उत्तर प्रदेश : (मानवी मीडिया) लोकसभा चुनाव में इलाहाबाद सीट पर भाजपा की पराजय के बाद यमुनापार की सियासी प्याली में तूफान आ गया है। हार के कारणों की समीक्षा में भाजपा ने भितरघात के अलावा कुछ नेताओं-कार्यकर्ताओं की निष्कियता को अहम कारण के रूप में गिनाया है। इन सबके बीच यमुनापार के सात ब्लॉक प्रमुखों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए हस्ताक्षर अभियान शुरू करा दिया गया है। कुर्सी बचाने के लिए इन ब्लॉक प्रमुखों ने सीएम योगी आदित्यनाथ की शरण ली है। कहा जा रहा है कि इनमें से ज्यादातर सपा के समर्थन से ही जीते थे।
बाद में भाजपा का दामन थाम लिया था। स्थानीय निकाय विधान परिषद चुनाव में इन ब्लॉक प्रमुखों ने भाजपा का समर्थन किया था। अब लोकसभा चुनाव के दौरान यमुनापार में भाजपा के हारने के बाद जहां एक ओर भितरघात के लिए कई बड़े नेताओं को चिह्नित किया गया है, वहीं सपा से भाजपा में आए ब्लॉक प्रमुख पर अविश्वास की तलवार लटकने लगी है। अविश्वास प्रस्ताव के लिए हस्ताक्षर अभियान शुरू हो गया है। करछना ब्लॉक में 50 से अधिक बीडीसी सदस्यों के हस्ताक्षर अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए करा लिया गया है। इसी तरह मेजा, कौंधियारा, मांडा, कोरांव और चाका में भी हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है। भाजपा में इन ब्लॉक प्रमुखों की भूमिका की पड़ताल की जा रही है।
इस बीच इन ब्लॉक प्रमुखों ने लखनऊ में सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलकर अविश्वास प्रस्ताव के बचाने की गुहार लगाई है। अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने से घबराए ब्लॉक प्रमुखों का नेतृत्व करछना के विधायक पीयूष रंजन निषाद कर रहे हैं। सात ब्लॉक प्रमुखों ने विधायक निषाद के साथ ही इस मुद्दे पर सीएम से मुलाकात की है। पीयूष रंजन ने सपा नेता रेवती रमण सिंह पर इन ब्लॉक प्रमुखों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का आरोप लगाया है।