरलीक को रोकने, सॉल्वर गिरोह पर प्रतिबन्ध लगाने और उससे जुड़े और उसके आनुषंगिक मामलों का प्रावधान करने के उद्देश्य से भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 के खण्ड-(1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करके उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अध्यादेश, 2024 का प्रख्यापन प्रस्तावित किया जा रहा है। उक्त परीक्षा प्राधिकारियों जैसे-उ0प्र0 लोक सेवा आयोग, उ0प्र0 अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, उ0प्र0 बोर्ड, विश्वविद्यालय, प्राधिकरण या निकाय या उनके द्वारा नामित संस्था भी सम्मिलित हैं।

उक्त अधिनियम का विस्तार सार्वजनिक सेवा भर्ती परीक्षाओं, नियमितीकरण या पदोन्नति परीक्षाएं, डिग्री डिप्लोमा, प्रमाण-पत्रों या शैक्षणिक प्रमाण-पत्रों की प्रवेश परीक्षा पर भी लागू होगा। फर्जी प्रश्नपत्र बाटना, फर्जी सेवायोजन वेबसाइट बनाना इत्यादि भी दण्डनीय अपराध बनाये गये हैं। अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन के लिये न्यूनतम दो वर्ष से लेकर आजीवन कारावास का दण्ड तथा एक करोड़ रुपये तक के दण्ड का भी प्रावधान किया गया है।

उक्त के अतिरिक्त यदि परीक्षा प्रभावित होती है, तो उस पर आने वाले वित्तीय भार को सॉल्वर गिरोह से वसूलने तथा परीक्षा में गड़बड़ी करने वाली कम्पनियों तथा सेवा प्रदाताओं को सदैव के लिए ब्लैक लिस्ट करने का भी प्रावधान किया गया है।

अधिनियम में अपराध की दशा में सम्पत्ति की कुर्की भी प्राविधानित की गयी है। अधिनियम के समस्त अपराध संज्ञेय, गैर जमानतीय एवं सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय एवं अशमनीय बनाये गये हैं। जमानत के सम्बन्ध में भी कठोर प्रावधान किये गये हैं।

वर्तमान में विधान मण्डल के सत्र में न होने के कारण विधेयक के स्थान पर अध्यादेश का प्रस्ताव किया जाना समीचीन होगा। अतः उत्तर प्रदेश शासन के गृह विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अध्यादेश, 2024 प्रख्यापित किये जाने के सम्बन्ध में प्रस्ताव किया गया है।

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राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली से आच्छादित राज्य सरकार के ऐसे सरकारी सेवक जिनका चयन ऐसे पद/रिक्तियों के सापेक्ष हुआ हो, जिसका विज्ञापन प्रदेश में नई परिभाषित अंशदान पेंशन योजना (राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली) लागू किये जाने सम्बन्धी राज्य सरकार की अधिसूचना दिनांक 28 मार्च, 2005 के पूर्व हो चुका था, को राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना से आच्छादित किये जाने के सम्बन्ध में विकल्प की व्यवस्था

उत्तर प्रदेश सरकार के कार्मिकों एवं परिषदीय विद्यालयों/शासन से सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं/राज्य सरकार द्वारा अनुदानित स्वायत्तशासी संस्थाओं, जिनमें राज्य कर्मचारियों की पेंशन योजना की भांति पेंशन योजना लागू रही है और जिनका वित्त पोषण राज्य सरकार की समेकित निधि से किया जाता है, के ऐसे कार्मिक जिनकी नियुक्ति दिनांक 01.04.2005 को अथवा उसके उपरान्त हुई है परन्तु उस नियुक्ति हेतु पद का विज्ञापन, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली लागू किये जाने सम्बन्धी अधिसूचना दिनांक 28.03.2005 के पूर्व प्रकाशित हो चुका था, को पुरानी पेंशन योजना के वरण का एक बार विकल्प उपलब्ध कराये जाने का निर्णय मंत्रिपरिषद द्वारा लिया गया है।

