लखनऊ : (मानवी मीडिया)उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में आज यहां सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:-
ग्रामीण क्षेत्र के निजी नलकूप उपभोक्ता कृषकों
को मुफ्त विद्युत आपूर्ति दिये जाने के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद द्वारा 01 अप्रैल, 2023 से प्रदेश के निजी नलकूप उपभोक्ता कृषकों को मुफ्त बिजली दिये जाने का निर्णय लिया गया है। इस निर्णय से वर्तमान में स्थापित लगभग 14.32 लाख निजी नलकूप उपभोक्ता कृषकों को सीधा लाभ पहुंचेगा। इस प्रकार कृषकों को मुफ्त बिजली दिये जाने के फलस्वरूप उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लि0/सहयोगी विद्युत उत्पादन/वितरण निगमों के ऊपर वित्तीय वर्ष 2023-24 में 2400 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय भार आकलित है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में 2615 करोड़ रुपये का व्यय भार सम्भावित है। जिसकी प्रतिपूर्ति राज्य सरकार द्वारा विद्युत निगमों को बजट के माध्यम से अनुदान के रूप में की जाएगी।
भविष्य में उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा वर्तमान टैरिफ दरों में परिवर्तन किये जाने एवं निजी नलकूप संयोजनों की संख्या में वृद्धि होने पर तद्नुसार राज्य सरकार द्वारा यथावश्यक अतिरिक्त अनुदान की धनराशि भी उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लि0/सहयोगी विद्युत वितरण निगमों को उपलब्ध करायी जाएगी।
---------
2x800 मेगावाट अनपरा ‘ई’ तापीय परियोजना की स्थापना एन0टी0पी0सी0 और उ0प्र0 राज्य विद्युत उत्पादन निगम लि0 के संयुक्त उद्यम एम0यू0एन0पी0एल0 के माध्यम से किये जाने तथा परियोजना लागत 18624.83 करोड़ रु0 के अनुमोदन के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने 2x800 मेगावाट अनपरा ‘ई’ तापीय परियोजना को उत्तर प्रदेश सरकार एवं मेसर्स एन0टी0पी0सी0 लि0 के मध्य हुए एम0ओ0यू0 दिनांक 11.02.2023 के आधार पर स्थापित किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। मंत्रिपरिषद द्वारा यह भी निर्णय लिया गया कि एन0टी0पी0सी0 और उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लि0 के 50:50 अंशधारिता के संयुक्त उद्यम एम0यू0एन0पी0एल0 के माध्यम से 2x800 मेगावाट अनपरा ‘ई’ तापीय परियोजना की स्थापना की जाएगी।
2x800 मेगावाट अनपरा ‘ई’ तापीय परियोजना की स्थापना की डी0पी0आर0 के अनुसार अनुमानित लागत 18624.83 करोड़ रुपये को भी अनुमोदित किया गया। इसका 70 प्रतिशत वित्त पोषण वित्तीय संस्थाओं से ऋण द्वारा एवं 30 प्रतिशत अंशपूंजी से किया जाएगा। एन0टी0पी0सी0 और उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लि0 के बीच संयुक्त उद्यम कम्पनी के गठन के सम्बन्ध में 28 फरवरी, 2008 को हस्ताक्षरित संयुक्त उद्यम समझौते तथा 13.09.2023 को हस्ताक्षरित पूरक उद्यम समझौते एस0जे0वी0ए0-अमेण्डमेण्ट-I के क्रम में ड्रॉफ्ट पूरक संयुक्त उद्यम समझौते अमेण्डमेण्ट-II (एस0जे0वी0ए0-अमेण्डमेण्ट नम्बर- II ) का निष्पादन किये जाने के प्रस्ताव को भी मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदित किया गया है।
----------
‘उ0प्र0 ग्रीन हाइड्रोजन नीति 2024’ प्रख्यापित किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन को प्रोत्साहित करने हेतु ‘उत्तर प्रदेश ग्रीन हाइड्रोजन नीति 2024’ प्रख्यापित किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि भारत सरकार द्वारा घोषित राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के अनुपालन में ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ग्रीन हाइड्रोजन नीति घोषित की गई है। ग्रीन हाइड्रोजन एक स्वच्छ ऊर्जा एवं औद्योगिक ईंधन के रूप में प्रमुख क्षेत्रों यथा पेट्रोकेमिकल्स, उर्वरक उद्योग, स्टील, परिवहन, शिपिंग एवं वायु परिवहन में कार्बन उत्सर्जन कम करने एवं नेट जीरो ऊर्जा के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होगी।
भारत सरकार द्वारा घोषित वर्ष 2070 तक, नेट जीरो ऊर्जा लक्ष्यों की प्राप्ति एवं जलवायु परिवर्तन के वर्तमान और सम्भावित प्रभाव के दृष्टिगत राज्य में स्वच्छ एवं हरित ऊर्जा स्रोतों से उत्पादित ग्रीन हाइड्रोजन एवं सहउत्पादों को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा नीति घोषित किया जाना नितान्त आवश्यक है।
वर्तमान में प्रदेश में उर्वरक एवं पेट्रोकेमिकल्स उद्योग में ग्रे हाइड्रोजन का उपयोग किया जा रहा हैं। ग्रे हाइड्रोजन उत्पादन मुख्यतः नेचुरल गैस अथवा मीथेन से किया जा रहा है, जिसकी उत्पादन प्रक्रिया में कार्बन उत्सर्जन होता है। अतः ग्रे हाइड्रोजन के स्थान पर ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन एवं उपयोग करने की आवश्यकता है।
प्रस्तावित उत्तर प्रदेश ग्रीन हाइड्रोजन नीति-2024 के अनुसार कुल 01 मिलियन मीट्रिक टन प्रतिवर्ष ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता का लक्ष्य वर्ष 2028 तक प्राप्त किया जाएगा। नीति की वैधता अवधि निर्गत होने की तिथि से 05 वर्ष तक होगी। उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपीनेडा) इस नीति के क्रियान्वयन के लिए नोडल एजेन्सी होगी।
वर्तमान में ग्रे हाइड्रोजन की कीमत ग्रीन हाइड्रोजन से कम होने के कारण ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन को व्यवहार्य बनाने के दृष्टिगत नीति में प्राविधानित राजकोषीय प्रोत्साहन (निर्धारित अधिकतम अनुदान सीमा के अन्तर्गत पात्र पूंजी निवेश का 10 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक) उपलब्ध कराया जायेगा। इसके अलावा, नीति अवधि में प्रथम पांच ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं में वित्तीय प्रोत्साहन 40 प्रतिशत तक अनुमन्य होगा।
ऊर्जा संग्रह (बैकिंग) की सुविधा नीति अवधि के दौरान परिचालित परियोजनाओं हेतु 25 वर्ष की अवधि अथवा परियोजना का जीवनकाल, जो भी पहले होगा, ऐसी परियोजनायें ऊर्जा संग्रह और निपटान हेतु अनुमन्य होगी। ऊर्जा संग्रह की अनुमति मासिक आधार पर यू0पी0ई0आर0सी0-सी0आर0ई0 विनियम-2019 एवं समय-समय पर किये गये संशोधनों के अनुरूप अनुमन्य होगी।
