मुरादाबाद : (मानवी मीडिया) संभागीय परिवहन विभाग में ऑटो रिक्शा के लिए यात्री परमिट बनाने से लेकर ट्रांसफर करने तक मोटा शुल्क वसूली का खेल चल रहा है। कार्यालयों में तैनात संविदा कर्मचारी परमिट ट्रांसफर के आवेदन पर दो से ढाई लाख रुपये की सौदेबाजी कर रहे हैं। जबकि यात्री परमिट की फीस मात्र 2600 रुपये है, जिसमें 600 रुपये रजिस्ट्रेशन और 2000 रुपये ऑनलाइन फीस जमा कराने प्रावधान है। मुरादाबाद और नया मुरादाबाद सेंटर के पुराने परमिट ट्रांसफर कराने में जिलाधिकारी की टेबल से होकर लेखपाल की रिपोर्ट और तहसीलदार के हस्ताक्षर तक की व्यवस्था की गारंटी सौदेबाजों के द्वारा ली जाती है। जिसके एवज में वाहन स्वामी से डेढ़ से दो लाख रुपये तक ले लिए जाते हैं। कार्यालय में ही वाहन स्वामी से सौदेबाजी होती है।
हालांकि विभाग में चल रही वसूली से अधिकारी खुद को अनजान बताते हुए जांच कर कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं। मुरादाबाद संभागीय परिवहन विभाग में ऑटो रिक्शा के लिए यात्री परमिट बनवाने वाले वाहन स्वामी को पहले परमिट बनवाना पड़ता है। उसके बाद वाहन खरीदा जाता है। ऐसे में वाहन स्वामी आरटीओ कार्यालय में प्रार्थना पत्र देता है। जिसके बाद उसे निजी कर्मचारी कई तरह की जानकारी देते हैं। जिसमें वो उसे सारी कार्रवाई करने की डेढ़ से दो लाख की फीस बताते हैं। परिमट मुरादाबाद सिटी का लेना हो तो उसके दाम और बढ़ जाते हैं। हालांकि अभी मुरादाबाद सेंटर के दोनों परमिट बंद हैं। विभागीय कर्मचारी तब तक वाहन स्वामी से बात नहीं करते जब तक सौदा तय नहीं हो जाता। वहीं परमिट ट्रांसफर करने वाले को बताया जाता है
ट्रांसफर के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में होने वाली तिमाही बैठक में पास कराना है। जिसमें जिलाधिकारी द्वारा तहसील के लेखपाल की सत्यापन रिपोर्ट में लगने वाले समय और पैसे हवाला दिया जाता है। जिससे आवेदनकर्ता से मोटा शुल्क वसूला जा सके। जिसकी एवज में वाहन स्वामी को तीन महीने में बनने वाला परमिट 15 दिन में दे दिया जाता है। मुरादाबाद में चार सेंटर बनाए गए हैं। मुरादाबाद सेंटर, नया मुरादाबाद सेंटर, डिलारी और कांठ सेंटर समेत हर जगह के परमिट की फीस अलग बताई जाती है। हालांकि मुरादाबाद के दोनों सेंटर पुलिस अधिकारियों की शहर में ऑटो रिक्शा से जाम लगने की रिपोर्ट पर काफी समय बंद हैं।