(मानवी मीडिया) : भारत में फिल्म निर्माताओं की सबसे बड़ी संस्था इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर एसोसिएशन (IMPPA/इंपा) ने इस बार 77वें कान फिल्म समारोह में भारतीय फिल्मों के लिए दुनिया भर में बिजनेस की नई पहल की है. इंपा के अध्यक्ष अभय सिन्हा और उपाध्यक्ष अतुल पटेल की पहल पर करीब 36 फिल्म निर्माताओं ने कान के फिल्म बाजार में अपनी फिल्मों की मार्केटिंग की और कई लोगों को सफलता भी मिली.
इंपा के उपाध्यक्ष अतुल पटेल का कहना है कि यूनेस्को से मान्यता प्राप्त विश्व की सबसे बड़ी संस्था फेडरेशन इंटरनेशनल डि आर्ट फोटोग्राफिक (फियाप) ने इंपा को सदस्यता ऑफर की है. भारत में फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया (FFI) और राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (NFDC) ही इसके सदस्य हैं,
लेकिन इन दोनों संस्थाओं ने कई सालों से फियाप को अपनी वार्षिक सदस्यता नहीं दी है. इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ फोटोग्राफिक आर्ट दुनिया भर के अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों को अपने तय मानदंडों के आधार पर मान्यता प्रदान करती है. कान, बर्लिन, वेनिस, टोरंटो, बुशान सहित दुनिया भर में होने वाले सैकड़ों अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह इसी संस्था से मान्यता प्राप्त करते हैं.
भारत में इस संस्था ने केवल चार अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों को मान्यता दी है- गोवा, केरल, बंगलुरु और कोलकाता. इस संस्था की वार्षिक सदस्यता 25 हजार 170 यूरो है यानी करीब 25 लाख रुपये. माना जा रहा है कि फियाप का सदस्य बन जाने के बाद ऑस्कर पुरस्कार में भारत से ऑफिशियल एंट्री भेजने का काम भी इंपा को मिल जाएगा.
युवा फिल्मकार चंद्रकांत सिंह कहते हैं कि असली मुद्दा यही है कि कौन सी संस्था ऑस्कर पुरस्कार के लिए भारत से फिल्मों को भेजेगी. इंपा के उपाध्यक्ष अतुल पटेल कहते हैं कि बड़े फिल्म निर्माता तो अपनी फिल्मों को विदेशों में प्रदर्शित करने में कामयाब हो जाते हैं, पर भारत के हजारों छोटे-छोटे फिल्म निर्माताओं के पास ऐसे अवसर नहीं होते. कान फिल्म बाजार में इंपा की भागीदारी से यह संभव हुआ है.
उदाहरण के लिए असित और डियाना घोष की फिल्म ‘अवनी की किस्मत’ को यहां 6 कंपनियों से बिजनेस का आमंत्रण मिला. इसी तरह ‘टेल ऑफ राइजिंग रानी’ के निर्माता अशोक कुमार शर्मा को भी कई खरीददार मिले. इंपा के अध्यक्ष अभय सिन्हा की लंदन में बनी भोजपुरी फिल्म ‘संजोग’ को भी यहां काफी सफलता मिली.