ग्रीन हाइड्रोजन/अमोनिया परियोजनाओं की स्थापना हेतु निम्नलिखित प्रोत्साहन लाभ परियोजनाओं के वाणिज्यिक उत्पादन के प्रारम्भ होने के पश्चात 10 वर्षों या परियोजना का उपयोगी जीवनकाल, जो भी कम हों, के लिए अनुमन्य होंगे :-
राज्यांतरिक (इन्ट्रास्टेट) नवीकरणीय ऊर्जा का तृतीय पक्ष को विक्रय अथवा कैप्टिव उपयोग पर व्हीलिंग/ट्रांसमिशन चार्ज पर 100 प्रतिशत की छूट होगी।
नवीकरणीय ऊर्जा के क्रय पर राज्यांतरिक (इन्ट्रास्टेट) ट्रांसमिशन तंत्र के लिये क्रॉस-सब्सिडी सरचार्ज एवं व्हीलिंग/ट्रांसमिशन चार्ज पर 100 प्रतिशत छूट।
राज्यांतरित (इन्टरस्टेट) व्हीलिंग/ट्रांसमिशन शुल्क में केन्द्रीय विद्युत नियामक आयोग/भारत सरकार द्वारा निर्गत दिशा-निर्देशों के अनुरूप छूट अनुमन्य होगी।
ग्रीन हाइड्रोजन/अमोनिया उत्पादित इकाइयों में उपयोग की जाने वाली नवीकरणीय ऊर्जा हेतु 10 वर्षों तक की अवधि के लिए इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में 100 प्रतिशत छूट की अनुमति प्रदान की जायेगी। ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं की स्थापना हेतु उत्पादित विद्युत को 100 प्रतिशत कैप्टिव उपयोगार्थ अनुमन्य किया जायेगा एवं विद्युत निकासी हेतु पारेषण संयंत्रों का प्राथमिकता के आधार पर आवंटन किया जायेगा। ग्रीन हाइड्रोजन/अमोनिया परियोजनाओं पर स्थानीय डिस्कॉम से विद्युत प्राप्त करने पर औद्योगिक टैरिफ लागू होगा।
सार्वजनिक क्षेत्रों को ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं की स्थापना के लिए 30 वर्ष की अवधि हेतु ग्राम समाज/सरकारी भूमि पट्टे (लीज) पर 1 रुपये/प्रति एकड़/प्रतिवर्ष की लीज पर दर से भूमि उपलब्ध करायी जायेगी। यदि आंवटन होने के 03 वर्ष की समयावधि में भूमि ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं हेतु उपयोग में नहीं लायी जाती है अर्थात कार्य प्रारम्भ नहीं होता है तो भूमि अनिवार्य रूप से वापस ले ली जायेगी।
निजी निवेशकों को ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं की स्थापना के लिए ग्राम समाज/सरकारी भूमि 15,000 रुपये/एकड़/वर्ष की दर से पट्टे पर 30 वर्ष की समयावधि हेतु उपलब्ध होगी। यदि आवंटन होने के 03 वर्ष की समयावधि में भूमि ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं हेतु उपयोग में नहीं लायी जाती है, अर्थात कार्य प्रारम्भ नहीं होता है तो भूमि अनिवार्य रूप से वापस ले ली जायेगी।
स्थापित नवीकरणीय परियोजनाओं की विद्युत निकासी हेतु प्राथमिकता के आधार पर ट्रांसमिशन की सुविधा आंवटित की जायेगी। परियोजना विकासकर्ताओं को ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं की स्थापना हेतु उत्पादित विद्युत को 100 प्रतिशत कैप्टिव उपयोगार्थ अनुमन्य किया जायेगा।
नीति की अवधि में परोक्ष एवं अपरोक्ष रूप से लगभग 1,20,000 रोजगार सृजित होंगे।
-------
लखनऊ मेट्रो फेज-1बी ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर
(चारबाग से वसंतकुंज) के क्रियान्वयन के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना फेज-1बी ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर (चारबाग से वसंतकुंज) के संशोधित डी0पी0आर0 का अनुमोदन एवं इसे अग्रिम स्वीकृति हेतु भारत सरकार को प्रेषित किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी गयी। भारत सरकार के आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा माह सितम्बर, 2017 में जारी नई मेट्रो रेल नीति-2017 के प्राविधानों के अन्तर्गत दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन द्वारा लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना फेज-1बी (ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर) हेतु तैयार की गयी संशोधित डी0पी0आर0 उपलब्ध करायी गयी।
केन्द्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा जारी नई मेट्रो रेल नीति-2017 में उल्लिखित ‘इक्विटी शेयरिंग मॉडल’ (केन्द्र व राज्य सरकार की 50ः50 इक्विटी सहभागिता) के अनुरूप लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना फेज-1बी (ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर) का क्रियान्वयन केन्द्र सरकार की ‘इक्विटी सहभागिता’ के साथ किये जाने तथा ‘इक्विटी’ के अतिरिक्त शेष वित्त पोषण हेतु केन्द्र सरकार के माध्यम से वाह्य ऋण प्राप्त किये जाने का प्रस्ताव भी मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदित किया गया।
लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना फेज-1बी (ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर) चारबाग रेलवे स्टेशन से वसंतकुंज का क्रियान्वयन उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लि0 द्वारा किया जाएगा। दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन द्वारा तैयार/प्रस्तुत संशोधित डी0पी0आर0 के अनुसार लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना फेज-1बी (ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर) चारबाग रेलवे स्टेशन से वसंतकुंज की लम्बाई 11.165 कि0मी0 है। इसमें 4.286 कि0मी0 ऐलिवेटेड तथा 6.879 कि0मी0 भूमिगत है। इस कॉरिडोर हेतु कुल 12 स्टेशन प्रस्तावित किये गये हैं, जिनमें 05 ऐलिवेटेड तथा 07 भूमिगत स्टेशन होंगे। परियोजना की पूर्णता अवधि
30.06.2027 तथा परियोजना की कम्प्लीशन लागत 5801.05 करोड़ रुपये होगा।
परियोजना हेतु एफ0आई0आर0आर0 (फाइनेन्शियल इण्टरनल रेट ऑफ रिटर्न) 3.9 प्रतिशत (सम्पत्ति विकास के साथ 13.16 प्रतिशत) तथा परियोजना हेतु ई0आई0आर0आर0 (इकोनॉमिक इण्टरनल रेट ऑफ रिटर्न) 15.45 प्रतिशत (नई मेट्रो नीति-2017 के अनुसार परियोजना का न्यूनत ई0आई0आर0आर0 14 प्रतिशत) निर्धारित किया गया है।
---------
उ0प्र0 राज्य राजधानी क्षेत्र और अन्य क्षेत्र विकास प्राधिकरण
