लखनऊ (मानवी मीडिया)उत्तर प्रदेश के 8 तीर्थ यात्रियों की आतंकी हमले के बाद जीवन बचाने की संघर्षशील यात्रा अपने आप में प्रेरणादायक है। हाल ही में 9 जून को रियासी में एक तीर्थयात्री बस पर हुए भीषण आतंकी हमले के बाद, कटरा में एस.एम.वी.डी नारायणा हॉस्पिटल तुरंत हरकत में आया और पीड़ितों को आकस्मिक गंभीर देखभाल प्रदान की गई। इस आतंकी हमले में 40 से अधिक लोग घायल हो गए, जिनमें से 10 लोगों को गोली लगी थी। इनमें से उत्तर प्रदेश के 8 सहित गंभीर रूप से घायल 15 मरीजों को तुरंत एस.एम.वी.डी नारायणा हॉस्पिटल में स्थानांतरित कर दिया गया। यहां डॉ. सोनिया डोगरा (इमरजेंसी मेडिसिन), डॉ. सुहैल खुरू (जी.आई सर्जरी) और डॉ. विकास पाधा (ऑर्थोपेडिक्स) के नेतृत्व में स्वास्थ्य कर्मियों की आपातकालीन टीम तुरंत जुट गई।
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गंभीर रूप से घायल हुए 15 मरीजों को रियासी जिला प्रशासन द्वारा एस.एम.वी.डी नारायणा अस्पताल में रेफर किया गया।___________________
फैसिलिटी डायरेक्टर डॉ. मथवन ने बताया कि हमारी प्राथमिकता हर हाल में मरीजों के जीवन को बचाना था। ऐसे में पूरी टीम ने हर संभव सर्वोत्तम देखभाल और उन्नत सुविधाओं के साथ उनके जीवन को बचाने का सफल प्रयास किया। हमने कोड ऑरेंज (बाहरी आपदा) सक्रिय किया और लगभग 150 कर्मचारियों ने तुरंत रिस्पांस किया। स्वास्थ्य कर्मियों और रोगियों दोनों ने इस गंभीर स्थिति में प्रेरणादायक प्रदर्शन किया।
ग्रेटर नोएडा की 35 वर्षीय लक्ष्मी को दाएं स्कैपुलर फ्रैक्चर और कई पेल्विक छर्रे के घाव सहित गंभीर चोटें आईं। एसआईसीयू में डॉ. सुहैल खुरू की देखरेख में उन्हें डायवर्सन कोलोस्टॉमी के साथ एक लैपरोटॉमी से गुजरना पड़ा।
क्लिनिकल डायरेक्टर डॉ. जेपी सिंह ने कहा कि वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड और जिला प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मरीज को हमारे पास रेफर किया, इसके लिए वह बधाई के पात्र हैं। समय रहते उनके इस निर्णय से ही आपातकालीन स्थिति में मरीज को सर्वोत्तम देखभाल उपलब्ध हो सकी। वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने तुरंत रोगियों को अस्पताल में स्थानांतरित किया और ऐसे में उन्हें एक बेहतर चिकित्सा सुविधा मिल सकी।
बलरामपुर की उषा पांडे (43) गोली लगने से घायल हो गई थी उन्होंने अस्पताल का आभार व्यक्त किया, उन्होंने कहा कि आज नारायणा अस्पताल के कर्मचारियों की विशेषज्ञता और उनके समर्पण भाव के कारण ही अधिकांश मरीज ठीक हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं बहुत ही डर गई थी परंतु डॉक्टरों और नर्सों ने दयालुता और देखभाल के साथ मेरा इलाज किया। उन्होंने न केवल मेरे घावों को ठीक किया, बल्कि मुझे यह विश्वास करने की शक्ति भी दी कि मैं ठीक हो सकती हूं। मैं हमेशा अस्पताल की ऋणी रहूंगी।
श्राइन बोर्ड के सीईओ अंशुल गर्ग ने ऐसे समय के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि ऐसी स्थितियों में हर एक सेकंड बहुत मायने रखता है। हमारी टीम के समन्वित प्रयास और अस्पताल द्वारा तत्काल और दयालु देखभाल के कारण मरीजों को ठीक होते देखना सबसे बड़ा इनाम है। श्राइन बोर्ड इलाज का पूरा खर्च बिना शर्त वहन करेगा।
