नई दिल्ली (मानवी मीडिया): आज के चुनाव नतीजों ने सबसे ज्यादा अगर किसी को चिंता में डाला है तो वो भाजपा का खेमा। जिस खेमे को उम्मीद थी कि वो 400 सीटें जीत जाएगा वो खेमा आज एक-एक सीट के आंकड़े का जोड़तोड़ कर रहा है। वैसे दोपहर बाद सियासी गणित में फेरबदल संभव है लेकिन नतीजों ने एक बार साबित कर दी है इस बार लोकसभा चुनाव में मोदी मैजिक की स्पीड काफी कम हो गई। 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा को 282 सीटें मिली थीं। मोदी की उस वक्त जबरदस्त लहर थी। उस आंधी में कांग्रेस 44 सीटों पर आ गई। यहां तक कि वह पहली बार लोकसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा भी खो बैठी।
इससे पहले 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 206 सीटें जीतकर सहयोगियों के साथ सरकार बनाई थी। लोकसभा चुनाव में शुरुआती रुझान में एनडीए ने वैसे तो बहुमत हासिल कर लिया है। देश में कुल 543 सीटें हैं। बहुमत के लिए 273 सीटें चाहिए। एनडीए ने अब तक 297 सीटों पर बढ़त बना ली है। इंडिया ब्लॉक 227 सीटों पर बढ़त बनाए है, अन्य 19 सीटों पर आगे हैं। फिलहाल, देश में एनडीए तीसरी बार सरकार बनाते देखा जा रहा है, लेकिन सवाल है कि क्या भाजपा अपने दम पर बहुमत पा सकेगी. क्योंकि अब तक के रुझानों में बीजेपी सिर्फ 240 सीटों पर आगे चल रही है। यानी अपनी दम पर सरकार बनाने के जादुई आंकड़े से 33 सीट पीछे है।
दक्षिण भारत की बात करें तो एग्जिट पोल में कहा जा रहा था कि भाजपा अच्छा प्रदर्शन करेगी लेकिन आज स्थिति कुछ और ही है। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में भी मोदी ने ताबड़तोड़ रैलियां की लेकिन वहां कांग्रेस और सपा अच्छा प्रदर्शन करती दिख रही हैं। अगर मोदी लहर की धीमी गति की बात करें कई वजहें हैं। इनमें से सबसे बड़ी वजह है इंडी गठबंधन के साए तले कई दलों का एक साथ एक मंच पर आना। खुद न लडक़र दूसरे दलों को सीटें देना।