उत्तर प्रदेश : (मानवी मीडिया) रेल यात्रियों के लिए अच्छी खबर है। कन्फर्म नहीं होने पर आटोमेटिक कैंसिल होने वाले टिकटों पर लगने वाला चार्ज रेलवे खत्म कर सकता है। इसे लेकर मंथन शुरू कर दिया गया है। रेलवे अफसर इससे होने वाली राजस्व हानि से लेकर यात्रियों को मिलने वाली सुविधा तक तमाम पहलुओं पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। आईआरसीटीसी की वेबसाइट से सर्वाधिक टिकट बनाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त रेलवे आरक्षण केंद्रों से भी पैसेंजर टिकट बनवाते हैं। ऑनलाइन बनवाए जाने वाले टिकट यदि कन्फर्म नहीं होते और वेटिंग में रह जाते हैं तो आटोमेटिक कैंसिल हो जाते हैं। ऐसे में रेलवे 60 रुपये का क्लेरिकल चार्ज काटने के बाद शेष धनराशि यात्रियों को लौटाता है। वहीं काउंटर से बनने वाले वेटिंग टिकटों पर रेलवे यात्रा की सुविधा प्रदान करता है। ऑनलाइन आटोमेटिक कैंसिल होने वाले टिकटों से अकेले यूपी में रेलवे को 450 से 600 करोड़ रुपये की आमदनी प्रतिवर्ष होती है। यह धनराशि यात्रियों की जेब से जाती है, जिसके एवज में उन्हें सुविधा तक नहीं मिलती। दैनिक यात्री एसोसिएशन के अध्यक्ष एसएस उप्पल इस मुद्दे को पहले कई बार उठा चुके हैं।
उत्तर प्रदेश : (मानवी मीडिया) रेल यात्रियों के लिए अच्छी खबर है। कन्फर्म नहीं होने पर आटोमेटिक कैंसिल होने वाले टिकटों पर लगने वाला चार्ज रेलवे खत्म कर सकता है। इसे लेकर मंथन शुरू कर दिया गया है। रेलवे अफसर इससे होने वाली राजस्व हानि से लेकर यात्रियों को मिलने वाली सुविधा तक तमाम पहलुओं पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। आईआरसीटीसी की वेबसाइट से सर्वाधिक टिकट बनाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त रेलवे आरक्षण केंद्रों से भी पैसेंजर टिकट बनवाते हैं। ऑनलाइन बनवाए जाने वाले टिकट यदि कन्फर्म नहीं होते और वेटिंग में रह जाते हैं तो आटोमेटिक कैंसिल हो जाते हैं। ऐसे में रेलवे 60 रुपये का क्लेरिकल चार्ज काटने के बाद शेष धनराशि यात्रियों को लौटाता है। वहीं काउंटर से बनने वाले वेटिंग टिकटों पर रेलवे यात्रा की सुविधा प्रदान करता है। ऑनलाइन आटोमेटिक कैंसिल होने वाले टिकटों से अकेले यूपी में रेलवे को 450 से 600 करोड़ रुपये की आमदनी प्रतिवर्ष होती है। यह धनराशि यात्रियों की जेब से जाती है, जिसके एवज में उन्हें सुविधा तक नहीं मिलती। दैनिक यात्री एसोसिएशन के अध्यक्ष एसएस उप्पल इस मुद्दे को पहले कई बार उठा चुके हैं।