ज्ञातव्य है कि अधिसूचना संख्या-सा-3-379/दस-2005-301(9)-2003 दिनांक 28 मार्च, 2005 द्वारा यह प्रावधान किया गया है कि राज्य सरकार की सेवा में और ऐसे समस्त शासन के नियंत्रणाधीन स्वायत्तशासी संस्थाओं और शासन से सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं, जिनमें राज्य कर्मचारियों की वर्तमान पेंशन योजना की भांति पेंशन योजना लागू है और उनका वित्त पोषण राज्य सरकार की समेकित निधि से किया जाता है, में दिनांक 01 अप्रैल, 2005 अथवा उसके पश्चात कार्यभार ग्रहण करने वाले कर्मचारी राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली से आच्छादित होंगे।

केन्द्र सरकार के कार्यालय ज्ञाप संख्या-57/07/2021-P&PW(B) दिनांक

03.03.2023 द्वारा यह आदेश निर्गत किये जा चुके हैं कि केन्द्र सरकार का ऐसा कोई कर्मचारी जिसकी नियुक्ति दिनांक 01.01.2004 को अथवा उसके उपरान्त, ऐसी किसी रिक्ति के सापेक्ष हुई है जिसका विज्ञापन केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली लागू किये जाने सम्बन्धी अधिसूचना दिनांक 22.12.2003 के पूर्व हो चुका था, को पुरानी पेंशन योजना को चुनने का एक बार विकल्प दिया जायेगा।

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एस0जी0पी0जी0आई0, लखनऊ के ग्रुप ए एवं बी (पैरामेडिकल) के कार्मिकों को हॉस्पिटल पेशेंट केयर भत्ता अनुमन्य किये जाने के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एस0जी0पी0जी0आई0), लखनऊ की परिनियमावली में विहित व्यवस्था के क्रम में एस0जी0पी0जी0आई0 के ग्रुप ए एवं बी (पैरामेडिकल) के कार्मिकों को कतिपय शर्तां के अधीन हॉस्पिटल पेशेंट केयर भत्ता अनुमन्य किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। ग्रुप ए एवं बी (पैरामेडिकल) के कार्मिकों को हॉस्पिटल पेशेंट केयर भत्ता शासनादेश निर्गत किये जाने की तिथि से देय होगा तथा इस हेतु किसी एरियर का भुगतान नहीं किया जाएगा। ‘हॉस्पिटल पेशेंट केयर भत्ता’ की द्विरावृत्ति नहीं की जाएगी अर्थात यदि किसी कार्मिक को यह भत्ता पूर्व से दिया जा रहा है तो अतिरिक्त रूप से यह भत्ता देय नहीं होगा।

ज्ञातव्य है कि संजय गाँधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ प्रदेश ही नहीं अपितु देश का एक प्रतिष्ठित सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा संस्थान है। इसमें लगभग 35 अतिविशिष्ट चिकित्सकीय विभागों में भारत के विभिन्न प्रदेशों के अलावा अन्य निकटवर्ती देशों से आने वाले मरीजों को उच्चस्तरीय चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करायी जाती है।

दिनांक 29 जुलाई, 2011 द्वारा प्रख्यापित एस0जी0पी0जी0आई0 की प्रथम विनियमावली में गैर संकायी अधिकारियों और कर्मचारियों को राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर घोषणा के अधीन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली के अनुसार ग्राह्य वेतन एवं भत्ते निर्धारण के सम्बन्ध में व्यवस्था प्राविधानित है।

7वें वेतन आयोग की संस्तुतियों के अनुपालन में एम्स, नई दिल्ली में अनुमन्य वेतनमान के सादृश्य शासनादेश संख्या-61/2017/3302/71-2-17-12/2017 दिनांक-15.09.2017 द्वारा एस0जी0पी0जी0आई0 के गैर संकायी अधिकारियों और कर्मचारियों को तथा शासनादेश संख्या-832/71-2-18-पी-38/2017, दिनांक

27.03.2018 द्वारा संकायी सदस्यों (ज्येष्ठ आचार्य, आचार्य, अपर आचार्य, सह-आचार्य और सहायक आचार्य एवं रेजीडेन्ट डॉक्टर्स) को एम्स, नई दिल्ली के समतुल्य वेतनमान प्रदान किये जाने के आदेश वित्त विभाग की सहमति से निर्गत किये गये हैं। संस्थान के ग्रुप-सी एवं ग्रुप-डी के कार्मिकों को हॉस्पिटल पेशेंट केयर भत्ते का भुगतान पूर्व से ही किया जा रहा है।

