(मानवी मीडिया) : चुनावों के बाद नेशनल असेंबली (NA) में अपने भाषण के दौरान जेयूआई-एफ प्रमुख और पाकिस्तानी विपक्ष के नेता, मौलाना फजलुर रहमान ने अपने देश की सरकार पर निशाना साधा. इस दौरान उन्होंने भारत का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि भारत एक ‘महाशक्ति’ बनने का सपना देख रहा है, जबकि हम दिवालियापन से बचने के लिए भीख मांग रहे हैं. इसके लिए कौन जिम्मेदार है? उन्होंने देश की दुर्दशा के लिए पर्दे के पीछे से फैसले लेने वाली अदृश्य ताकतों को जिम्मेदार ठहराया, जिन्होंने निर्वाचित अधिकारियों को महज कठपुतली बना दिया है. उन्होंने दावा किया कि दीवारों के पीछे कुछ शक्तियां हैं, जो हमें नियंत्रित कर रही हैं और वे निर्णय लेती हैं जबकि हम सिर्फ कठपुतली हैं. एआरवाई न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, रहमान ने मौजूदा संसद की वैधता पर सवाल उठाते हुए इसके सदस्यों पर सिद्धांतों को त्यागने और “लोकतंत्र को बेचने” का आरोप लगाया. पाकिस्तान में प्रतिनिधित्व की स्थिति पर निराशा व्यक्त करते हुए उन्होंने विचार किया कि क्या संसद वास्तव में लोगों की इच्छा को प्रतिबिंबित करती है. उन्होंने आरोप लगाया, ”सरकारें महलों में बनती हैं और नौकरशाह तय करते हैं कि प्रधानमंत्री कौन होगा.मौलाना फजल ने सवाल किया कि कब तक हम समझौता करते रहेंगे? कब तक हम विधायक चुने जाने के लिए बाहरी ताकतों से मदद मांगते रहेंगे. उन्होंने 2018 और 2024 दोनों चुनावों में चुनावी धांधली की निंदा की और कथित तौर पर नकली प्रतिनिधियों के सत्ता में आने की निंदा की. रहमान ने असुरक्षा से ग्रस्त राष्ट्र में जवाबदेही के संबंध में चिंताओं का हवाला देते हुए, स्वतंत्र रूप से कानून बनाने में कानून निर्माताओं की कथित शक्तिहीनता पर अफसोस जताया. उन्होंने सवाल किया कि इस सभा में बैठते समय हमारी अंतरात्मा कैसे साफ हो सकती है, क्योंकि हारने वाले और जीतने वाले दोनों संतुष्ट नहीं हैं
(मानवी मीडिया) : चुनावों के बाद नेशनल असेंबली (NA) में अपने भाषण के दौरान जेयूआई-एफ प्रमुख और पाकिस्तानी विपक्ष के नेता, मौलाना फजलुर रहमान ने अपने देश की सरकार पर निशाना साधा. इस दौरान उन्होंने भारत का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि भारत एक ‘महाशक्ति’ बनने का सपना देख रहा है, जबकि हम दिवालियापन से बचने के लिए भीख मांग रहे हैं. इसके लिए कौन जिम्मेदार है? उन्होंने देश की दुर्दशा के लिए पर्दे के पीछे से फैसले लेने वाली अदृश्य ताकतों को जिम्मेदार ठहराया, जिन्होंने निर्वाचित अधिकारियों को महज कठपुतली बना दिया है. उन्होंने दावा किया कि दीवारों के पीछे कुछ शक्तियां हैं, जो हमें नियंत्रित कर रही हैं और वे निर्णय लेती हैं जबकि हम सिर्फ कठपुतली हैं. एआरवाई न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, रहमान ने मौजूदा संसद की वैधता पर सवाल उठाते हुए इसके सदस्यों पर सिद्धांतों को त्यागने और “लोकतंत्र को बेचने” का आरोप लगाया. पाकिस्तान में प्रतिनिधित्व की स्थिति पर निराशा व्यक्त करते हुए उन्होंने विचार किया कि क्या संसद वास्तव में लोगों की इच्छा को प्रतिबिंबित करती है. उन्होंने आरोप लगाया, ”सरकारें महलों में बनती हैं और नौकरशाह तय करते हैं कि प्रधानमंत्री कौन होगा.मौलाना फजल ने सवाल किया कि कब तक हम समझौता करते रहेंगे? कब तक हम विधायक चुने जाने के लिए बाहरी ताकतों से मदद मांगते रहेंगे. उन्होंने 2018 और 2024 दोनों चुनावों में चुनावी धांधली की निंदा की और कथित तौर पर नकली प्रतिनिधियों के सत्ता में आने की निंदा की. रहमान ने असुरक्षा से ग्रस्त राष्ट्र में जवाबदेही के संबंध में चिंताओं का हवाला देते हुए, स्वतंत्र रूप से कानून बनाने में कानून निर्माताओं की कथित शक्तिहीनता पर अफसोस जताया. उन्होंने सवाल किया कि इस सभा में बैठते समय हमारी अंतरात्मा कैसे साफ हो सकती है, क्योंकि हारने वाले और जीतने वाले दोनों संतुष्ट नहीं हैं