लखनऊ : (मानवी मीडिया) भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई जारी है। विजिलेंस की जांच में जल निगम के तीन अधिकारी आय से अधिक संपत्ति जुटाने के मामले में दोषी पाए गए हैं। इनमें एक अधिकारी का सेवाकाल पूरा हो चुका है। खुली जांच में तीनों दोषी पाए गए। शासन के निर्देश पर विजिलेंस ने तीनों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अलग-अलग मुकदमे दर्ज कर विवेचना शुरू की है। शासन ने भ्रष्टाचार की शिकायतों पर 12 जून, 2020 को तीनों के विरुद्ध विजिलेंस की खुली जांच का आदेश दिया था। जल निगम की निर्माण इकाई सीएंडडीएस के तत्कालीन परियोजना प्रबंधक कमलेश कुमार केसरी आय से अधिक संपत्ति के दोषी पाए गए हैं। लखनऊ के इंदिरानगर निवासी कमलेश कुमार की जांच के लिए निर्धारित अवधि के दौरान आय व खर्च की पड़ताल की गई। सामने आया कि निर्धारित अवधि में 58.60 लाख रुपये की कुल आय के मुकाबले कमलेश कुमार ने भरण-पोषण व संपत्तियां जुटाने में 1.78 करोड़ रुपये से अधिक रकम खर्च की। कुल आय से 1.19 करोड़ रुपये अधिक खर्च किए जाने को लेकर वह जांच एजेंसी को संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके। इसके अलावा तत्कालीन सहायक अभियंता (परियोजना प्रबंधक) सीएंडडीएस कृष्ण कुमार पटेल भी आय से अधिक संपत्ति के दोषी पाए गए। लखनऊ के विकासनगर निवासी कृष्ण कुमार के विरुद्ध हुई विजिलेंस की खुली जांच में निर्धारित अवधि में उनकी कुल आय 29.56 लाख रुपये की तुलना में भरण-पोषण व संपत्तियों में 39.56 लाख रुपये खर्च किए गए। उन्होंने आय से लगभग 10 लाख रुपये अधिक खर्च किए और उसका काेई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके। जल निगम के मानव संसाधन विकास प्रकोष्ठ के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता अजेय रस्तोगी (अब सेवानिवृत्त) के विरुद्ध भी मुकदमा दर्ज हुआ है। प्रयागराज के किदवई नगर निवासी पूर्व अधीक्षण अभियंता की निर्धारित अवधि में कुल आय 65.90 लाख रुपये थी। जबकि उन्होंने भरण-पोषण व संपत्तियां जुटाने में 1.14 करोड़ रुपये खर्च किए। कुल आय की तुलना मेें उन्होंने 48.27 लाख रुपये अधिक खर्च किए, जिसका कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके।
लखनऊ : (मानवी मीडिया) भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई जारी है। विजिलेंस की जांच में जल निगम के तीन अधिकारी आय से अधिक संपत्ति जुटाने के मामले में दोषी पाए गए हैं। इनमें एक अधिकारी का सेवाकाल पूरा हो चुका है। खुली जांच में तीनों दोषी पाए गए। शासन के निर्देश पर विजिलेंस ने तीनों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अलग-अलग मुकदमे दर्ज कर विवेचना शुरू की है। शासन ने भ्रष्टाचार की शिकायतों पर 12 जून, 2020 को तीनों के विरुद्ध विजिलेंस की खुली जांच का आदेश दिया था। जल निगम की निर्माण इकाई सीएंडडीएस के तत्कालीन परियोजना प्रबंधक कमलेश कुमार केसरी आय से अधिक संपत्ति के दोषी पाए गए हैं। लखनऊ के इंदिरानगर निवासी कमलेश कुमार की जांच के लिए निर्धारित अवधि के दौरान आय व खर्च की पड़ताल की गई। सामने आया कि निर्धारित अवधि में 58.60 लाख रुपये की कुल आय के मुकाबले कमलेश कुमार ने भरण-पोषण व संपत्तियां जुटाने में 1.78 करोड़ रुपये से अधिक रकम खर्च की। कुल आय से 1.19 करोड़ रुपये अधिक खर्च किए जाने को लेकर वह जांच एजेंसी को संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके। इसके अलावा तत्कालीन सहायक अभियंता (परियोजना प्रबंधक) सीएंडडीएस कृष्ण कुमार पटेल भी आय से अधिक संपत्ति के दोषी पाए गए। लखनऊ के विकासनगर निवासी कृष्ण कुमार के विरुद्ध हुई विजिलेंस की खुली जांच में निर्धारित अवधि में उनकी कुल आय 29.56 लाख रुपये की तुलना में भरण-पोषण व संपत्तियों में 39.56 लाख रुपये खर्च किए गए। उन्होंने आय से लगभग 10 लाख रुपये अधिक खर्च किए और उसका काेई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके। जल निगम के मानव संसाधन विकास प्रकोष्ठ के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता अजेय रस्तोगी (अब सेवानिवृत्त) के विरुद्ध भी मुकदमा दर्ज हुआ है। प्रयागराज के किदवई नगर निवासी पूर्व अधीक्षण अभियंता की निर्धारित अवधि में कुल आय 65.90 लाख रुपये थी। जबकि उन्होंने भरण-पोषण व संपत्तियां जुटाने में 1.14 करोड़ रुपये खर्च किए। कुल आय की तुलना मेें उन्होंने 48.27 लाख रुपये अधिक खर्च किए, जिसका कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके।