लखनऊ : (मानवी मीडिया) 5 से 10 साल की उम्र के बच्चों को एक मकान में रखा गया। जहां न खाने की व्यवस्था और ना ही शौचालय की। इतना ही नहीं जिस उम्र में बच्चों को विद्यालय जाना चाहिए। उस उम्र में उन छोटे बच्चों को जन्नत और पुनर्जन्म के साथ एक धर्म को अच्छा जबकि दूसरे धर्म को बुरा बताया जा रहा था। जिससे उन छोटे बच्चों में धार्मिक कट्टरता आ सके। यह सब कुछ हो रहा था राजधानी के दुबग्गा स्थित एक मकान में।
जिसे मदरसे के तौर पर चलाए जा रहा था हालांकि उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की जांच में यह मदरसा अवैध पाया गया है। इसके बाद अब मदरसे के संचालक के खिलाफ FIR दर्ज करने की तैयारी हो रही है। यह एफ आई आर एक संस्था की तरफ से दर्ज कराई जाएगी।
उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी ने बताया कि अवैध मदरसे में पढ़ रहे 5 से 10 साल के बच्चे जो अभी हिन्दी भी ठीक तरह से नहीं बोल पाते हैं। वह हाफिज बनकर लोगों को जन्नत ले जाने की बात करते हैं। इतना ही नहीं वह पुनर्जन्म पर कहते हैं कि बुरे लोगों का होता है पुर्नजन्म। इन बच्चों को तीन दिन पहले रेस्क्यू कराया गया था। यह बच्चे समुदाय में अंतर की बात बता रहे थे।
एक धर्म को अच्छा और दूसरे धर्म को खराब बता रहे थे। डॉ. शुचिता चतुर्वेदी ने बताया कि छोटे बच्चों का पूरी तरह से ब्रेन वॉश किया गया है। बच्चों से हुई बातचीत में यह बात निकल कर सामने आई है। दरअसल, लखनऊ के दुबग्गा स्थित एक मदरसे से 3 दिन पूर्व गुरुवार को करीब 21 बच्चे रेस्क्यू कराये गये थे।