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प्रदेश में फार्मास्यूटिकल रिसर्च और नवाचार को बढ़ावा देने हेतु राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन संस्था ‘प्रोमोट फार्मा’ प्रारम्भ किये जाने का प्रस्ताव अनुमोदित

उत्तर प्रदेश में फार्मास्यूटिकल रिसर्च और नवाचार को बढ़ावा देने हेतु राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन संस्था ‘प्रोमोट फार्मा’ प्रारम्भ किये जाने के सम्बन्ध में विशेषज्ञ समिति द्वारा उपलब्ध करायी गयी संस्तुतियों पर मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया है।

ज्ञातव्य है कि फार्मास्यूटिकल बाजार में उत्तर प्रदेश की भागीदारी बढ़ाते हुए तथा चिकित्सा क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि करते हुए फार्मा व मेडिकल डिवाइस क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को तेज करने एवं फार्मास्यूटिकल रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन संस्था ‘प्रोमोट फार्मा’ को प्रारम्भ किया जाना प्रस्तावित है।

फार्मास्यूटिकल रिसर्च व इनोवेशन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश की विश्व स्तर पर पहचान बनाना तथा बायोफार्मा तथा मेडिकल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में विशिष्टता हासिल करना प्रोमोट फार्मा का विजन होगा। इसके अतिरिक्त, यह संस्था राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय फंडिंग एजेन्सियों और निजी निवेशकर्ताओं की भागीदारी के माध्यम से फार्मा क्षेत्र में ‘आइडिया टू मार्केट’ अवधारणा को बढ़ावा देने का कार्य करेगी।

वर्तमान में संस्था की गतिविधियां लखनऊ स्थित बायोटेक पार्क में प्रारम्भ किया जाना प्रस्तावित है। इसके पश्चात लखनऊ शहर में किसी उपयुक्त स्थान पर यथावश्यक भूमि का चयन कर इसके स्थायी कैम्पस का निर्माण किया जायेगा।

संस्था की गतिविधियां प्रारम्भ किये जाने, आवश्यक साधनों व संसाधनों की व्यवस्था हेतु चरणबद्ध रूप में 500 करोड़ रुपये की धनराशि की आवश्यकता होगी, जिसकी व्यवस्था राज्य सरकार के बजट से की जायेगी। संस्था का लक्ष्य कालान्तर में वित्तीय आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है।

यह संस्था स्टार्टअप, शिक्षा जगत और उद्योग क्षेत्र के शोधकर्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए एक मजबूत अनुसंधान एवं नवाचार आधारित पारिस्थितिकी तंत्र तथा उच्च स्तर की रोजगार क्षमता के साथ कुशल मानव संसाधन विकसित करेगी।

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श्री परमहंस योगानन्द जी की जन्मस्थली के पर्यटन विकास हेतु जनपद गोरखपुर के ग्राम असकरगंज स्थित 460 वर्गमीटर शासकीय भूमि पर्यटन विभाग के पक्ष में निःशुल्क हस्तांतरित किए जाने का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने श्री परमहंस योगानन्द जी की जन्मस्थली के पर्यटन विकास हेतु जनपद गोरखपुर के ग्राम असकरगंज स्थित 460 वर्गमीटर शासकीय भूमि पर्यटन विभाग के पक्ष में निःशुल्क हस्तांतरित किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।

ज्ञातव्य है कि श्री परमहंस योगानन्द जी योग विधा के महान गुरु थे। उनके द्वारा विदेशों में भी योग का काफी प्रचार-प्रसार किया गया। श्री परमहंस योगानन्द जी के अनुयायी देश-विदेश में काफी संख्या में हैं। वर्तमान में भी इनकी जन्मस्थली से सम्बन्धित भवन पर काफी संख्या में इनके अनुयायी आते रहते हैं। उक्त भूमि पर पर्यटन विकास सम्बन्धी गतिविधियों के फलस्वरूप स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे और लोगों के आर्थिक-सामाजिक जीवन स्तर का भी उन्नयन होगा।

