आंध्र प्रदेश : (मानवी मीडिया) चंद्रबाबू नायडू चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री बनने जा रहे है। इससे पहले उन्होंने 1 सितंबर 1995, 11 अक्टूबर 1999 और 8 जून 2014 को तीन बार CM पद की शपथ ली थी। 2019 में YSRCP अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी ने जीत दर्ज कर उनसे सत्ता छीनी थी। सूत्रों के मुताबिक, नायडू शपथ ग्रहण के दिन अमरावती को राज्य की राजधानी बनाने का ऐलान कर सकते हैं। 2 जून को हैदराबाद को तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की संयुक्त राजधानी रखने के लिए 10 साल का कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो गया। अभी आंध्र देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जिसकी कोई राजधानी नहीं है। नायडू ने 2014 में अमरावती को राजधानी बनाने की घोषणा की थीअमरावती नायडू के लिए खास महत्व रखता है। 2014 में आंध्र प्रदेश का बंटवारा दो हिस्सों में हुआ था।
तेलंगाना अलग राज्य बना। 2014 के आंध्र प्रदेश पुनर्गठन एक्ट के मुताबिक, हैदराबाद ही इन दोनों राज्यों की राजधानी बनी रही, लेकिन एक्ट के मुताबिक ये सिर्फ 10 साल का कॉन्ट्रैक्ट था। 10 साल बाद यानी 2024 तक आंध्र को अपनी नई राजधानी बनानी थी। आंध्र के बंटवारे के साल यानी 2014 के विधानसभा चुनाव में चंद्रबाबू नायडू की TDP विजयी हुई। नायडू ने CM बनने के बाद अमरावती को राजधानी बनाने का ऐलान किया था। अमरावती में जमीन अधिग्रहण और निर्माण कार्य भी शुरू हो गया था। हालांकि, 2019 में फिर सत्ता बदली और तत्कालीन CM जगन मोहन ने अमरावती की जगह राज्य की तीन राजधानी बनाने की घोषणा कर दी।
तीन-तीन राजधानियों के ऐलान के साथ ही अमरावती में विरोध प्रदर्शन हुए। मामला हाई कोर्ट पहुंचा। हाई कोर्ट ने मार्च 2022 में अमरावती को राजधानी बनाने के हक में फैसला सुनाते हुए कहा कि सरकार सिर्फ अपनी इच्छा की वजह से तीन राजधानियां नहीं बना सकती। कोर्ट ने सरकार को अमरावती में चल रहा राजधानी का निर्माण कार्य अगले छह महीने में पूरा करने का आदेश दिया था। हालांकि, अब तक आंध्र प्रदेश को अपनी राजधानी नहीं मिल सकी है। इधर, 2 जून को कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने से पहले तेलंगाना सरकार ने उन इमारतों को खाली करने का आदेश दे दिया है, जहां आंध्र सरकार के दफ्तर हैं। आंध्र में NDA को बहुमत, TDP ने 135 सीटें जीती
2024 विधानसभा चुनाव में NDA ने आंध्र प्रदेश में भारी बहुमत से जीत दर्ज की है। विधानसभा की 175 सीटों में से नायडू की TDP को 135, पवन कल्याण की जनसेना को 21 और भाजपा को 8 सीटें मिली हैं। तीनों गठबंधन में हैं। जगन मोहन रेड्डी की YSRCP को केवल 11 सीटों मिलीं। कांग्रेस राज्य में अपना खाता भी नहीं खोल सकी। इस बार जगन मोहन रेड्डी की बहन वाई एस शर्मिला रेड्डी राज्य में कांग्रेस की अगुआई कर रही थीं। वे आंध्र प्रदेश में कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस के पारंपरिक वोटर्स भाई-बहन की पार्टी में बंट गए। कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं था, लेकिन YSRCP को इसका नुकसान हुआ और भाई-बहन की लड़ाई में सीधा फायदा TDP को हुआ।