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Tuesday, May 7, 2024

लखनऊ ::अस्थमा भारत और दुनिया भर में एक बड़ा बोझ बना हुआ है,::कुलपति, प्रो0 (डा.) सोनिया नित्यानन्द

 

लखनऊ (मानवी मीडिया)थीम - ”दमा रोग की शिक्षा से सशक्तिकरण”

Theme- (Asthma Education Empowers)

”अस्थमा भारत और दुनिया भर में एक बड़ा बोझ बना हुआ है, जिसके प्रभावी प्रबंधन और रोकथाम के लिए ठोस प्रयासों की आवश्यकता है।”   कुलपति, प्रो0 (डा.) सोनिया नित्यानन्द, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी.

श्सही निदान, समय पर उपचार और चिकित्सा का पालन अस्थमा के प्रभावी प्रबंधन और रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए सर्वोपरि है।” प्रो0 (डा0) वेद प्रकाश

महत्वपूर्ण तथ्य और संख्यायें:-

अस्थमा गैर संचारी रोगों में स बसे ज्यादा होने वाली बीमारी है। इससे पूरे विश्व में लगभग 30 करोड़ व्यक्ति ग्रसित हैं।

अस्थमा से प्रतिवर्ष पूरे विश्व में लगभग 4.5 लाख व्यक्तियों की मृत्यु होती है जबकि इसमें से ज्यादातर मृत्यु को रोका जा सकता है। अस्थमा से पूरे भारतवर्ष में लगभग 2-5% व्यक्ति ग्रसित होते हैं।

अस्थमा पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा होता है।

अस्थमा बच्चों में होने वाली सभी क्रानिक बीमारियों में सबसे प्रमुख कारण है।

अस्थमा से पूरे विश्व में लगभग 14ः बच्चे ग्रसित होते हैं।

अस्थमा से प्रतिवर्ष बच्चों के स्कूल ना जा पाने एवं हास्पिटल में भर्ती होने का सबसे प्रमुख कारण है।

एक अनुमान के मुताबिक पूरे विश्व में 68,300 करोड़ रुपये का व्यय वर्ष 2021 में हुआ था।

ळसवइंस ।ेजीउं त्मचवतज 2018 के मुताबिक लगभग 6.2% भारतीय (07 करोड़ 40 लाख व्यक्ति) अस्थमा से ग्रसित है।

भारत में गैर संचारी रोगों सेे होने वाली सभी मृत्यु में लगभग 10% लोग अस्थमा में ग्रसित होते हैं।

वायु प्रदूषण, जागरुकता की कमी अस्थमा के Cases को बढाने के लिये महत्वपूर्ण कारक है। 

एक अध्ययन के मुताबिक सभी अस्थमा के मरीजों में सिर्फ 5%व्यक्ति ही अस्थमा के लिये समुचित रूप से इलाज ले पाते हैं। 

एलर्जी भी पूरे विश्व में स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण विषय है जिसका प्रसार पूरे विश्व में बहुत तेजी से बढ़ रहा है।

विश्व एलर्जी संगघठन के मुताबिक 30-40 प्रतिशत लोग पूरे विश्व में  Allergy से ग्रसित हैं।

Allergic Rhinitis से लगभग 10-30 प्रतिशत वयस्क एवं 40 प्रतिशत बच्चे ग्रसित हैं।

Food Allergy से लगभग 6-8 प्रतिशत बच्चे एवं 2-4 प्रतिशत वयस्क ग्रसित हैं।

एक अध्ययन के मुताबिक, एलर्जी की दवाइयों में लगभग 4000 करोड़ रुपये का व्यय प्रतिवर्ष होता है।

विश्व अस्थमा दिवस- 2024 के अवसर पर सिर्फ अस्थमा ही नहीं अपितु एलर्जी पर भी जागरुकता फैलाने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन पूरे विश्व में होता है। इस वर्ष की थीम है - ”अस्थमा रोग की शिक्षा से सशक्तिकरण”, (Asthma Education Empowers) जिसका महत्व है कि समाज, मरीजों एवं चिकित्सकों में अस्थमा के बारे में जागरूकता एवं शिक्षा से अस्थमा की बीमारी को नियंत्रित किया जाये।

विश्व अस्थमा दिवस 2024 हर वर्ष 07 मई को मनाया जाता है जिसमें हम अस्थमा एवं एलर्जी से ग्रसित रोगियों को होने वाली परेशानियों के बारे में विस्तृत चर्चा करते है एवं इस बीमारी को नियंत्रित करने के प्रयासो पर विचाार करते है।

अस्थमा एवं एलर्जी के लक्षण-

एलर्जिक रायनाइटिस- इससे रोगियों को जुकाम,खासी, नाक बंद होना, अँाख से पानी आना, गले में खुजली इत्यादि लक्षण दिखते है।