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मुरादाबाद विकास प्राधिकरण के विकास क्षेत्र में 71 राजस्व ग्रामों को सम्मिलित किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम-1973 के प्राविधानों के अन्तर्गत विकास क्षेत्र की निरन्तरता एवं सुनियोजित विकास हेतु अधिनियम की धारा-3 के तहत मुरादाबाद विकास प्राधिकरण के विकास क्षेत्र में कुल 71 राजस्व ग्रामों को सम्मिलित किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।

’उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम, 1973 की धारा-3 के प्राविधानों के अन्तर्गत सुनियोजित विकास हेतु शासनादेश संख्या-2257/37-2-91डी.ए./78, दिनांक 29.03.1981 द्वारा मुरादाबाद विकास प्राधिकरण का गठन किया गया। शासनादेश संख्या-615/37-2-82-254डी.ए./81, दिनांक 11.06.1982 द्वारा नगरपालिका की सीमा के अन्तर्गत आने वाला क्षेत्र एवं विनियमित क्षेत्र के 62 राजस्व ग्रामों के अतिरिक्त आस-पास के 118 ग्रामों को सम्मिलित करते हुए कुल 180 राजस्व ग्रामों के साथ विकास क्षेत्र घोषित किया गया।

मुरादाबाद विकास प्राधिकरण के विकास क्षेत्र का सीमा विस्तार औचित्यपूर्ण होने के दृष्टिगत तहसील कांठ के 18 राजस्व ग्रामों, तहसील मुरादाबाद के 34 राजस्व ग्रामों, तहसील सम्भल के 03 राजस्व ग्रामों व तहसील अमरोहा के 16 राजस्व ग्रामों सहित कुल 71 राजस्व ग्रामों को मुरादाबाद विकास प्राधिकरण के विकास क्षेत्र में सम्मिलित किया जाना है।

मुरादाबाद नगर एवं आस-पास के क्षेत्रों में जनसंख्या वृद्धि एवं प्रमुख मार्गों पर तीव्र औद्योगिक एवं व्यावसायिक गतिविधियां विद्यमान हैं। इसके कारण नगर एवं आस-पास के क्षेत्रों में होने वाले विकास एवं निर्माण कार्य को सुनियोजित विकास का स्वरूप देने हेतु मुरादाबाद विकास प्राधिकरण के विकास क्षेत्र का सीमा विस्तार किया जाना नितांत आवश्यक है।

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वाराणसी विकास प्राधिकरण के विकास क्षेत्र में 215 राजस्व ग्रामों को सम्मिलित किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम-1973 के प्राविधानों के अन्तर्गत विकास क्षेत्र की निरन्तरता एवं सुनियोजित विकास हेतु अधिनियम की धारा-3 के तहत वाराणसी विकास प्राधिकरण के विकास क्षेत्र में कुल 215 राजस्व ग्रामों को सम्मिलित किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।

ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम, 1973 की धारा-3 के प्राविधानों के अन्तर्गत सुनियोजित विकास हेतु शासनादेश संख्या-3779/37-2-4(डी0ए0)-72 दिनांक 20.08.1974 द्वारा वाराणसी विकास प्राधिकरण का गठन किया गया। दिनांक 28.03.1978 एवं पुनः दिनांक 07.09.2016 की अधिसूचनाओं के माध्यम से उक्त के सीमा विस्तार हेतु संशोधित किया गया।

वाराणसी विकास प्राधिकरण के विकास क्षेत्र का सीमा विस्तार औचित्यपूर्ण होने के दृष्टिगत तहसील-राजातालाब के 94 राजस्व ग्रामों, तहसील-पिण्डरा के 30 राजस्व ग्रामों, तहसील सदर के 18 राजस्व ग्रामों, जनपद-पं0 दीन दयाल उपाध्याय नगर की तहसील सकलडीहा के 02 राजस्व ग्रामों, तहसील-चन्दौली के 54 राजस्व ग्रामों तथा जनपद-मिर्जापुर की तहसील-चुनार के 17 राजस्व ग्रामों अर्थात् कुल 215 राजस्व ग्रामों को वाराणसी विकास प्राधिकरण के विकास क्षेत्र में सम्मिलित किया जाना है।