अध्यादेश-2024 को प्रख्यापित कराये जाने का प्रस्ताव अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश राज्य राजधानी क्षेत्र और अन्य क्षेत्र विकास प्राधिकरण अध्यादेश-2024 को प्रख्यापित कराये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। मंत्रिपरिषद ने अध्यादेश के प्रतिस्थानी विधेयक के आलेख्य पर विभागीय मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री जी का अनुमोदन प्राप्त कर उसे राज्य विधान मण्डल में पुरःस्थापित/पारित कराये जाने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश राज्य राजधानी क्षेत्र और राज्य के अन्य क्षेत्रों के विकास के लिए क्षेत्रीय योजना तैयार करने के लिए अध्यादेश के माध्यम से उत्तर प्रदेश राज्य राजधानी क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण और अन्य क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण की स्थापना का प्रस्ताव है। प्रस्तावित राज्य राजधानी क्षेत्र एवं अन्य क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण का उद्देश्य उक्त क्षेत्रों के उचित, व्यवस्थित और त्वरित विकास का समन्वय और पर्यवेक्षण करना है। साथ ही, विकास के लिए योजनाओं, परियोजनाओं और योजनाओं को निष्पादित करने और उससे सम्बन्धित या उससे आनुषंगिक मामलों के लिए प्राविधान करना है।
प्रस्तावित राज्य राजधानी क्षेत्र और अन्य क्षेत्र विकास प्राधिकरण के गठन हेतु राज्य सरकार पर किसी प्रकार का व्यय भार प्रस्तावित नहीं है। अध्यादेश के प्राविधान अधिसूचना निर्गत किये जाने की तिथि से प्रभावी होंगे।
क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण अपने क्षेत्र के लिए सम्बन्धित विकास प्राधिकरण, निगम, स्थानीय निकाय एवं विभिन्न सरकारी विभागों के समन्वय से क्षेत्रीय योजना तैयार करेगा। इससे क्षेत्र के समग्र विकास और गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचा सम्बन्धी परियोजनाओं को बढ़ावा मिलेगा। क्षेत्र का व्यवस्थित और तेजी से विकास किया जा सकेगा।
क्षेत्र के अन्तर्गत निजी व सार्वजनिक सेक्टर की बुनियादी ढांचा सम्बन्धी परियोजनाओं, जनसुविधाओं का सम्पूर्ण क्षेत्र की आवश्यकता के अनुरूप विकास होगा। योजनागत क्षेत्रीय विकास से आवासन, अवसंरचना, यातायात, उद्योग आदि सभी क्षेत्रों में रोजगार सृजन में बढ़ोत्तरी होगी।
--------
केन्द्रीय सहायतित योजना के अन्तर्गत जनपद पीलीभीत में स्थापित मेडिकल
कॉलेज में नये नर्सिंग कॉलेज की स्थापना हेतु भूमि उपलब्ध कराने के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने केन्द्रीय सहायतित योजना के अन्तर्गत जनपद पीलीभीत में स्थापित मेडिकल कॉलेज में नये नर्सिंग कॉलेज की स्थापना हेतु जिलाधिकारी द्वारा उपलब्ध कराये गये प्रस्ताव के अनुसार ग्राम मुड़िया पनई उर्फ सुनगढ़ी अन्दर चुंगी स्थित भूमि खाता सख्या-00203, गाटा संख्या-6/2, रकबा-0.713 हेक्टेयर में से 4500 वर्गमीटर की नजूल भूमि चिकित्सा शिक्षा विभाग के पक्ष में कतिपय शर्तां/प्रतिबन्धों के अधीन निःशुल्क आवंटित/हस्तांतरित किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
---------
जनपद प्रयागराज में अति विशिष्ट अतिथि गृह, औद्योगिक न्यायाधिकरण
एवं श्रम न्यायालय तथा श्रम विभाग के मुख्यालय हेतु भूमि के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने जिलाधिकारी प्रयागराज से प्राप्त प्रस्ताव के क्रम में 11433 वर्गमीटर कुल क्षेत्रफल के नजूल भूखण्ड संख्या-112, सिविल स्टेशन प्रयागराज में से 10,000 वर्गमीटर अति विशिष्ट अतिथि गृह के निर्माण हेतु राज्य सम्पत्ति विभाग के पक्ष में तथा शेष 1433 वर्गमीटर भूमि औद्योगिक न्यायाधिकरण एवं श्रम न्यायालय तथा श्रम विभाग के मुख्यालय हेतु श्रम एवं सेवायोजन विभाग के पक्ष में कतिपय शर्तां/प्रतिबन्धों के अधीन निःशुल्क आवंटित/हस्तांतरित करने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
---------
के0जी0एम0यू0, लखनऊ में जनरल सर्जरी विभाग
के नवीन भवन के निर्माण कार्य की प्रायोजना अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (के0जी0एम0यू0), लखनऊ में ई0पी0सी0 मोड पर जनरल सर्जरी विभाग के नवीन भवन के निर्माण कार्य से सम्बन्धित प्रायोजना, जिसकी जी0एस0टी0 सहित आकलित लागत 37779.30 लाख रुपये (तीन अरब सतहत्तर करोड़ उन्यासी लाख तीस हजार रुपये मात्र) है, को अनुमोदित कर दिया है।
यह निर्माण के0जी0एम0यू0 परिसर में निर्विवाद रूप से उपलब्ध 9.62 एकड़ भूमि में कराया जाना है। पुराने सर्जरी विभाग का ध्वस्तीकरण न कराकर इस भवन का उपयोग ई0एन0टी0 विभाग द्वारा किया जाएगा।
नये भवन के निर्माण से एक ही छत के नीचे शिक्षण, प्रशिक्षण एवं चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करायी जा सकेंगी। इससे संस्थान में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवा सुनिश्चित होगी तथा प्रदेश की वर्तमान एवं भविष्य की सर्जरी सेवा एवं सर्जरी शिक्षा की आवश्यकताएं प्रभावी ढंग से पूरी की जा सकेंगी।
-------
मक्का के आच्छादन एवं उत्पादन में वृद्धि के लिए
‘त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम’ योजना संचालन का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में मक्का के आच्छादन एवं उत्पादन में वृद्धि के लिए ‘त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम’ योजना के संचालन का प्रस्ताव स्वीकृत कर दिया है। इसके तहत प्रदेश के कृषकों को मक्का की खेती से अतिरिक्त लाभ प्रदान करने के लिए तथा आच्छादन एवं उपज को अपेक्षित गति प्रदान करने हेतु राज्य के संसाधनों से प्रदेश के समस्त 75 जनपदों में आच्छादन, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि के लिए कार्यक्रम संचालित किया जाना है।
प्रस्तावित 04 वर्षीय योजना के माध्यम से मक्का के आच्छादन में लगभग 02 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में विस्तार एवं 11 लाख मीट्रिक टन से अधिक का अतिरिक्त उत्पादन अनुमानित है। इससे प्रदेश की 01 ट्रिलियन यू0एस0 डॉलर इकोनॉमी के लक्ष्य को प्राप्त करने में सार्थक सहयोग प्राप्त होगा।
मक्का के क्षेत्रफल की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का देश में पाँचवां स्थान है। मक्का का उपयोग मुख्य रूप से पोल्ट्री फीड, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, एनीमल फीड, स्टार्च, एथेनॉल उत्पादन आदि के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त प्रदेश में बढ़ते धार्मिक पर्यटन और औद्योगिकीकरण के कारण होटल उद्योग में स्वीट कार्न और बेबी कार्न जैसे उत्पादों की मांग बढ़ रही है।
प्रदेश में मक्का का उत्पादन खरीफ, रबी एवं जायद तीनों सीजन में होता है, परन्तु मक्का के लिए खरीफ मुख्य सीजन है। वर्तमान में प्रदेश में मक्का का क्षेत्रफल लगभग 8.30 लाख हेक्टेयर, उत्पादन 21.16 लाख मीट्रिक टन तथा औसत उत्पादकता 25.49 कुन्तल प्रति हेक्टेयर है।