ठीक होने वाले मरीजों में ग्रेटर नोएडा के बंटी (30) भी शामिल हैं, जिन्हें गोली लगने से घाव हो गया था। उन्होंने बताया कि जब मैं अस्पताल पहुंचा तब मेरी हालत अत्यंत गंभीर थी परंतु अस्पताल के कर्मचारियों ने मेरे साथ परिवार जैसा व्यवहार किया। उनका समर्पण और करुणा असाधारण रही है और मैं हमेशा आभारी रहूंगा। अन्य पीड़ितों में, बलरामपुर की 20 वर्षीय मैना देवी को बाएं कलाई में चोट लगी है और सर्जरी के बाद उसकी हालत स्थिर है। बलरामपुर की 20 वर्षीय सुश्री काजल को दोनों पैरों में नरम ऊतकों में चोटें आईं और सर्जरी के बाद उसकी हालत स्थिर है, जबकि कानपुर के 25 वर्षीय श्री दिनेश को सबराच्नॉइड रक्तस्राव अपने भयावह अनुभवों के बावजूद, ये बचे हुए लोग उन चिकित्सा टीमों के लचीलेपन और समर्पण के प्रमाण हैं।
डॉ. सोनिया डोगरा ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि हमें बस दुर्घटना के संबंध में हमारी एफडी के माध्यम से जिला प्रशासन से एक संदेश मिला। जिसमें यह बताया गया कि, लगभग 20 रोगियों को हमारे अस्पताल में स्थानांतरित किए जाने की उम्मीद है। हमने 'कोड ऑरेंज' सक्रिय किया और कुछ ही मिनटों में हमारे पास पूरी तरह से तैयार 150 कर्मचारी थे। मरीज़ों के आने से पहले ही ज़िम्मेदारियों की जानकारी दे दी गई और उन्हें हर किसी के हिसाब से बांट भी दिया गया। मरीजों का ठीक से परीक्षण किया गया और कम से कम समय में आईसीयू और ऑपरेशन थिएटरों में भेजा गया। कोड ऑरेंज की मॉक ड्रिल ने हमें अच्छा प्रशिक्षण दिया और हम सभी मरीजों के साथ-साथ भीड़ को भी बहुत कुशलता से प्रबंधित करने में सक्षम हुए।
10 मरीजों को पहले ही छुट्टी दे दी गई है, जबकि 5 अभी भी निगरानी में हैं और उन पर इलाज का अच्छा असर हो रहा है। इस संकट के समय डॉक्टरों की टीम पूरी तरह से पहले से ही तैयार थी। त्वरित प्रतिक्रिया और उन्नत चिकित्सा क्षमता मरीजों की सेवा और उनके जीवन को बचाने के मिशन के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता का उदाहरण है। रोगियों के प्रति यह समर्पण नारायणा हेल्थ की आधारशिला है और यह घटना रोगियों तथा चिकित्सकों के लिए भी प्रेरणादायक रहेगी।
दूरदर्शी कार्डियक सर्जन डॉ. देवी प्रसाद शेट्टी द्वारा स्थापित नारायणा हेल्थ का मुख्यालय बेंगलुरु में स्थित है। भारत में सबसे बड़े स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं में से एक के रूप में नारायणा हेल्थ सुपर-स्पेशियलिटी तृतीयक देखभाल सुविधाओं की एक व्यापक श्रृंखला प्रदान करता है, जो खुद को स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं के लिए अंतिम गंतव्य के रूप में स्थापित करता है। नारायणा हेल्थ ने तेजी से विकास किया है, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 45 स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के विशाल नेटवर्क को शामिल करते हुए अपनी पहुंच का विस्तार किया है। इस नेटवर्क में 18 स्वामित्व/संचालित अस्पताल, एक प्रबंधित अस्पताल, तीन हृदय केंद्र, 21 प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं और केमैन द्वीप में एक अस्पताल शामिल हैं। 6,164 बिस्तरों की कुल क्षमता के साथ, नारायणा हेल्थ जरूरतमंद लोगों को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने के अपने मिशन के लिए प्रतिबद्ध है।
(ब्यूरो)