वाराणसी नगर एवं आस-पास के क्षेत्रों में जनसंख्या वृद्धि एवं प्रमुख मार्गों पर तीव्र औद्योगिक एवं व्यावसायिक गतिविधियां विद्यमान हैं। इसके कारण नगर एवं आस-पास के क्षेत्रों में होने वाले विकास एवं निर्माण कार्य को सुनियोजित विकास का स्वरूप देने हेतु वाराणसी विकास प्राधिकरण के विकास क्षेत्र का सीमा विस्तार किया जाना नितांत आवश्यक है।

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बरेली विकास प्राधिकरण के विकास क्षेत्र में 35 राजस्व ग्रामों को सम्मिलित किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम-1973 के प्राविधानों के अन्तर्गत विकास क्षेत्र की निरन्तरता एवं सुनियोजित विकास हेतु अधिनियम की धारा-3 के तहत बरेली विकास प्राधिकरण के विकास क्षेत्र में कुल 35 राजस्व ग्रामों को सम्मिलित किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।

ज्ञातव्य है कि उ0प्र0 (निर्माण कार्य विनियमन) अधिनियम, 1958 के अधीन अधिसूचना संख्या-4190/के/37-87-एन0के0बी0-71 दिनांक 01.11.1971 द्वारा जनपद-बरेली के 198 ग्रामों को विनियमित क्षेत्र के रूप में अधिसूचित किया गया। उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम, 1973 की धारा-3 के प्राविधानों के अन्तर्गत सुनियोजित विकास हेतु अधिसूचना संख्या-1030(1)/ सैतीस-2-72-डी0ए0-76, दिनांक 19.04.1977 द्वारा बरेली विकास प्राधिकरण का गठन किया गया, जिसके अन्तर्गत बरेली नगर पालिका क्षेत्र तथा 198 राजस्व ग्रामों को प्राधिकरण की सीमा में सम्मिलित किया गया।

अधिसूचना संख्या-1626/आठ-6-2008-72डी0ए0/76, दिनांक 23.05.2008 द्वारा बरेली विकास क्षेत्र की सीमा में 66 अतिरिक्त ग्रामों को सम्मिलित कर विस्तार किया गया। उक्त राजस्व ग्रामों में से 49 ग्राम नगर निगम बरेली, 01 ग्राम नगर पंचायत रिठौरा, 01 ग्राम नगर पंचायत ठिरिया निजावत खॉ, 01 ग्राम नगर पंचायत भिटौरा नौगवां उर्फ फतेहगंज (पश्चिमी) में सम्मिलित हो जाने के कारण बरेली विकास क्षेत्र में वर्तमान में अधिसूचित राजस्व ग्रामों की कुल संख्या 212 है।

बरेली विकास प्राधिकरण के विकास क्षेत्र का सीमा विस्तार औचित्यपूर्ण होने के दृष्टिगत तहसील सदर के 05 राजस्व ग्राम, तहसील आंवला के 14 राजस्व ग्राम तथा तहसील फरीदपुर के 16 राजस्व ग्राम अर्थात् कुल 35 राजस्व ग्रामों को बरेली विकास प्राधिकरण के विकास क्षेत्र में सम्मिलित किया जाना है।

बरेली नगर एवं आस-पास के क्षेत्रों में जनसंख्या वृद्धि एवं प्रमुख मार्गों पर तीव्र औद्योगिक एवं व्यावसायिक गतिविधियाँ विद्यमान हैं। इसके कारण नगर एवं आस-पास के क्षेत्रों में होने वाले विकास एवं निर्माण कार्य को सुनियोजित विकास का स्वरूप देने हेतु बरेली विकास प्राधिकरण के विकास क्षेत्र का सीमा विस्तार किया जाना नितांत आवश्यक है।

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उ0प्र0 ई-स्टाम्पिंग नियमावली, 2013 में संशोधन का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश ई-स्टाम्पिंग नियमावली, 2013 में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।

ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश ई-स्टाम्पिंग नियमावली, 2013 के भाग-छः में ई-स्टाम्प प्रमाण पत्र के निर्गम की प्रक्रिया सम्बन्धी प्राविधान हैं। इन प्राविधानों में ई-स्टाम्प प्रमाण पत्र हेतु सामान्य जन द्वारा धनराशि की अदायगी, ई-स्टाम्प प्रमाण पत्र के निर्गम की रीति एवं ई-स्टाम्प प्रमाण पत्र के आकार एवं मुद्रण सम्बन्धी प्राविधान हैं। इनमें ई-स्टाम्प प्रमाण पत्र की सामान्य जन द्वारा सेल्फ प्रिन्टिंग किए जाने सम्बन्धी कोई प्राविधान नहीं हैं।

जन सामान्य को छोटे मूल्य के ई-स्टाम्प पत्रों की उपलब्धता के दृष्टिगत ई-स्टाम्प प्रमाण पत्र की सामान्य जन द्वारा सेल्फ प्रिन्टिंग किए जाने सम्बन्धी प्राविधान समाहित करने हेतु उत्तर प्रदेश ई-स्टाम्पिंग नियमावली, 2013 में संशोधन किए जाने का प्रस्ताव है। इस व्यवस्था के लागू होने से उत्तर प्रदेश में जन सामान्य को छोटे मूल्य के ई-स्टाम्प प्रमाण पत्रों की सेल्फ प्रिन्टिंग किए जाने की सुविधा प्राप्त होगी।

ज्ञातव्य है कि भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 की धारा 10, 74 एवं 75 की प्रदत्त शक्तियों के अधीन उत्तर प्रदेश ई-स्टाम्पिंग नियमावली, 2013 प्रख्यापित की गयी थी। इस नियमावली के प्राविधानों के अन्तर्गत प्रदेश में विविध प्रकार के लेख पत्रों पर नियमानुसार देय स्टाम्प शुल्क की अदायगी के लिए भौतिक स्टाम्प पत्रों के विकल्प के रूप में ई-स्टाम्पिंग प्रणाली स्थापित की गयी है। इस प्रणाली में ई-स्टाम्प प्रमाण पत्रों का निर्गमन भारत सरकार के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इण्डिया लि0 द्वारा केन्द्रीय अभिलेख अनुरक्षण अभिकरण के रूप में किया जा रहा है।

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वित्तीय वर्ष 2023-24 में समयान्तर्गत परीक्षा परिणाम घोषित न होने एवं कतिपय अन्य कारणों से सामान्य/अन्य पिछड़ा/अल्पसंख्यक वर्ग के वंचित छात्रों को छात्रवृत्ति/शुल्क प्रतिपूर्ति के भुगतान हेतु पोर्टल खोलने एवं बजट व्यवस्था किए जाने के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में समयान्तर्गत परीक्षा परिणाम घोषित न होने एवं कतिपय अन्य कारणों से सामान्य/अन्य पिछड़ा/अल्पसंख्यक वर्ग के वंचित छात्रों को छात्रवृत्ति/शुल्क प्रतिपूर्ति के भुगतान हेतु पोर्टल खोलने एवं बजट व्यवस्था किए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।

ज्ञातव्य है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजनान्तर्गत समय-सारिणी के अनुसार छात्रों के स्तर से संशोधन हेतु अन्तिम तिथि 15.02.2024 निर्धारित थी। एफिलिएटिंग एजेंसी यथा परीक्षा नियामक प्राधिकारी, प्रयागराज द्वारा डी0एल0एड0 (डिप्लोमा इन एलीमेन्ट्री एजुकेशन अर्थात बी0टी0सी0) पाठ्यक्रम व स्टेट मेडिकल फैकल्टी द्वारा पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों का परीक्षा परिणाम उक्त तिथि के उपरान्त घोषित किया गया। इसी प्रकार पी0एफ0एम0एस0 से सम्बन्धित प्रकरण यथा-ट्रांजेक्शन फेल आदि के कारण सामान्य/अन्य पिछड़ा/अल्पसंख्यक वर्ग के छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं मिल सकी।

चूंकि नियमावली में देयता अगले वित्तीय वर्ष में अग्रेनीत न किए जाने का प्राविधान है। अतः उपरोक्त कारणों से वंचित समस्त पात्र छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान किए जाने के उद्देश्य से स्पेशल केस मानते हुए एक बार पोर्टल खोलने तथा चालू वित्तीय वर्ष के बजट से व्यय की अनुमति दिए जाने के प्रस्ताव को मंत्रिपरिषद द्वारा स्वीकृति प्रदान की गयी।