योजना के तहत मुख्य रूप से देशी मक्का, संकर मक्का के साथ-साथ प्रदेश में पॉपकार्न, स्वीट कार्न, बेबी कार्न की बढ़ती मांग को देखते हुए मक्का के इन सभी प्रजातियों के उन्नत तकनीकी प्रदर्शन, अनुदान पर संकर बीज वितरण, प्रचार-प्रसार कार्यों के अन्तर्गत कृषक अध्ययन भ्रमण, ग्राम पंचायत, विकास खण्ड, जनपद एवं राज्य स्तर पर गोष्ठियों/कार्यशाला का आयोजन तथा मक्का प्रसंस्करण के अन्तर्गत मेज सेलर एवं बैच ड्रायर मशीनों पर अनुदान सुविधा प्रस्तावित की गयी है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एन0एफ0एस0एम0) के अन्तर्गत चयनित 13 जनपदों-बहराइच, कन्नौज, मैनपुरी, जौनपुर, गोण्डा, बुलन्दशहर, हरदोई, कासगंज, फर्रुखाबाद, बलिया, उन्नाव, एटा व ललितपुर में कोर्स सीरियल के मक्का घटक के अन्तर्गत अनुमन्य कार्य मदों को प्रस्तावित योजना के माध्यम से क्रियान्वित नहीं कराया जायेगा, ताकि किसी प्रकार की कोई डुप्लिकेसी न हो।
योजनान्तर्गत 04 वर्षों (2024-25 से 2027-28 तक) में 01 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में उन्नत तकनीकी प्रदर्शन, 22,500 कुन्तल मक्का संकर बीज का अनुदान पर वितरण सहित प्रचार-प्रसार के कार्यक्रमों और मक्का प्रसंस्करण पर अनुदान सुविधा उपलब्ध कराने हेतु कुल धनराशि 146.56 करोड़ रुपये का व्यय प्रस्तावित है।
-------
कृषि और प्रौद्योगिक विश्वविद्यालयों एवं राज्य कृषि प्रबन्ध संस्थान,
रहमानखेड़ा में इन्क्यूबेशन सेण्टर स्थापित करने का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के कृषि और प्रौद्योगिक विश्वविद्यालयों एवं राज्य कृषि प्रबन्ध संस्थान, रहमानखेड़ा में इन्क्यूबेशन सेण्टर स्थापित किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
कृषि एवं कृषि से सम्बन्धित गतिविधियों हेतु नवीन तकनीकी आधारित उपागमों के विकास एवं प्रदर्शन को बढ़ावा दिए जाने के लिए राज्य सरकार द्वारा संचालित कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कानपुर/अयोध्या/मेरठ/बांदा एवं राज्य कृषि प्रबन्ध संस्थान, रहमानखेड़ा में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय प्रबन्ध संस्थान, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं मिलेट्स इंस्टीट्यूट, हैदराबाद, यू0एफ0टी0आर0आई0, मैसूर तथा सब्जी फल अनुसंधान केन्द्र, बंगलौर, पैकेजिंग एवं वेडिंग संस्थान एवं अन्य उत्कृष्ट संस्थाओं के सहयोग से प्रत्येक कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालयों एवं राज्य प्रशिक्षण संस्थान, रहमानखेड़ा में एक-एक इन्क्यूबेशन सेण्टर स्थापित किये जाने का मत स्थिर किया गया है।
कृषि विश्वविद्यालयों एवं राज्य कृषि प्रबन्ध संस्थान, रहमानखेड़ा में इन्क्यूबेशन सेण्टर स्थापित कर कृषि क्षेत्र की नई तकनीकों के माध्यम से कृषि के व्यवसायीकरण से किसानों को सीधे लाभ पहुंचाया जा सकता है तथा कृषि क्षेत्र में निवेशकों को भी बढ़ावा मिलेगा।
प्रदेश के चारों कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालयों में चालू वित्तीय वर्ष 2023-2024 में इन्क्यूबेशन सेण्टर स्थापित करने हेतु 05-05 करोड़ रुपये अर्थात 20 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था उपलब्ध है, जो आगामी 05 वर्षों के लिए व्यय-भार सम्भावित है। राज्य कृषि प्रबन्ध संस्थान, रहमानखेड़ा हेतु बजट प्रावधान अलग से किया जायेगा।
इन इन्क्यूबेशन सेण्टर की स्थापना के उद्देश्य अग्रलिखित हैं :-
कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देते हुए नई तकनीकों, सेवाओं और उत्पादों को विकसित करते हुए किसानों की आय बढ़ाने की दशा में कार्य करना।
कृषि क्षेत्र में युवा उद्यमियों को प्रोत्साहन एवं युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान किये जाने के क्रम में कृषि व्यवसाय सम्बन्धित लघु और मध्यम उद्यमों में नये रोजगार के अवसर का सृजन।
उद्यमियों और स्टार्टअप कम्पनियों को अवधारित/एक मंच पर लाना और पोषित करने के लिए इंक्यूबेशन सुविधा को सुदृढ़ और विस्तारित करना। नवाचार और उद्यमिता का विकास तथा विकसित प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहित करना।
कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय तथा राज्य कृषि प्रबन्ध संस्थान, रहमानखेड़ा द्वारा विकसित कृषि प्रौद्योगिकियों के स्थानान्तरण को सुगम बनाने के लिए पायलट परियोजना का संचालन करना और इन्हें उद्यमियों और स्टार्टअप कम्पनियों को स्थानान्तरित करना।
कृषि में युवा उद्यमियों, प्रगतिशील कृषकों और स्टार्टअप्स को एक उदार (liberalize) व्यापार वातावरण तैयार करने तथा महत्वपूर्ण प्रारंभिक स्थानीय ढांचा और मेंटरशिप के साथ समर्थन देने के लिए एक व्यावसायिक अर्थतंत्र बनाना।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान, भारतीय प्रबन्ध संस्थान एवं मिलेट्स इंस्टीट्यूट, हैदराबाद, यू0एफ0टी0आर0आई0, मैसूर तथा सब्जी फल अनुसंधान केन्द्र, बंगलौर, पैकेजिंग एवं वेडिंग संस्थान तथा अन्य उत्कृष्ट संस्थाओं के सहयोग से प्रदेश में विद्यमान कृषि तकनीकों में मूल्य वर्धन एवं कृषि क्षेत्र में अनुसंधान पुनरावृत्ति को न्यून करना, जिससे नवीन अनुसंधान को बढ़ावा मिले।
विश्वविद्यालय द्वारा पूर्व में विकसित तकनीकों को रिफाइण्ड कर कृषि व्यवसायीकरण से जोड़ा जाना, जिससे निर्धारित अवधि पूर्ण होने के उपरान्त इंक्यूबेशन सेन्टर आत्मनिर्भर बन सके तथा सरकार पर उनकी निर्भरता समाप्त हो सके।
कृषि व्यापार में खाद्य आधारित प्रसंस्करण, ग्रेडिंग पैकेजिंग एवं मार्केटिंग का मॉडल बनाने तथा उसमें नव उद्यमियों को कॉमन फैसीलिटेशन को शामिल किया जाना, जिससे कम पूंजी वाले उद्यमी अपने ब्राण्ड तैयार कर पैकेजिंग भी करा सकें।
-------
उ0प्र0 पं0 दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान, मथुरा के शिक्षकों/समकक्षीय संवर्ग को 7वें केन्द्रीय वेतन आयोग की संस्तुतियों के आधार पर पुनरीक्षित वेतनमान का एरियर भुगतान करने के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश पं0 दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान, मथुरा के शिक्षकों/समकक्षीय संवर्ग को सातवें केन्द्रीय वेतन आयोग की संस्तुतियों के आधार पर पुनरीक्षित वेतनमान के एरियर का भुगतान किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृत कर दिया है।
