नई दिल्ली (मानवी मीडिया) : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल क्या जेल से सरकार चला सकते हैं? इसे लेकर कई दिन से बहस जारी है। इस बीच दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के बयान से एक और नई बहस शुरू हो गई है। दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने बुधवार को साफ किया कि जेल से सरकार नहीं चल सकती। एक कार्यक्रम में एलजी सक्सेना ने कहा, ‘मैं दिल्ली के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि जेल से सरकार नहीं चलेगी। एलजी सक्सेना की ये टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब हाल ही में ईडी की हिरासत से ही सीएम केजरीवाल ने दो सरकारी आदेश जारी किए हैं।
ईडी की हिरासत से केजरीवाल ने पहला आदेश रविवार को जारी किया था। इसमें उन्होंने जल मंत्री आतिशी को दिल्ली के कुछ इलाकों में पानी और सीवर से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने का निर्देश दिया था। इसके बाद मंगलवार को उन्होंने दूसरा आदेश जारी किया, जिसमें स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज को दिल्ली के सरकारी अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिकों में दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा था। ऐसे में एलजी सक्सेना की ‘जेल से सरकार नहीं चलेगी’ टिप्पणी से नई राजनीतिक हलचल शुरू हो गई है।
बीजेपी द्वारा दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की बात पर केजरीवाल सरकार में कैबिनेट मंत्री आतिशी ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 और जीएनसीटीडी अधिनियम का हवाला दिया है। आतिशी ने कहा, विपक्षी दलों और नेताओं खासकर अरविंद केजरीवाल को निशाना बनाने के लिए सीबीआई, ईडी और चुनाव आयोग जैसी संस्थाओं का फायदा उठा रही है। आतिशी ने कहा कि देश का कानून बहुत स्पष्ट है कि राष्ट्रपति शासन तभी लगाया जा सकता है, जब कोई अन्य विकल्प न हो। सुप्रीम कोर्ट भी अनुच्छेद 356 के मुद्दे पर कई बार फैसला सुनाया है कि राष्ट्रपति शासन तभी लागू किया जा सकता है, जब उस राज्य के शासन के लिए कोई अन्य विकल्प नहीं बचा हो। इसलिए अगर राष्ट्रपति शासन लगाया गया तो यह साफ हो जाएगा कि यह केवल एक राजनैतिक बदले की भावना के तहत लिया गया फैसला है। इसे संस्थानों के द्वारा विपक्ष को समाप्त करने के लिए इस्तेमाल किया गया है।