फूड एलर्जी- इसमे विशेष किसी खाद्य पदार्थ का सेवन करने से मुहॅ एवं होटों पर खुजली एवं सूजन, गले में खुजली, शरीर पर चकत्ते, उल्टी एवं जी मिचलाने जैसे लक्षण दिखते है।

दवाइओं की एलर्जी- इसमे एलर्जी के लक्षण किसी विशेष दवाई से एलर्जिक रोगियों को विशेष दवा के सेवन से हो सकते है। 

एलर्जिक कंजक्टिवाटिस- इसमें आॅख में सूजन एवं लाल होना, आॅख में गढ़न, अँाख से पानी आना इत्यादि हो सकता है।

अस्थमा- इसमें खाँसी, सांस फूलना, छाती में सीटी बजना, जकड़ा होना इत्यादि लक्षण दिख सकते है।

एलर्जी एवं अस्थमा का निदान-

Eosinophilia ,oa IgE इसमे विभिन्न प्रकार के एलर्जी के तत्व सुई के माध्यम से शरीर में लगाकर उससे होने वाली एलर्जी के लक्षण को देखा जाता है।

खूंन जाॅच - म्वेपदवचीपसपं एवं प्हम् की जँाच से एलर्जी के बारे में पता लगाया जाता है।

फेफड़े की जाॅच - इसमें देखा जाता है कि फेफड़े किस प्रकार से काम कर रहे है।

मेडिकल डायरी में एलर्जी के लक्षणो को लिखकर ध्यानपूर्वक नोट करने से भी एलर्जी के बारे में विस्तृत जानकारी मिल सकती है  जो कि इलाज मे मील का पत्थर साबित हो सकती है।

एलर्जी अस्थमा का इलाज-

एलर्जी करने वाला तत्व अगर ज्ञात हो सके तो उससे दूर रहे।

डाक्टर की सलाह से एन्टी एलर्जी एवं स्टेराॅयड के सेवन से एलर्जी को नियंत्रित किया जा सकता है।

इन्हेलर के समुचित तरह से सेवन से अस्थमा को कारगर तरह से नियंत्रित किया जा सकता है।

एलर्जी के बारे मे जागरुकता फैलाकर एलर्जी को रोका जा सकता है।

विभिन्न प्रकार के प्रदूषण को नियंत्रित करके एलर्जी को नियंत्रित किया जा सकता है।

इम्यूनोथेरेपी- यह आज की तारीख में एलर्जी का सबसे एडवांस इलाज है परन्तु यह महंगा है और विशेष परिथितियों में ही इसका इस्तेमाल किया जाता है। 

हमारा पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग एलर्जी एवं अस्थमा के क्षेत्र में समुचित निदान एवं इलाज के लिये प्रतिबद्ध है एवं हमारे विभाग में इसके निदान एवं इलाज की परिपूर्ण व्यवस्था उपलब्ध है। यहाॅ पर अत्याधिक कुशल चिकत्सको एवं स्टाफ की टीम है जो अस्थमा एवं एलर्जी के सम्पूर्ण इलाज के लिये प्रशिक्षित एवं प्रतिबद्ध है। यहाॅ एडवान्स फेफड़े की जाॅच, Skin Prick Test (SPT), Immunotherapy, Biologics इत्यादि उपलब्ध है जो इस विभाग को एलर्जी एवं अस्थमा के समुचित इलाज के लिये स्टेट-आफ-आर्ट का दर्जा देती है।

हमारा पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग विश्व अस्थमा दिवस के उपलक्ष्य पर दो दिवसीय कार्यक्रम ।ससमतहल ।ेजीउं ब्वदबसंअम.2024 का आयोजन किया गया। जिसमे 07 मई को पूरे प्रदेश एवं देश के एलर्जी एवं अस्थमा के विशेषज्ञ ने आकर यहाॅ चिकित्सकों को अपने ज्ञान से अभिभूत किया एवं उन्हें वर्कशाप के माध्यम से 02 दिवस तक एलर्जी एवं अस्थमा के निदान एवं इलाज के लिये प्रशिक्षित किया।