उत्तर प्रदेश पं0 दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान, मथुरा के शिक्षकों/समकक्षीय संवर्ग को 7वें वेतन आयोग की संस्तुतियों के आधार पर वेतनमान पुनरीक्षित किये जाने का निर्णय शासनादेश संख्या-03/2021/57/37-3-2021-5(22)/2017, दिनांक 18 जनवरी, 2021 द्वारा कतिपय शर्तों एवं प्रतिबन्धों के अधीन लिया गया था।
इस शासनादेश की शर्त संख्या-1 (6) के अनुसार दिनांक 01 जनवरी, 2016 से दिनांक 31 मार्च, 2019 तक के एरियर का भुगतान तब किया जायेगा, जब आई0सी0ए0आर0 (भारत सरकार) द्वारा उक्त अवधि के एरियर पर आने वाले व्ययभार के 50 प्रतिशत की धनराशि अवमुक्त कर दी जाये।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा) श्री आर0सी0 अग्रवाल के पत्रांक-Agri, Edn.-17-8/2018-A&P(Pt.) (e-37512) दिनांक 31 अक्टूबर, 2023 एवं दिनांक 16 नवम्बर, 2023 द्वारा राज्य सरकार को भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा इस शर्त के साथ 50 प्रतिशत एरियर की धनराशि उपलब्ध करायी गयी है कि 7वें वेतनमान के एरियर के सबन्ध में 50 प्रतिशत अंश का भुगतान सर्वप्रथम राज्यों द्वारा कर दिया जाये। राज्यों द्वारा 50 प्रतिशत एरियर का भुगतान कर केन्द्रांश के 50 प्रतिशत अंश की मांग प्रमाण-पत्र के साथ की जाये।
केन्द्र सरकार द्वारा उपलब्ध करायी गयी 50 प्रतिशत एरियर की धनराशि की समय-सीमा दिनांक 31 मार्च, 2024 को समाप्त हो जाएगी।
शासनादेश दिनांक 18 जनवरी, 2021 के प्रस्तर-1 (6) में निहित शर्तों एवं प्रतिबन्धों को निम्नवत संशोधन पर मंत्रिपरिषद का अनुमोदन प्राप्त किये जाने का प्रस्ताव है :-
‘भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के पत्रांक- Agri, Edn.-17-8/2018-A&P(Pt.) (e-37512) दिनांक 31 अक्टूबर, 2023 एवं दिनांक 16 नवम्बर, 2023 में के क्रम में उत्तर प्रदेश पं0 दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान, मथुरा के शिक्षकों/समकक्षीय संवर्ग को 7वें वेतन आयोग की संस्तुतियों के आधार पर पुनरीक्षित वेतनमान के एरियर का 50 प्रतिशत (राज्यांश) का एकमुश्त भुगतान राज्य सरकार द्वारा चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 में करते हुए भारत सरकार से अवशेष 50 प्रतिशत (केन्द्रांश) की मांग की जाये।’
प्रश्नगत वेतन पुनरीक्षण के एरियर के भुगतान विषयक प्रस्ताव पर 251.08 लाख रुपये का अतिरिक्त व्ययभार अनुमानित है।
-------जायका सहायतित आगरा जल सम्पूर्ति (गंगा जल) परियोजना के कार्य हेतु
पुनरीक्षित अनुमोदित लागत 2887.47 करोड़ रु0 का व्यय प्रस्ताव अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने जापान इण्टरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जायका) सहायतित आगरा जल सम्पूर्ति (गंगा जल) परियोजना के कार्य हेतु मूल स्वीकृत लागत 2887.92 करोड़ रुपये के स्थान पर सम्बन्धित कार्यां में वैरिएशन के उपरान्त पुनरीक्षित अनुमोदित लागत 2887.47 करोड़ रुपये के व्यय के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
उत्तर प्रदेश शासन (नगर विकास अनुभाग-5) के शासनादेश सं0-7976/नौ-5-2010-194बजट/10, दिनांक 25 जनवरी, 2011 के क्रम में भारत सरकार के शासनादेश सं0-M-14014/16/2005-PHE.III(Vol.II)/CCC dated 17 जुलाई, 2012 द्वारा जापान इण्टरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जायका) सहायतित/वित्त पोषित आगरा जल सम्पूर्ति (गंगा जल) परियोजना हेतु कुल 2887.92 करोड़ रुपये की प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गयी है।
इस परियोजना पर अब तक अवमुक्त धनराशि 2656.76 करोड़ रुपये के सापेक्ष कार्यदायी संस्था उ0प्र0 जल निगम (नगरीय) द्वारा 2490.92 करोड़ रुपये का व्यय किया जा चुका है। इस परियोजना की वर्तमान भौतिक प्रगति 95 प्रतिशत है। परियोजना के अवशेष 03 पैकेजों में 02 पैकेज आंशिक पूर्ण एवं 01 पैकेज के कार्य किये जाने शेष हैं। अवशेष 03 पैकेजों में सम्मिलित कार्य, मूल स्वीकृत परियोजना के प्रस्तावित कार्यों के स्कोप ऑफ वर्क में कतिपय परिवर्तन आवश्यक पाये गये, जिसके दृष्टिगत विषयगत परियोजना की पुनरीक्षित प्रस्तावित लागत 2887.47 करोड़ रुपये का पुनरीक्षित प्रस्ताव प्राप्त हुआ है, जो कि मूल स्वीकृति लागत 2887.92 करोड़ रुपये से 47 लाख रुपये कम है अर्थात विषयगत परियोजना हेतु कोई अतिरिक्त धनराशि वहन/व्यय नहीं की जानी है।
योजनान्तर्गत अपर गंगा कैनाल पर स्थित पालड़ा फॉल (जनपद बुलन्दशहर) से 150 क्यूसेक गंगा जल, जिसमें से 140 क्यूसेक आगरा एवं 10 क्यूसेक मथुरा नगरों को सर्वसुलभ गंगा जल की आपूर्ति की जा रही है। इस परियोजना के पैकेज 12 ए Performance Based Construction and Maintenance (PCM) परियोजना के कार्य पूर्ण होने के पश्चात आगरा शहर के 05 जोन में 24x7 पेयजल आपूर्ति से लगभग 2,10,000 जनसंख्या लाभान्वित होगी। योजना पूर्ण होने के उपरान्त संचालन एवं रख-रखाव के कार्यों में रोजगार सृजन की सम्भावना है।
-------
उ0प्र0 नजूल सम्पत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग)
अध्यादेश, 2024 के प्रख्यापन के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने नजूल भूमियों के सार्वजनिक प्रयोगार्थ उपयोग में लाये जाने हेतु उत्तर प्रदेश नजूल सम्पत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबन्ध एवं उपयोग) अध्यादेश, 2024 के प्रख्यापन के प्रस्ताव तथा उसके प्रतिस्थानी विधेयक के आलेख्य पर विभागीय मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री जी का अनुमोदन प्राप्त कर उसे राज्य विधान मण्डल के आगामी सत्र में पुराःस्थापित/पारित कराये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
गर्वमेन्ट ग्रान्ट एक्ट 1895 रिपील हो जाने के फलस्वरूप वर्तमान में समस्त नजूल नीतियों स्थगित हैं। अतः ऐसे अध्यादेश की आवश्यकता है, जिससे नजूल भूमियां शासन को सार्वजनिक उपयोगार्थ पुनः प्राप्त हो सके। यदि शासन अपनी नजूल भूमियों पर पुनर्प्रवेश कर ले, तो भूमि का अर्जन किये बिना ही भूमि उपलब्ध हो सकेगी। इसके दृष्टिगत ‘उत्तर प्रदेश नजूल सम्पत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबन्ध और उपयोग) अध्यादेश, 2024’ के प्रख्यापन का प्रस्ताव मंत्रिपरिषद के समक्ष लाया गया है।
