लखनऊ : (मानवी मीडिया) एक तिहाई बच्चों में फैटी लिवर की समस्या पाई जा रही है। जिसके पीछे की प्रमुख वजह खानपान और आरामतलबी है। यदि हालात न बदले तो आने वाले समय में फैटी लिवर महामारी का रूप ले सकता है। यह जानकारी एसजीपीजीआई के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के डॉ.अर्घ्य सामंत ने अमृत विचार के साथ हुई बातचीत के दौरान दी है डॉ.अर्घ्य सामंत ने बताया कि यदि समय रहते लोग सचेत नहीं हुये तो फैटी लिवर पीड़ितों का यह आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जायेगा। उन्होंने बताया कि फास्ट फूड से दूरी और शारीरिक श्रम बच्चों के लिए जरूरी है। इन बातों पर ध्यान रखकर ही बच्चों को स्वस्थ रखा जा सकता है। इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि बच्चों की पेट संबंधित बीमारियों और उसके इलाज को लेकर 16 और 17 मार्च को कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएन्ट्रोलाजी और हेपेटोलॉजी के विशेषज्ञ शामिल होंगे। इस दो दिवसीय सम्मेलन में बंग्लादेश,नेपाल,श्रीलंका समेत देश के विभिन्न प्रदेशों से करीब 160 डॉक्टर हिस्सा लेंगे। जिसमें बच्चों में सामान्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और यकृत रोगों (पुरानी दस्त, कुपोषण, खाद्य एलर्जी, कब्ज, नवजात पीलिया, पुरानी यकृत रोग, अग्नाशयशोथ, ऊपरी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रक्तस्राव आदि) पर चर्चा करेंगे। साथ ही इलाज की नवीन तकनीक साझा करेंगे।
लखनऊ : (मानवी मीडिया) एक तिहाई बच्चों में फैटी लिवर की समस्या पाई जा रही है। जिसके पीछे की प्रमुख वजह खानपान और आरामतलबी है। यदि हालात न बदले तो आने वाले समय में फैटी लिवर महामारी का रूप ले सकता है। यह जानकारी एसजीपीजीआई के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के डॉ.अर्घ्य सामंत ने अमृत विचार के साथ हुई बातचीत के दौरान दी है डॉ.अर्घ्य सामंत ने बताया कि यदि समय रहते लोग सचेत नहीं हुये तो फैटी लिवर पीड़ितों का यह आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जायेगा। उन्होंने बताया कि फास्ट फूड से दूरी और शारीरिक श्रम बच्चों के लिए जरूरी है। इन बातों पर ध्यान रखकर ही बच्चों को स्वस्थ रखा जा सकता है। इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि बच्चों की पेट संबंधित बीमारियों और उसके इलाज को लेकर 16 और 17 मार्च को कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएन्ट्रोलाजी और हेपेटोलॉजी के विशेषज्ञ शामिल होंगे। इस दो दिवसीय सम्मेलन में बंग्लादेश,नेपाल,श्रीलंका समेत देश के विभिन्न प्रदेशों से करीब 160 डॉक्टर हिस्सा लेंगे। जिसमें बच्चों में सामान्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और यकृत रोगों (पुरानी दस्त, कुपोषण, खाद्य एलर्जी, कब्ज, नवजात पीलिया, पुरानी यकृत रोग, अग्नाशयशोथ, ऊपरी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रक्तस्राव आदि) पर चर्चा करेंगे। साथ ही इलाज की नवीन तकनीक साझा करेंगे।