भारत में सबसे ज्यादा मानसिक रोगी - मानवी मीडिया

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Sunday, April 7, 2024

भारत में सबसे ज्यादा मानसिक रोगी


लखनऊ : (मानवी मीडिया)हृदय रोग, स्ट्रोक, क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज, लोअर रेस्पिरेट्री इनफेक्शन, अल्जाइमर और डिमेंशिया, डायरिया, नियोनेटेल कंडीशन, ब्रोंकस लंग कैंसर, किडनी डिजीज और ट्रेकिया बीमारी से 2019 में 44% लोगों की मौत हुई थी। यह आंकड़ा विश्व स्वास्थ्य संगठन का।यानी की साल 2019 में वैश्विक स्तर पर हुई कुल मौतों में से 44 फ़ीसदी मृत्यु के जिम्मेदार यह गैर संचारी रोग ही थे। यह जानकारी किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के एचओडी प्रोफेसर सूर्यकांत ने दी है। वह विश्व स्वास्थ्य दिवस पर जानकारी साझा कर रहे थे। उन्होंने ने बताया कि भारत में लगभग 10 करोड़ हायपरटेंशन व हृदय रोग, सांस के रोगी नौ साल करोड़, सात करोड़ डायबिजीज, प्रतिवर्ष सात लाख रोगी कैंसर के हैं। विश्व का टीबी का हर चौथा मरीज भारतीय है। आंकड़ों के अनुसार भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा मानसिक रोगी रहते हैं, भारत में हर तीन में से एक व्यक्ति मानसिक रोगी होता है। 18 प्रतिशत आत्महत्या करने वाले लोगों का पूर्व में आत्महत्या करने का असफल प्रयास रहा है।

डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि अधिकाधिक वृक्षारोपण, धूम्रपान, तंबाकू, नशीले पदार्थो के सेवन की लत से दूर रहना, सार्वजनिक परिवहन का अधिक उपयोग करना एवं परिवहन के लिए पर्यावरण के अनुकूल ईंधन का उपयोग करना, पैदल चलना और साइकिल चलाना, भोजन बनाने के लिए स्वच्छ ईंधन का उपयोग करना, प्लास्टिक का उपयोग न करना, स्वस्थ जीवन शैली, पारंपरिक भोजन, योग और व्यायाम, स्वस्थ रहने के मूल मंत्र हैं। डॉ सूर्यकांत बताते हैं कि मोबाइल, लैपटॉप या टीवी की स्क्रीन से घंटों चिपके रहने का सीधा असर आज हमारे स्वास्थ्य पर पड़ रहा है । घंटों बैठे हुए स्क्रीन पर समय देने के कारण लोगों को मोटापा भी घेर रहा है, जिससे अन्य बीमारियाँ भी तेजी से पाँव पसार रही हैं।

सोशल मीडिया और स्क्रीन टाइम में अगर समय रहते सुधार नहीं लाये तो स्थिति विस्फोटक हो सकती है। आज रात के 12 बजे तक लोग जागते हैं और सुबह आठ बजे के बाद सोकर उठते है। खाने-पीने का कोई समय तय नहीं है। शारीरिक श्रम, घूमना, टहलना, पैदल चलना लोग भूल चुके हैं। पैकेट बंद खाने से मोटापा एवं गैस की समस्या बढ़ रही है।  केजीएमयू के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए घर का बना साफ एवं ताजा भोजन ही करना चाहिए। इसमें मौसमी फल एवं सब्जियों को जरूर शामिल किया जाना चाहिए। प्रतिदिन कुछ न कुछ शारीरिक श्रम जरूर करें।

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