इस अध्यादेश के प्रारम्भ होने के पश्चात उत्तर प्रदेश में स्थित नजूल भूमियों का निजी व्यक्ति या निजी संस्था के पक्ष में पूर्ण स्वामित्व के रूप में प्रतिवर्तन नहीं किया जायेगा तथा नजूल भूमि के पूर्ण स्वामित्व परिवर्तन सम्बन्धी किसी भी न्यायालय की कार्यवाही या प्राधिकारी के समक्ष आवेदन, जो इस अध्यादेश के जारी होने के पूर्व के है, व्यपगत हो जायेंगे और अस्वीकृत समझे जायेंगे और यदि इस सम्बन्ध में कोई धनराशि जमा की गई है, तो ऐसे जमा किये जाने के दिनांक से उसे भारतीय स्टेट बैंक की Marginal cost of funds based lending rate (MCLR) के ब्याज पर आगणित करते हुए धनराशि वापस कर दी जायेगी।
नजूल भूमि के ऐसे पट्टाधारक जिनका पट्टा अभी भी जारी है और नियमित रूप से पट्टा किराया जमा किये जा रहे हैं और पट्टे की किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं किया है, वे पट्टेदार बने रहेंगे। पट्टा अवधि की समाप्ति के पश्चात ऐसी भूमि समस्त विल्लंगमों से मुक्त होकर स्वतः राज्य सरकार में निहित हो जाएगी और ऐसी भूमि पर राज्य सरकार द्वारा पुनः प्रवेश समझा जाएगा।
इस अध्यादेश के प्रारम्भ होने के पश्चात नजूल भूमि का आरक्षण एवं उसका उपयोग केवल सार्वजनिक इकाइयों के लिए ही किया जाएगा
-------
जनपद कुशीनगर में महात्मा बुद्ध कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय
के प्रथम फेज के निर्माण कार्य के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने जनपद कुशीनगर में महात्मा बुद्ध कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के प्रथम फेज के निर्माण कार्य ई0पी0सी0 मोड पर कराये जाने हेतु लोक निर्माण विभाग द्वारा उपलब्ध कराये गये विस्तृत आगणन 53973.60 लाख रुपये (पांच अरब उन्तालिस करोड़ तिहत्तर लाख साठ हजार रुपये मात्र) के सापेक्ष व्यय वित्त समिति द्वारा आहूत बैठक दिनांक 09 फरवरी, 2024 के कार्यवृत्त में अनुमोदित/आकलित लागत 43460.60 लाख रुपये (चार अरब चौंतीस करोड़ साठ लाख साठ हजार रुपये मात्र) के निर्माण कार्य प्रारम्भ किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
प्रदेश में राज्य सहायतित 04 कृषि विश्वविद्यालय यथा-चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर, आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय अयोध्या, बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय बांदा एवं सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय मेरठ तथा एक निजी क्षेत्र का सैम हिग्गिनबॉटम कृषि, प्रौद्योगिक एवं विज्ञान विश्वविद्यालय प्रयागराज स्थापित हैं।
इन कृषि विश्वविद्यालयों के अतिरिक्त प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में कृषि गतिविधियों में वैज्ञानिकता बढ़ाये जाने की आवश्यकता के दृष्टिगत राज्य सहायतित जनपद कुशीनगर में महात्मा बुद्ध कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय की स्थापना का निर्णय लिया गया है। जनपद कुशीनगर में महात्मा बुद्ध कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय की स्थापना विशेष रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में कृषि और खाद्य और खाद्य प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से की जा रही है। कृषि शिक्षा और अनुसंधान के ऐसे सुविधा केन्द्र से पूर्वी उत्तर प्रदेश के छात्रों और किसानों को लाभ होगा और कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में प्रगति से कृषि फसलों और उत्पादों के उत्पादन और गुणवत्ता में भी वृद्धि होगी।
महात्मा बुद्ध कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुशीनगर के क्षेत्रान्तर्गत गोरखपुर, बस्ती एवं आजमगढ़ मण्डल के जनपद-गोरखपुर, महराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, आजमगढ़, बलिया तथा मऊ शामिल हैं।
जनपद कुशीनगर में महात्मा बुद्ध कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुशीनगर स्थापित किये जाने हेतु चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 के आय-व्ययक में 50 करोड़ रुपये का बजट प्राविधान है। प्रश्नगत परियोजना में प्रशासनिक भवन, छात्रावास, शोध हेतु प्रयोगशाला तथा अन्य अवस्थापनाओं पर न्यूनतम 750 करोड़ रुपये का व्ययभार अनुमानित है। इस हेतु वित्तीय वर्ष 2024-25 में 100 करोड़ रुपये का बजट प्राविधान निर्माण कार्य हेतु किया गया है।
जनपद कुशीनगर में महात्मा बुद्ध कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय की परियोजना के निर्माण कार्य को वित्त विभाग के शासनादेश दिनांक 07 अक्टूबर, 2022 की व्यवस्था के अनुरूप ई0पी0सी0 मोड पर कराया जा रहा है। विश्वविद्यालय की आवश्यकता के अनुरूप डी0पी0आर0 गठन किये जाने हेतु नियमानुसार निविदा प्रक्रिया का पालन करते हुए दिनांक 26 अक्टूबर, 2023 को परामर्शी चयन की निविदा खोली गयी तथा नियमानुसार अर्ह परामर्शी (आर्च-इन-डिजाइन) का चयन किया गया। परामर्शी द्वारा उपलब्ध कराये गये डी0पी0आर0 को व्यय वित्त समिति (ई0एफ0सी0) की बैठक दिनांक 09 फरवरी, 2024 द्वारा 434.60 करोड़ रुपये की लागत पर अनुमोदन प्रदान किया गया। परियोजना का निर्माण दो चरणों में किया जाना है। इसके प्रथम चरण की अवधि 18 माह रखे जाने का निर्णय लिया गया है।
-------
डिपो स्टेशन से एम0एम0टी0एच0 बोडाकी साइट तक एक्वा लाइन मेट्रो
कॉरिडोर के विस्तार की परियोजना का डी0पी0आर0 अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने डिपो स्टेशन से एम0एम0टी0एच0 बोडाकी साइट तक एक्वा लाइन मेट्रो कॉरिडोर के विस्तार की परियोजना के डी0पी0आर0 (लम्बाई 2.6 किलोमीटर, अनुमानित लागत 416.34 करोड़ रुपये) को अनुमोदित कर दिया है। साथ ही, मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा परियोजना के 20 प्रतिशत भाग के वित्त पोषण हेतु इस मद में लेखा शीर्षक आवंटित कराते हुए बजट का प्राविधान कराने तथा राज्य मंत्रिपरिषद के अनुमोदनोपरान्त प्रस्ताव को भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार उनकी मंजूरी और वित्त पोषण के लिए भारत सरकार को भेजे जाने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति प्रदान कर दी है।
