लखनऊ में कुकरैल नदी के लिए 22 तालाबों का जीर्णोद्धार - मानवी मीडिया

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Wednesday, June 26, 2024

लखनऊ में कुकरैल नदी के लिए 22 तालाबों का जीर्णोद्धार


लखनऊ : (मानवी मीडिया कुकरैल नदी के लिए 22 तालाबों का जीर्णोद्धार होगा। नदी की लंबाई 28 किलोमीटर है। इस बीच करीब 22 तालाब नदी के आसपास हैं। इसमें से 5 तालाब नदी के रास्ते में पड़ते हैं। सभी को फिर से तैयार किया जाएगा। लखनऊ की कमिश्नर रोशन जैकब ने निर्देश जारी किया इस दौरान कुकरैल नदी को उसके उद्गम स्थल अस्ती से गोमती नदी तक प्रदूषण मुक्त करके पुनर्जीवित करने का काम होगा। लखनऊ विकास प्राधिकरण को डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। लेकमैन आनन्द ने हरदोई मॉडल पर कुकरैल नदी को पुनर्जीवित व प्रदूषण मुक्त किए जाने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा इस कार्य में लगे अफसर एक बार भ्रमण अवश्य करें। हरदोई ने इस दिशा में अच्छा काम किया है।


लखनऊ में कुकरैल नदी को पुनर्जीवित किया जाएगा। गांव के सभी तालाब और कुएं की सफाई अस्ती गांव में अन्य जो छोटे-बड़े तालाब व कुआं हैं, उनकी सफाई का काम भी प्राथमिकता के आधार पर होगा। लेकमैन आनन्द ने सुझाव दिया गया कि डीपीआर में सौतल झील के क्षेत्र का अंकन किया जाए। इससे जीर्णोद्वार करने में आसानी होगी। रिमोट सेन्सिंग के वैज्ञानिक को निर्देश दिया गया कि सौतल झील का सर्वे कर सम्बन्धित विभाग, मुख्य विकास अधिकारी को रिपोर्ट दी जाए। नदी के रास्ते में अस्ती गांव को जाने वाली सड़क पर कलवर्ट बनाने का कार्य लोक निर्माण विभाग करेगा। सिंचाई विभाग को निर्देश दिया गया कि कुकरेल नदी में रिटेनिंग वॉल बनाई जाए। जिससे कि पानी को रोका जा सके। इससे नदी में हमेशा पानी बना रहेगा। सिंचाई विभाग को कुकरैल नदी के सम्बन्ध में तत्काल वर्कऑर्डर जारी किए जाने के निर्देश दिए हैं। 

सभी विभागों में सामंजस्य के लिए मुख्य विकास अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाया गया है। कुकरैल में शारदा नहर से आएगा पानी पानी की कमी को दूर करने के लिए शारदा नहर से इसमें पानी लाया जाएगा। सिंचाई विभाग को निर्देश दिया गया कि कुकरैल नदी के पुराने रूट से सर्वे किया जाए। ऐसी रूपरेखा अपनाई जाए, जिससे कि पेड़-पौधों को काटे बिना ही नदी को पुनर्जीवित किया जा सके। सिंचाई विभाग को शारदा नहर से ऐसी पद्धति बनाने को कहा गया है, जिससे कुकरैल नदी में हमेशा पानी बना रहे। नदी में सिल्ट कम आने पाए सिर्फ अच्छी गुणवत्ता का पानी ही आए। सिंचाई विभाग को निर्देश दिया गया कि जब उनकी डीपीआर बनकर तैयार हो जाए, उसके बाद ही वन विभाग की डीपीआर की स्टडी की जाए। इन जगहों पर चलेगा अभी बुलडोज

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