मध्यप्रदेश : (मानवी मीडिया) मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने आज कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि लॉर्ड मैकाले ने शिक्षा नीति में से भगवान राम और कृष्ण के सारे अध्यायों को निकालकर शिक्षा नीति को देव विहीन कर दिया, इसके बाद अंग्रेज चले गए लेकिन कांग्रेस को छोड़ गए और वो कांग्रेस आज भी उल्टे रास्ते पर चल रही है। डॉ यादव रेवाड़ी के बेरली के कोसली में आयोजित रैली में संबोधन दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि हरियाणा अर्थात हरि का निवास। यहां भगवान श्री कृष्ण की धरती पर अपने-अपने ढंग से सब जीवन यापन कर रहे हैं। यहां के हर घर से कोई ना कोई रणबांकुरा अपनी सीमा पर ड्यूटी कर रहा है। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण के जीवन में कष्ट ही कष्ट रहे हैं, लेकिन हर कष्ट के बाद भी कन्हैया, कन्हैया ही नहीं है कालिया नाग को मार कर उसके फन पर नृत्य करने की हिम्मत केवल गोपाल कृष्ण में है। जो गाय चरा कर आनंद लेते हैं और अपनी माता बहनों के कष्ट को भी दूर करने में आगे रहते हैं। कंस जैसे महापराक्रमी को उसके घर में मारते हैं। भगवान श्री कृष्ण कंस को मारने के बाद कुर्सी को लात मार के उज्जैन शिक्षा ग्रहण करने के लिए आ गए। भगवान श्री कृष्ण ने 64 कला, 14 विद्या, 4 वेद, 18 पुराण की शिक्षा ग्रहण की। ऐसा शिक्षार्थी तो कहीं मिलेगा नहीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा की धरती पर जब महाभारत का महायुद्ध हुआ। उस युद्ध की धमक से दुनिया दहल उठी थी, लेकिन ऐसे कठिन समय में भी, जो शिक्षा ग्रहण की थी, उस समय में उनके मुख से 18 अध्याय की पवित्र गीता निकली। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि 1835 में लॉर्ड मैकाले ने जब शिक्षा नीति लागू की तब उस शिक्षा नीति में से दुर्भाग्य से भगवान श्री कृष्ण और भगवान श्री राम के सारे अध्यायों को निकालकर शिक्षा नीति को देव विहीन कर दिया। अंग्रेज चले गए, लेकिन कांग्रेस को छोड़ गए। ये भी आज उस उल्टे रास्ते पर चलते हैं। कांग्रेस ने सोमनाथ के मंदिर का विरोध किया, जिसका इतिहास गवाह है।
मध्यप्रदेश : (मानवी मीडिया) मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने आज कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि लॉर्ड मैकाले ने शिक्षा नीति में से भगवान राम और कृष्ण के सारे अध्यायों को निकालकर शिक्षा नीति को देव विहीन कर दिया, इसके बाद अंग्रेज चले गए लेकिन कांग्रेस को छोड़ गए और वो कांग्रेस आज भी उल्टे रास्ते पर चल रही है। डॉ यादव रेवाड़ी के बेरली के कोसली में आयोजित रैली में संबोधन दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि हरियाणा अर्थात हरि का निवास। यहां भगवान श्री कृष्ण की धरती पर अपने-अपने ढंग से सब जीवन यापन कर रहे हैं। यहां के हर घर से कोई ना कोई रणबांकुरा अपनी सीमा पर ड्यूटी कर रहा है। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण के जीवन में कष्ट ही कष्ट रहे हैं, लेकिन हर कष्ट के बाद भी कन्हैया, कन्हैया ही नहीं है कालिया नाग को मार कर उसके फन पर नृत्य करने की हिम्मत केवल गोपाल कृष्ण में है। जो गाय चरा कर आनंद लेते हैं और अपनी माता बहनों के कष्ट को भी दूर करने में आगे रहते हैं। कंस जैसे महापराक्रमी को उसके घर में मारते हैं। भगवान श्री कृष्ण कंस को मारने के बाद कुर्सी को लात मार के उज्जैन शिक्षा ग्रहण करने के लिए आ गए। भगवान श्री कृष्ण ने 64 कला, 14 विद्या, 4 वेद, 18 पुराण की शिक्षा ग्रहण की। ऐसा शिक्षार्थी तो कहीं मिलेगा नहीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा की धरती पर जब महाभारत का महायुद्ध हुआ। उस युद्ध की धमक से दुनिया दहल उठी थी, लेकिन ऐसे कठिन समय में भी, जो शिक्षा ग्रहण की थी, उस समय में उनके मुख से 18 अध्याय की पवित्र गीता निकली। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि 1835 में लॉर्ड मैकाले ने जब शिक्षा नीति लागू की तब उस शिक्षा नीति में से दुर्भाग्य से भगवान श्री कृष्ण और भगवान श्री राम के सारे अध्यायों को निकालकर शिक्षा नीति को देव विहीन कर दिया। अंग्रेज चले गए, लेकिन कांग्रेस को छोड़ गए। ये भी आज उस उल्टे रास्ते पर चलते हैं। कांग्रेस ने सोमनाथ के मंदिर का विरोध किया, जिसका इतिहास गवाह है।