उल्लेखनीय है कि इस परियोजना का 20 प्रतिशत वित्त पोषण भारत सरकार, 20 प्रतिशत वित्त पोषण उत्तर प्रदेश सरकार तथा 60 प्रतिशत वित्त पोषण अनुदान/ऋण/वाह्य निधि द्वारा किया जाना प्रस्तावित है। परियोजना परिवहन अवस्थापना को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने तथा विभिन्न परिवहन माध्यमों में निर्बाध कनेक्टिविटी में सहयोग प्रदान करेगी। परियोजना से क्षेत्र का विकास होगा। साथ ही, रोजगार के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष अवसर भी सृजित होंगे।
-------
अन्तरराष्ट्रीय फिल्म सिटी के निर्माण के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने अन्तरराष्ट्रीय फिल्म सिटी (फेज-1) परियोजना की अनुमानित लागत 1510 करोड़ रुपये होने के दृष्टिगत गाइडलाइन्स-2016 के प्राविधान प्रस्तर
2.2 (सी) एवं कमेटी ऑफ सेक्रेटरीज की बैठक दिनांक 05 फरवरी, 2024 में की गयी संस्तुति के अनुक्रम में अन्तरराष्ट्रीय फिल्म सिटी (फेज-1) के निर्माण हेतु उच्चतम (एच-1) बिडर (Bayview Projects LLP (a consortium of Bayview project LLP as lead member with Consortium Member No-1. Parmesh Construction Company Ltd and Consortium Member No-2. Noida Cyber Park Pvt.Ltd.) को 18 प्रतिशत ग्रॉस रेवेन्यू शेयर की बिड वैल्यू के आधार पर चयनित किये जाने और इस हेतु लेटर ऑफ एवार्ड (LoA) यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि पी0पी0पी0 बिड इवैल्युएशन कमेटी की बैठक दिनांक 30 जनवरी, 2024 में की गयी संस्तुति के अनुसार कमेटी ऑफ सेकेटरीज की बैठक दिनांक 05 फरवरी, 2024 में अन्तरराष्ट्रीय फिल्म सिटी (फेज-1) के निर्माण हेतु उच्चतम (H1) बिडर (Bayview Projects LLP (a consortium of Bayview project LLP as lead member with Consortium Member No-1. Parmesh Construction Company Ltd and Consortium Member No-2. Noida Cyber Park Pvt.Ltd.) को 18 प्रतिशत ग्रॉस रेवेन्यू शेयर की बिड वैल्यू के आधार पर चयनित किये जाने हेतु Guideline for selection of Consultants & Developers for PPP Project in Uttar Pradesh-2016 (यथा संशोधित) के अध्याय-2 (दि अप्रूवल फ्रेमवर्क) के प्रस्तर-2.2(सी) के प्राविधानों के अनुसार मंत्रिपरिषद का अनुमोदन प्राप्त किये जाने की संस्तुति प्रदान की गयी थी।
अन्तरराष्ट्रीय फिल्म सिटी हेतु आवश्यक घटकों को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश में यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र के सेक्टर-21 में अन्तरराष्ट्रीय फिल्म सिटी की स्थापना हेतु 1,000 एकड़ भूमि चिन्हित की गयी है, जो नोएडा इण्टरनेशनल एयरपोर्ट, जेवर, गौतमबुद्धनगर के सन्निकट है।
प्रथम चरण में 230 एकड़ भूमि में अन्तरराष्ट्रीय फिल्म सिटी परियोजना पी0पी0पी0 मोड पर Guideline for selection of Consultants & Developers for PPP Project in Uttar Pradesh-2016 का पालन करते हुए प्राइवेट डेवलपर/कंसेशनायर के माध्यम से विकसित की जानी है।
इस हेतु मंत्रिपरिषद द्वारा Bid Document (RFP-cum RFQ & Concession Agreement) का अनुमोदन दिनांक 29 सितम्बर, 2023 को प्रदान किया गया। अन्तरराष्ट्रीय फिल्म सिटी (फेज-1) के निर्माण हेतु दिनांक 30 सितम्बर, 2023 ग्लोबल ई-टेंडर आमंत्रित किया गया, जिसमें 04 कम्पनियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। इन चारों कम्पनियों को तकनीकी दृष्टि से अर्ह पाते हुए वित्तीय निविदा खोले जाने का निर्णय लिया गया।
-------
जनपद लखनऊ में आउटर रिंग रोड के रैथा अण्डरपास से पी0एम0 मित्र पार्क तक 04-लेन सड़क निर्माण तथा आई0आई0एम0 लखनऊ से आउटर रिंग रोड रैथा अण्डरपास मार्ग का 02-लेन चौड़ीकरण व सुदृढ़ीकरण के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने जनपद लखनऊ में आउटर रिंग रोड के रैथा अण्डरपास से पी0एम0 मित्र पार्क (टेक्सटाइल पार्क) तक 04-लेन सड़क निर्माण (14.280 किलोमीटर) तथा आई0आई0एम0 लखनऊ से आउटर रिंग रोड रैथा अण्डरपास मार्ग (लम्बाई 8.400 किलोमीटर) का 02-लेन चौड़ाई में चौड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण कार्य हेतु निर्धारित मानकों के अनुसार पी0सी0यू0 में शिथिलीकरण प्रदान करते हुए सम्पूर्ण परियोजना एवं इस कार्य की व्यय वित्त समिति द्वारा अनुमोदित लागत 40939.74 लाख रुपये (चार अरब नौ करोड़ उन्तालिस लाख चौहत्तर हजार रुपये मात्र) के व्यय प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि इस परियोजना की प्रस्तावित लागत 41986.20 लाख रुपये के सापेक्ष प्रायोजना रचना एवं मूल्यांकन प्रभाग द्वारा लागत 40939.74 लाख रुपये आंकलित करते हुए व्यय-वित्त समिति की बैठक दिनांक 23 फरवरी, 2024 में इस शर्त के साथ अनुमोदित किया गया कि प्रायोजना की लागत 200 करोड़ रुपये से अधिक है। इसलिए प्रशासकीय विभाग द्वारा नियमानुसार प्रकरण पर मंत्रिपरिषद का अनुमोदन प्राप्त कर अग्रतर कार्यवाही की जाए। प्रायोजना की व्यय वित्त समिति द्वारा अनुमोदित लागत 40939.74 लाख रुपये में मार्ग निर्माण हेतु भूमि अधिग्रहण के लिए धनराशि 12298 लाख रुपये, यू0पी0पी0सी0एल0 के कार्यों हेतु 175 लाख रुपये तथा वन विभाग द्वारा क्रियान्वित किये जाने वाले कार्यों हेतु 600 लाख रुपये सम्मिलित हैं।
यह मार्ग आउटर रिंग रोड से पी0एम0 मेगा एकीकृत वस्त्र क्षेत्र और परिधान पार्क योजना के अन्तर्गत प्रस्तावित टेक्सटाइल पार्क लखनऊ को देश व प्रदेश के अन्य नगरों के जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग व लखनऊ शहर से सीधा जुड़ जायेगा, जिससे लखनऊ शहर से पी0एम0 मित्र पार्क का आवागमन सुगम हो जायेगा। प्रायोजना में पी0एम0 मित्र पार्क से आउटर रिंग रोड के रैथा अण्डरपास तक 14.280 किलोमीटर 04-लेन मार्ग का नव निर्माण, रैथा अण्डरपास का एन0एच0ए0आई0 द्वारा चौड़ीकरण, रैथा अण्डर पास से आई0आई0एम0 तक 8.400 किलोमीटर, 2-लेन मार्ग का चौड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण, आउटर रिंग रोड तथा टेक्सटाइल पार्क के मध्य गोमती नदी पर 208 र0मी0 दीर्घ सेतु अर्थात कुल 04 निर्माण कार्य सम्मिलित किये गये हैं।