उद्घाटन समारोह में, पद्म श्री पुरस्कार विजेता और प्रोफेसर एमेरिटस प्रो0 डॉ. डी बेहरा ने सम्मानित मुख्य अतिथि के रूप में कार्य किया। पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ में पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के पूर्व प्रोफेसर और एचओडी के रूप में अपने शानदार करियर के लिए प्रसिद्ध डॉ. बेहरा इस कार्यक्रम में अमूल्य अंतर्दृष्टि और विशेषज्ञता लेकर आए। केजीएमयू की माननीय कुलपति प्रोफेसर (डॉ) सोनिया नित्यानंद ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए इसकी सफलता और महत्व सुनिश्चित किया। डॉ. पिंकी जोवेल, आईएएस, एमडी एनएचएम, ने विशिष्ट अतिथि के रूप में इस अवसर की शोभा बढ़ाई और अपनी गरिमामयी उपस्थिति से समारोह को और समृद्ध बनाया। प्रोफेसर (डॉ) अमिता जैन, डीन एकेडमिक्स, और प्रोफेसर (डॉ)  अपजीत कौर, केजीएमयू के प्रो वीसी, विशिष्ट अतिथि थे, जिन्होंने कार्यक्रम की प्रतिष्ठा में योगदान दिया। रेस्पिरेटरी मेडिसिन के एचओडी प्रोफेसर (डॉ.) सूर्यकांत ने भी मौजूद ज्ञान की गहराई को बढ़ाते हुए अपनी विशेषज्ञता साझा की। इसके अतिरिक्त, प्रोफेसर (डॉ) वीके जैन और प्रोफेसर (डॉ) पीसी कथूरिया को अस्थमा, एलर्जी और एप्लाइड इम्यूनोलॉजी में उनके असाधारण योगदान के लिए सम्मानित किया गया, जिससे इस अवसर के महत्व पर प्रकाश डाला गया। प्रोफेसर (डॉ) राजेंद्र प्रसाद और प्रोफेसर (डॉ) वेद प्रकाश क्रमशः आयोजन अध्यक्ष और आयोजन सचिव के रूप में मंच पर उपस्थित थे, जिन्होंने समारोह के सुचारू निष्पादन को सुनिश्चित किया।

मुश्किल इलाज वाले अस्थमा के सामने, एक व्यापक और व्यक्तिगत दृष्टिकोण प्रभावी प्रबंधन करने और रोगी के परिणामों में सुधार करने की कुंजी है। डॉ हेमन्त कुमार

Hypersensitivity Reaction के नए वर्गीकरण को अपनाने से सटीक निदान और लक्षित उपचार रणनीतियों की दिशा में एक स्पष्ट मार्ग प्रकाशित होता है। प्रोफेसर (डॉ) विकास अग्रवाल

निरंतर मूल्यांकन और सतर्क निगरानी अस्थमा देखभाल में सटीक प्रबंधन और बेहतर परिणामों का मार्ग प्रशस्त करती है। डॉ दीपक तलवार

भारत में अस्थमा का बोझ सार्वजनिक स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव को कम करने के लिए व्यापक जागरूकता और प्रभावी प्रबंधन रणनीतियों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है। प्रोफेसर (डॉ) वीरेंद्र सिंह

रोगी की देखभाल के लिए एलर्जिक ब्रोंकोपुलमोनरी एस्परगिलोसिस (एबीपीए) की जटिलताओं से निपटने में वर्तमान नैदानिक रणनीतियों और प्रबंधन दृष्टिकोण को अपनाना महत्वपूर्ण है। प्रोफेसर (डॉ) वेद प्रकाश

भारत में एलर्जी संबंधी बीमारियाँ सार्वजनिक स्वास्थ्य पर उनके प्रभाव को कम करने के लिए अनुरूप हस्तक्षेप और बढ़ती जागरूकता की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालती हैं। प्रोफेसर (डॉ) डी बेहरा

एलर्जी रोगियों के लिए नैदानिक दृष्टिकोण में सटीक हस्तक्षेप और जीवन की गुणवत्ता में सुधार की नींव रखती है। प्रोफेसर (डॉ) राजेंद्र प्रसाद

नए नैदानिक परीक्षणों को शामिल करने से एलर्जी संबंधी विकारों के बारे में हमारी समझ में क्रांति आ जाती है, जिससे अधिक सटीक और प्रभावी प्रबंधन रणनीतियों का मार्ग प्रशस्त होता है। प्रोफेसर पी सी कथूरिया

एलर्जेन इम्यूनोथेरेपी एक उज्जवल, लक्षण-मुक्त भविष्य के लिए एलर्जी प्रतिक्रियाओं के मूल कारण को संबोधित करते हुए दीर्घकालिक राहत का वादा करती है। प्रोफेसर वी के जैन

अस्थमा में Biologicals ने व्यक्तिगत उपचार के एक नए युग की शुरुआत की है, जो बेहतर नियंत्रण और जीवन की गुणवत्ता के लिए विशिष्ट मार्गों को लक्षित करता है। प्रोफेसर (डॉ) आलोक नाथ

फूड एलर्जी और इओसिनोफिलिक एसोफैगिटिस के बीच जटिल संबंध को समझने से अनुरूप प्रबंधन और बेहतर रोगी कल्याण के रास्ते खुलते हैं। प्रोफेसर (डॉ) गौरव पान्डेय

त्वचा, एलर्जी रियेक्शन का एक प्रहरी है। त्वचाविज्ञान स्वास्थ्य के लिए लक्षित हस्तक्षेप के महत्व को रेखांकित करती है। डॉ पारुल वर्मा

एलर्जिक राइनाइटिस के सर्जिकल पहलू की खोज से उपचार में नए आयाम सामने आए हैं, जो पारंपरिक उपायों से परे राहत प्रदान करते हैं। प्रोफेसर (डॉ) सुनील कुमार


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