लखनऊ (मानवी मीडिया) उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की केंद्रीय कार्य समिति के पदाधिकारियों, सदस्यों तथा जनपद शाखा के प्रतिनिधियों एवं संबद्ध संगठनों के प्रतिनिधियों की एक बैठक राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी की अध्यक्षता में संयुक्त परिषद के कार्यालय 504 जिया मऊ लखनऊ में संपत्र हुई। बैठकमें लिए गए निर्णयों का हवाला देते हुए संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी ने अवगत कराया है कि बैठक अत्यंत ही महत्वपूर्ण थी। उपस्थित सभी पदाधिकारी ने राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद द्वारा वर्तमान में चलाए जा रहे मरुदावा जागरूकता अभियानको लोकसभा चुनाव तक जारी रखने का निर्णय लिया। कर्मचारी मुस्तैदी के साथ चुनाव संपन्न कराने में अपना शत प्रतिशत योगदान दे रहे हैं।
जे एन तिवारी ने अवगत कराया है कि 1 मार्च 2024 को राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की 20 मांगों पर अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक की अध्यक्षता में वार्ता हुई थी। वार्ता का कार्यवृत्त कार्मिक अनुभाग 4 द्वारा जारी कर दिया गया है। निर्गत किए गए कार्यदूत के अनुसार 90% से अधिक मांगों पर सकारात्मक निर्णय लिए गए हैं। संयुक्त परिषद की महामंत्री अरूणा शुक्ला ने अवगत कराया है कि रिक्त पदों को भरा जाना शासन की प्राथमिकता है। नियुक्ति पत्रों का वितरण भी किया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा एनपीएस योजना के अंतर्गत संशोधित प्रावधानों को उत्तर प्रदेश में लागू किए जाने की मॉनिटरिंग स्वयं मुख्य सचिव कर रहे हैं। कर्मचारियों की पदोन्नति के संदर्भ में लगातार कार्यवाही हो रही है खाद्य एवं रसद विभाग के बाद व्यावसायिक शिक्षा विभाग में रिक्त पदों पर पदोश्रति की जा चुकी है। कैशलेस इलाज में राज्य कर्मचारियों को प्राथमिकता दिए जाने के निर्देश प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा को भेजे गए हैं। मुख्य सचिव समिति विभिन्न संवर्गों की वेतन विसंगतियों पर लगातार बैठक कर रही है। खाद्य रसद विभाग में मेविंग सेविंग के आधार पर संवर्ग पुनर्गठन करने की कार्यवाही प्रचलन में है। आउटसोर्स कर्मचारियों का न्यूनतम मानदेय निर्धारित करने के संबंध में श्रम विभाग ने नीति तैयार कर लिया है। मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुतीकरण के बाद नीति लागू कर दी जाएगी। समाज कल्याण एवं जनजाति विकास विभाग के संविदा शिक्षकों में समानता रखे जाने के निर्देश दिए गए हैं। ज्ञातव्य है की जनजाति विकास के संविदा शिक्षकों को संविदा राशि में संशोधन का लाभ दिसंबर 2023 से दिया गया है जबकि समाज कल्याण विभाग में सितंबर 2023 से दिया गया है। इस विषमता को दूर करने का निर्णय लिया गया है। संविदा शिक्षकों की प्रतिवर्ष नवीनीकरण में छात्रों द्वारा 60% अंक लाने की बाध्यता को अव्यवहारिक माना गया है तथा समाज कल्याण एवं जनजाति विकास विभाग को व्यावहारिकता के आधार पर निर्णय लेने, असमंजस की स्थिति को स्पष्ट करने को कहा गया है। सहायक चकबंदी अधिकारी के पदों को राजपत्रित घोषित करने के लिए विभाग को निर्देश दिए गए हैं। बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत अध्यापकों के मेरिट आधारित स्थानांतरण नीति में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम से पीड़ित बच्चों के अभिभावकों को वेटेज देने के के लिए नीति निर्धारण के संबंध में भी विचार हो रहा है। आउटसोर्स कर्मचारी के स्थानांतरण के संबंध में श्रम विभाग को प्रस्तावित सुधारों में सम्मिलित करने को कहा गया है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नारायण दुबे ने कहा कहा है कि आउटसोर्स कर्मचारियों के सेवा संरक्षण एवं वेतन संरक्षण, आशा बहू को न्यूनतम 18000 का मानदेय, कर्मचारी संवों की चेतन विसंगतियों पर मुखा सचिव समित्ति के माध्यम से निर्णय कराए जाने के संबंध में शासन को 30 जून तक का समय दिया गया है। 30 जून के बाद संयुक्त परिषद के पदाधिकारी मंडल स्तर पर सम्मेलन करके आआंदोलन की पृष्ठभूमि तैयार करेंगे। यदि आवश्यक हुआ तो अगस्त में आदोलन का निर्णय भी लिया जा सकता है। आज की बैठकमें संयुक्त परिषद के उपाध्यक्ष त्रिलोकी नाथ चौरसिया, शेष नारायण मिश्रा, निरंजन कुमार श्रीवास्तव, हेमंत पाठक, ओमप्रकाश पांडे, अर्पणा अवस्थी, राजेश निराला, इंद्रजीत सिंह, सहदेव सचान, वरिद्र वीर यादव, ओमप्रकाश गौड़, रामकृष्ण दुबे, कुसुमलता यादव सहित दर्जनों पदाधिकारियों ने अपने विचार व्यक्त किये।