उत्तर प्रदेश : (मानवी मीडिया) राज्य सड़क परिवहन निगम के बेड़े में शामिल 12 हजार में से नौ हजार बसें जानलेवा बनकर सड़कों पर दौड़ रही हैं। इन बसों में आग से बचाव के इंतजाम न होने की वजह से इनसे यात्रा करने वालों की जान कभी भी जोखिम में पड़ सकती है। किराए से हर महीने मुनाफे का दावा करने वाला निगम इस जोखिम को टालने का कोई उपाय नहीं कर रहा है। आलम यह है कि इस भीषण गर्मी में आए दिन बसों में आग लगने की घटनाएं सामने आ रही है। यात्रियों से लेकन चालक, परिचालक तक कूद-फांद कर जान बचा रहे हैं, लेकिन निगम बसों में एक अदद फायर इंस्ट्यूग्शर नहीं रखवा पा रहा है। कैसरबाग, आलमबाग और अवध बस अड्डे की बसों का जायजा लिया तो वर्कशॉप के कर्मचारियों से मिली जानकारी पर मुहर लग गई। रोडवेज वर्कशॉप के कर्मचारियों ने बताया कि अलग-अलग डिपो से 12 हजार 300 बसें संचालित हो रही हैं। इनके मरम्मत का काम यहीं होता है। इनमें नौ हजार बसें ऐसी हैं जिनमें आग लगने पर बुझाने के लिए कोई उपकरण मौजूद नहीं है। वर्कशॉप के एक जिम्मेदार कर्मचारी ने बताया कि सड़क पर दौड़ाने से पहले बसों को 13 सुरक्षा मानकों परखा जाता है। इसमें हेडलाइट, बैकलाइट, ब्रेक, हार्न, बैटरी। की जांच होती है। सबसे जरुरी फायर इंस्ट्यूग्शर होता है जो आग लगने की स्थित में तत्काल बचाव करता है। आकस्मिक द्वार की भी गहन जांच होती है, ताकि आपात स्थित में उसे खुलने में दिक्कत न हो।
उत्तर प्रदेश : (मानवी मीडिया) राज्य सड़क परिवहन निगम के बेड़े में शामिल 12 हजार में से नौ हजार बसें जानलेवा बनकर सड़कों पर दौड़ रही हैं। इन बसों में आग से बचाव के इंतजाम न होने की वजह से इनसे यात्रा करने वालों की जान कभी भी जोखिम में पड़ सकती है। किराए से हर महीने मुनाफे का दावा करने वाला निगम इस जोखिम को टालने का कोई उपाय नहीं कर रहा है। आलम यह है कि इस भीषण गर्मी में आए दिन बसों में आग लगने की घटनाएं सामने आ रही है। यात्रियों से लेकन चालक, परिचालक तक कूद-फांद कर जान बचा रहे हैं, लेकिन निगम बसों में एक अदद फायर इंस्ट्यूग्शर नहीं रखवा पा रहा है। कैसरबाग, आलमबाग और अवध बस अड्डे की बसों का जायजा लिया तो वर्कशॉप के कर्मचारियों से मिली जानकारी पर मुहर लग गई। रोडवेज वर्कशॉप के कर्मचारियों ने बताया कि अलग-अलग डिपो से 12 हजार 300 बसें संचालित हो रही हैं। इनके मरम्मत का काम यहीं होता है। इनमें नौ हजार बसें ऐसी हैं जिनमें आग लगने पर बुझाने के लिए कोई उपकरण मौजूद नहीं है। वर्कशॉप के एक जिम्मेदार कर्मचारी ने बताया कि सड़क पर दौड़ाने से पहले बसों को 13 सुरक्षा मानकों परखा जाता है। इसमें हेडलाइट, बैकलाइट, ब्रेक, हार्न, बैटरी। की जांच होती है। सबसे जरुरी फायर इंस्ट्यूग्शर होता है जो आग लगने की स्थित में तत्काल बचाव करता है। आकस्मिक द्वार की भी गहन जांच होती है, ताकि आपात स्थित में उसे खुलने में दिक्कत न हो।