नई दिल्ली(मानवी मीडिया)- आम तौर पर लोगों को स्वीटी और बेबी शब्द का महिलाओं के लिए इस्तेमाल करते हुए देखा जा सकता है। क्या किसी को स्वीटी और बेबी कहना सही है? क्या ये यौन उत्पीड़न की ओर इशारा करते हैं? इन सवालों के जवाब कलकत्ता हाईकोर्ट के एक फैसले से सामने आए हैं। कोर्ट ने ये फैसला एक महिला द्वारा अपने सीनियर पर लगाए गए आरोप के मामले में सुनाया है।
दरअसल, कोस्ट गार्ड की एक महिला ने अपने सीनियर पर आरोप लगाया था कि उसने कई तरह से उसका यौन उत्पीड़न किया। इसमें उसको ‘स्वीटी’ और ‘बेबी’ बोलना भी शामिल था। मामला आईसीसी (आंतरिक शिकायत कमेटी) के पास पहुंचा। जहां आरोपी ने कहा कि उसने इन शब्दों का इस्तेमाल यौन उत्पीड़न करने की मंशा से नहीं किया। इतना ही नहीं जब महिला ने इन शब्दों का विरोध किया तो उसने कभी ‘बेबी’ या ‘स्वीटी’ नहीं कहा।
‘जरूरी नहीं कि ये शब्द हमेशा सेक्सुअल सेंटीमेंट से जुड़े हों’
आईसीसी ने अधिकारी द्वारा कहे गए इन शब्दों को गलत माना। इसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा. जहां दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता की आपत्ति के बाद आरोपी ने स्वीटी और बेबी शब्द नहीं दोहराए। ये शब्द कुछ सामाजिक क्षेत्रों में चलन में हो सकते हैं। जरूरी नहीं कि ये हमेशा सेक्सुअल सेंटीमेंट से जुड़े हों। महिला के इन आरोपों के संबंध में कोई गवाह नहीं था और शिकायत भी देर में दर्ज हुई, साथ ही आईसीसी को आरोपों की जांच करने के लिए कोई साक्ष्य जैसे सीसीटीवी फुटेज भी नहीं मिले। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि अगर वर्कप्लेस पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों का दुरुपयोग किया जाता है तो ये महिलाओं के लिए बाधाएं पैदा कर सकता है।