अहमदाबाद (मानवी मीडिया)- पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को झटका देते हुए गुजरात के बनासकांठा जिले के पालनपुर की एक अदालत ने ड्रग-प्लांटिंग मामले में 1996 के अपराधों का दोषी ठहराते हुए एनडीपीसी केस में 20 साल की सजा सुनाई है। अभियोजन पक्ष ने अधिकतम 20 साल की सजा की दलील दी थी। यह दूसरा केस है जिसमें भट्ट को सजा सुनाई गई है। इससे पहले हिरासत में मौत के मामले में दोषी करार दिए गए पूर्व पुलिस अफसर को उम्रकैद की सजा सुनाई जा चुकी है। तब पुलिस ने राजस्थान के वकील सुमेरसिंह राजपुरोहित को 1996 में एनडीएस ऐक्ट में गिरफ्तार किया था।
पुलिस ने यह दावा किया था कि पालनपुर के एक होटल में वकील के कमरे से ड्रग्स बरामदगी हुई थी। राजस्थान पुलिस ने हालांकि बाद में कहा कि राजपुरोहित को बनासकांठा पुलिस ने राजस्थान के पाली में स्थित एक विवादित संपत्ति को ट्रांसफर करने के वास्ते दबाव बनाने के लिए झूठा फंसाया था। अदालत ने भट्ट को दोषी करार दिया। संजीव भट्ट गुजरात कैडर के बर्खास्त आईपीएस अधिकारी हैं। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुखर विरोधियों में गिने जाते हैं। 1985 में आईआईडी बॉम्बे से एम टेक की डिग्री हासिल करने के बाद उन्हें सिविल सेवा की परीक्षा पास की थी और 1988 में गुजरात कैडर के आईपीएस बने थे। संजीव भट्ट कश्मीरी पंडित हैं। 1985 में वह श्वेता भट्ट के साथ विवाद बंधन में बंधे थे।