प्रश्नगत परियोजना की स्वीकृति उपरान्त कार्य 12 माह में पूर्ण कराया जाना प्रस्तावित है। इस मार्ग से प्रस्तावित टेक्सटाइल पार्क लखनऊ, आउटर रिंग रोड के माध्यम से लखनऊ शहर तथा देश व प्रदेश के अन्य नगरों तक जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्गां से सीधा जुड़ जायेगा।
-------
महानिदेशक, आयुष का पद सृजित करने के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने आयुष विभाग के अन्तर्गत तीनों निदेशालय एवं दोनों बोर्डां व उनके अधीन कार्यरत अधिकारियों/कर्मचारियों पर कार्यकारी, प्रशासनिक एवं वित्तीय नियंत्रण (जो शासन द्वारा समय-समय पर प्रतिनिधानित किये जाएंगे) तथा आयुष विभाग में संचालित महत्वपूर्ण योजनाओं के त्वरित गति से क्रियान्वयन, चिकित्सा के स्तर में गुणात्मक सुधार एवं चिकित्सकों की दक्षता वृद्धि हेतु महानिदेशक, आयुष (डी0जी0ए0) का पद सृजित करते हुए, इस पद पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के सचिव स्तर के अधिकारी तैनात किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। महानिदेशक, आयुष (डी0जी0ए0) के वेतनमान के सापेक्ष अनुमन्य वेतन/भत्तों हेतु आय-व्ययक की व्यवस्था आयुष विभाग के मानक मदों के अन्तर्गत की जाएगी।
मंत्रिपरिषद ने भविष्य में मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदित महानिदेशक, आयुष (डी0जी0ए0) सम्बन्धी पद सृजन, अधिकार एवं कर्तव्य आदि के निर्णय के परिप्रेक्ष्य में किसी प्रकार के तकनीकी संशोधन हेतु मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के आयुष विभाग के अन्तर्गत सम्प्रति कुल तीन निदेशालय-आयुर्वेद, यूनानी व होम्योपैथिक तथा दो बोर्ड-उत्तर प्रदेश आयुर्वेदिक, यूनानी एवं तिब्बी चिकित्सा पद्धति बोर्ड व उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड कार्यरत हैं। महानिदेशक, आयुष (डी0जी0ए0) शासन एवं आयुष विभाग के समक्ष निदेशालय/बोर्ड के मध्य सेतु का कार्य, कार्यकारी एवं प्रशासकीय नियंत्रण रखते हुए इन सभी के मध्य बेहतर समन्वय स्थापित करेंगे। इससे योजनाओं व कार्यां का बेहतर क्रियान्वयन होगा, जिससे जनता को सीधा लाभ मिलेगा।
-------
‘उ0प्र0 मातृभूमि अर्पण योजना’ के क्रियान्वयन के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने ‘उत्तर प्रदेश मातृभूमि अर्पण योजना’ के क्रियान्वयन के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। प्रस्ताव के तहत नया व्यय हेड प्राप्त करने, सरकारी संस्था/आउटसोर्स की सेवा प्राप्त करने, पी0एम0यू0 स्थापित करने, बैंक अकाउंट खोलने, प्रशासनिक खर्च एवं प्रचार-प्रसार के लिए व्यय आदि के लिए सरकार की स्वीकृत प्राप्त की जानी है। साथ ही, इसके लिए बजट में अलग से प्राविधान करने होंगे और उसकी सैद्धान्तिक एवं प्रशासनिक स्वीकृति भी प्राप्त करनी होगी।
उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में लोग देश के विभिन्न शहरों में व विदेशों में कार्यरत हैं। देश के विभिन्न नगरों में निवासरत एवं देश से बाहर गए सुविधा सम्पन्न लोग अपने नगर के विकास में अपना योगदान देना चाहते हैं, लेकिन कोई व्यवस्थित प्लेटफॉर्म उपलब्ध न होने की वजह से वांछित स्तर का सहयोग व योगदान प्रदान नहीं कर पा रहे हैं।
यदि कोई व्यक्ति, निजी संस्था किसी नगरीय निकाय में विकास कार्य, अवस्थापना सुविधा का विकास के कार्यों को कराना चाहते हैं/करना चाहते हैं, और कार्य की लागत का 60 प्रतिशत की धनराशि वहन करने के इच्छुक हैं तो शेष 40 प्रतिशत धनराशि की व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा की जाएगी। राज्य सरकार द्वारा निर्धारित आकार व प्रकार का शिलापट्ट/प्लेट सहयोग करने वाले व्यक्ति/संस्था के प्रस्तावानुसार उस भवन अथवा अवस्थापना सुविधा के ऊपर यथोचित स्थान पर प्रदर्शित किया जाएगा।
निर्माण कार्यों में से कोई भी कार्य यदि कोई सरकारी या प्राइवेट कम्पनी करवाना चाहती है तो ऐसे कार्यों के लिए सरकारी सार्वजनिक उद्यम/निजी औद्योगिक इकाइयां, कार्य की कुल लागत का 60 प्रतिशत राशि स्वयं और शेष 40 प्रतिशत राशि उस कम्पनी के सी0एस0आर0 के माध्यम से सरकारी अनुदान में दे सकती हैं। अर्थात इस योजना के तहत कोई भी सरकारी या प्राइवेट कम्पनी अपने सी0एस0आर0 में से 40 प्रतिशत इन कार्यों के लिए दे सकेगी, जिसे सरकारी अनुदान के तौर पर माना जाएगा।
नगरीय निकायों में कार्य करने के लिए एक वृहद कार्य क्षेत्र मिला हुआ है। यह भी ज्ञात है कि इन समस्त कार्य क्षेत्रों में प्रभावी विकास करने के लिए और आवश्यक अवस्थापना सुविधाओं के सृजन के लिए अगर शासकीय धन व योजनाओं के साथ-साथ निजी सहभागिता को बढ़ाया जाए तो कार्य में तेजी आ सकती है। कार्य तेज गति से होने के साथ-साथ उसमें गुणात्मक सुधार और नए तकनीकी व विचार का समावेश भी हो सकता है। निजी निवेश, तकनीकी सहयोग एवं सुपरविजन उपलब्ध होने से कार्यों की गुणवत्ता में बढ़ोत्तरी होगी।
यदि कोई व्यक्ति/निजी संस्था किसी नगरीय निकाय में विकास कार्य, अवस्थापना सुविधा का विकास के कार्यों को कराना चाहते हैं/करना चाहते हैं, तो दानकर्ता के द्वारा सम्बन्धित कार्य के लिए दान की राशि इस योजना के तहत खुलवाए गए Escrow अकाउण्ट में जमा करायी जाएगी। तदोपरान्त दान की राशि जमा करवाने के 30 दिनों के अन्दर सम्बन्धित कार्य की प्रशासनिक स्वीकृति की कार्यवाही सबन्धित जनपद के जिलाधिकारी द्वारा सम्पन्न कराई जाएगी एवं कार्य की प्रगति की रिपोर्ट शासन को उपलब्ध करायी जायेगी।
योजना के तहत होने वाले कार्यो की पुनरावृत्ति किसी अन्य योजना के माध्यम से न हो, यह तकनीकी के प्रयोग (Geo-taggingआदि से) द्वारा सुनिश्चित किया जाएगा।
इस योजना के सुचारु क्रियान्वयन हेतु व्यापक स्तर पर पूरे देश एवं विदेशों में भी व्यापक प्रचार-प्रसार किया जायेगा। इसके लिए विभिन्न देशों में स्थित भारतीय दूतावासों का सहयोग लिया जायेगा तथा जिलाधिकारियों के माध्यम से उनके जनपद के देश के विभिन्न प्रदेशों एवं विदेश में रहने वाले लोगों को पत्र भेजकर इस योजना के सम्बन्ध में जानकारी उपलब्ध करायी जायेगी। 26 जनवरी, 15 अगस्त एवं 02 अक्टूबर को आयोजित किये जाने वाले कार्यक्रमों तथा अन्य सरकारी कार्यक्रमों में ऐसे लोगों को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जायेगा। इस योजना के प्रचार प्रसार हेतु अन्य विकल्पों पर भी कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी।
---------