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वर्ष 2024-25 में 35 करोड़ पौधारोपण हेतु वन विभाग की पौधशालाओं से निःशुल्क पौध (यूकेलिप्टस एवं पॉपलर को छोड़कर) उपलब्ध कराए जाने का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के पर्यावरणीय लाभ एवं कृषकों की आय में सतत् वृद्धि के दृष्टिगत वित्तीय वर्ष 2024-25 में 35 करोड़ पौधारोपण हेतु प्रदेश के समस्त शासकीय विभागों, मा0 न्यायालय परिसरों/औद्योगिक इकाइयों/सहकारी समितियों/कृषकों/संस्थाओं/व्यक्तियों/निजी एवं शासकीय शिक्षण संस्थाओं/स्थानीय निकायों यथा-ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद, नगर निगम, प्राधिकरण आदि/भारत सरकार के विभागों एवं उपक्रमों/रेलवे/रक्षा एवं अन्य को सम्बन्धित शासकीय विभागों/संस्थाओं के माध्यम से वन विभाग की पौधशालाओं से निःशुल्क पौध (यूकेलिप्टस एवं पॉपलर को छोड़कर) उपलब्ध कराए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।

मंत्रिपरिषद द्वारा यह निर्णय भी लिया गया कि निःशुल्क पौध उपलब्धता के सम्बन्ध में यदि अन्य किसी संशोधन/परिवर्धन (वित्तीय उपाशय को छोड़कर) की आवश्यकता भविष्य में होती है तो उक्त संशोधन/परिवर्धन मुख्यमंत्री जी के अनुमोदन से किया जा सकेगा।

वृक्षारोपण जन आन्दोलन वर्ष 2024-25 का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ कृषकों की आय में वृद्धि करना है। राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2024-25 में 35 करोड़ पौधरोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसमें से 12.60 करोड़ पौधों का रोपण वन एवं वन्य जीव विभाग द्वारा तथा 22.4 करोड़ पौधों का रोपण राजकीय विभागों द्वारा जनसहभागिता से किया जाएगा। वृक्षारोपण 2024-25 हेतु वन एवं वन्य जीव विभाग की पौधशालाओं में 48.52 करोड़ पौध उपलब्ध हैं।

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नन्द बाबा दुग्ध मिशन सोसाइटी के रूल्स एवं बायलॉज अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने नन्द बाबा दुग्ध मिशन सोसाइटी के रूल्स एवं बायलॉज को अनुमोदित कर दिया है।

ज्ञातव्य है कि लोक कल्याण संकल्प पत्र-2022 के आलोक में अगले पाँच वर्षों में 1,000 करोड़ रुपये की लागत द्वारा प्रदेश को दुग्ध उत्पादन में अग्रणी राज्य बनाये रखने एवं गाँवों में दुग्ध सहकारी समितियाँ गठित कर दुग्ध उत्पादकों को गाँव में ही उनके दुग्ध की उचित मूल्य पर विक्रय की सुविधा उपलब्ध कराने के दृष्टिगत ’नन्द बाबा दुग्ध मिशन’ का क्रियान्वयन किया जा रहा है। मिशन के अन्तर्गत मुख्यमंत्री स्वदेशी गौ-संवर्धन योजना, मुख्यमंत्री प्रगतिशील पशुपालक प्रोत्साहन योजना, नन्दिनी कृषक समृद्धि योजना, प्रारम्भिक दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के गठन की योजना, पशु स्वास्थ्य एवं दुग्ध गुणवत्ता परीक्षण किट आदि योजनाएं प्रारम्भ की गयी हैं।

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निजी क्षेत्र के अन्तर्गत जी0एस0 विश्वविद्यालय, हापुड़ की स्थापना के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने निजी क्षेत्र के अन्तर्गत जी0एस0 विश्वविद्यालय, हापुड़, उत्तर प्रदेश की स्थापना किए जाने के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम 2019 में संशोधन किए जाने हेतु उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (पांचवां संशोधन) अध्यादेश-2024 को प्रख्यापित कराए जाने एवं तत्पश्चात संचालन प्राधिकार पत्र निर्गत किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।

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