लखनऊ (मानवी मीडिया) : जो लोग धूम्रपान करते हैं उनमें बांझपन का खतरा 60% अधिक होता है। महिलाओं में प्रजनन क्षमता की 30 प्रतिशत कमी होती है। इतना ही नहीं गर्भावस्था के समय धूम्रपान करने से 20 से 30% कम वजन के बच्चे पैदा होते हैं। इतना ही नहीं 10% गर्भस्थ शिशु की मौत भी धूम्रपान के शौक के कारण हो जाती है। इसके अलावा 14% बच्चे समय से पहले जन्म ले लेते हैं। जिन्हे प्री मेच्योर बेबी कहा जाता है। यह सारी समस्याएं केवल और केवल धूम्रपान के सेवन की वजह से होता है।
यदि धूम्रपान का सेवन न किया जाए तो स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है। यह जानकारी किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी स्थित पलमोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के एचओडी प्रोफेसर (डॉ) वेद प्रकाश ने दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, तम्बाकू के सेवन से दुनिया भर भर में अनुमानतः 80 लाख से अधिक मौते होती हैं और ये मौतें ऐसी ही कि जिन्हें तम्बाडू के निषेध से रोका जा सकता है। उन्होनें बताया कि भारत में 26 करोड़ लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं जिसमें लगभग 29 प्रतिशत नवयुवक एवं नवयुवतियाँ साम्मलित हैं। भारत में तम्बाकू का सेवन विभिन्न रूपों में किया जाता है, जिसमें धूम्रपान (सिगरेट, बीड़ी) और धुआं रहित तम्बाकू (चबाने वाला तम्बाकू, गुटखा, खैनी) शामिल है। धुआं रहित तंबाकू का उपयोग विशेष रूप से अधिक है, भारत में धुआं रहित तंबाकू की खपत की दर दुनिया में सबसे अधिक है।