जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने 30वें आर्मी चीफ का चार्ज लिया - मानवी मीडिया

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Sunday, June 30, 2024

जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने 30वें आर्मी चीफ का चार्ज लिया


नई दिल्ली : 
(मानवी मीडियाभारत सरकार ने 11 जून की रात उन्हें आर्मी चीफ बनाने का ऐलान किया था। इससे पहले वे सेना के वाइस चीफ, नॉर्दर्न आर्मी कमांडर, DG इन्फेंट्री और सेना में कई अन्य कमांड के प्रमुख के रूप में काम कर चुके हैं। जनरल द्विवेदी ने आर्मी चीफ के तौर पर जनरल मनोज पांडे की जगह ली है। जनरल मनोज पांडे आज ही रिटायर हुए हैं। लास्ट वर्किंग डे पर सेना की ओर से उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। वे 26 महीने तक आर्मी चीफ रहे। रिटायर जनरल मनोज पांडे से आर्मी चीफ का चार्ज लेने के बाद जनरल उपेंद्र द्विवेदी। 

मनोज पांडे को एक महीने का एक्सटेंशन दिया थारिटायर्ड जनरल मनोज पांडे 31 मई को रिटायर होने वाले थे। हालांकि, सरकार ने पिछले महीने उनका कार्यकाल एक महीने के लिए बढ़ा दिया था। 25 मई को उन्हें एक्सटेंशन देने की घोषणा हुई थी।आम तौर पर सेना में इस तरह के फैसले नहीं लिए जाते। इस कदम से अटकलें लगाई जाने लगी थीं कि जनरल द्विवेदी को सेना की टॉप पोस्ट के लिए नजर अंदाज किया जा सकता है। लेकिन सरकार के ऐलान के साथ ही इन सभी अटकलों पर विराम लग गया।

पूर्व आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे को उनके कार्यकाल के आखिरी दिन गार्ड ऑफ ऑनर मिला। जनरल द्विवेदी के अपॉइंटमेंट में फॉलो किया गया सीनियरिटी कॉन्सेप्टजनरल द्विवेदी को चीफ ऑफ आर्मी बनाने में सरकार ने सीनियरिटी कॉन्सेप्ट फोटो किया। इस वक्त आर्मी में जनरल द्विवेदी के बाद सबसे सीनियर अफसर दक्षिणी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सिंह हैं। जनरल द्विवेदी और लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सिंह, दोनों को 30 जून को रिटायर होना था। तीनों सेनाओं के प्रमुख 62 साल की उम्र तक या तीन साल, इनमें से जो भी पहले हो, तब तक सेवा दे सकते हैं। 

हालांकि, लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों की रिटायरमेंट एज 60 साल है, जब तक कि अधिकारी को फोर स्टार रैंक के लिए अप्रूव नहीं किया जाता है। जनरल द्विवेदी ने सैनिक स्कूल रीवा से पढ़ाई कीजनरल उपेंद्र द्विवेदी मध्य प्रदेश के निवासी हैं। उन्होंने सैनिक स्कूल रीवा में पढ़ाई की और जनवरी 1981 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) में शामिल हो गए। उन्हें दिसंबर 1984 में जम्मू और कश्मीर राइफल्स की 18वीं बटालियन में नियुक्त किया गया था। उन्होंने बाद में कश्मीर घाटी और राजस्थान के रेगिस्तान में कमान संभाली। जनरल द्विवेदी परम विशिष्ट सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक और तीन जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चार्ज (GOC-in-C) प्रशस्ति कार्ड से सम्मानित हो चुके हैं।

सेना में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर काम करते रहे हैं जनरल द्विवेदीटेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को लेकर उत्साही होने के नाते, जनरल द्विवेदी ने नॉर्दर्न कमांड में सभी रैंकों की टेक्निकल बाउंड्रीज को बढ़ाने की दिशा में काम किया। उन्होंने बिग डेटा एनालिटिक्स, AI, क्वांटम और ब्लॉकचेन-बेस्ड समाधानों जैसी महत्वपूर्ण और उभरती हुई टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दिया। जनरल द्विवेदी विदेशों में भी तैनात रहेजनरल द्विवेदी अपने दो विदेशी कार्यकाल के दौरान सोमालिया हेडक्वॉर्टर UNOSOM II का हिस्सा रहे। साथ ही सेशेल्स सरकार के सैन्य सलाहकार के रूप में काम किया। जनरल द्विवेदी ने डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन और AWC, महू में हाईकमांड सिलेबस में भी भाग लिया। 

उन्हें USAWC, कार्लिस्ले, USA में विशिष्ट फेलो से सम्मानित किया गया था। उनके पास डिफेंस एंड मैनेजमेंट स्टडीज में MPhil की डिग्री है। इसके अलावा मिलिट्री साइंस में दो मास्टर डिग्री हैं, जिनमें से एक USAWC USA से है। सेना और नौसेना के प्रमुख क्लासमेट, इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी क्लासमेट रह चुके हैं। भारतीय सैन्य इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब दो क्लासमेट देश की सेना के तीन अंगों में से दो के प्रमुख हैं। नेवी चीफ एडमिरल दिनेश त्रिपाठी और आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी 1970 के दशक की शुरुआत में 5वीं क्लास में एक साथ पढ़ते थे

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