नई दिल्ली : (मानवी मीडिया) जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में हजारों पेड़ काटने और भ्रष्टाचार से जुड़े मामले की सुनवाई आज सुप्रीम कोर्ट में हुई। इस दाैरान शीर्ष अदालत ने हैरानी जताते हुए कहा कि वह पूर्व मंत्री रावत और डीएफओ के दुस्साहस से आश्चर्यचकित हैं। अदालत खुद मामले में सीबीआई जांच की निगरानी करेगी। इसके साथ ही कोर्ट ने सीबीआई को 3 महीने में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने बाघ संरक्षण के लिए कई निर्देश जारी करते हुए कोर क्षेत्र में सफारी पर रोक लगा दी है. हालांकि परिधीय और बफर क्षेत्रों में इसकी अनुमति दी गई है। न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने फटकार लगाते हुए कहा कि राजनेताओं और वन अधिकारियों के बीच सांठगांठ के चलते पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है। राज्य प्रशासन और राजनेताओं ने सार्वजनिक विश्वास के सिद्धांत को कूड़ेदान में फेंक दिया है। इसके अलावा, अदालत ने मामले की जांच कर रही सीबीआई से तीन महीने के अंदर स्टेट्स रिपोर्ट देने को कहा। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, ‘अफसरों और नेताओं ने मिलकर जनता के भरोसे को कूड़ेदान में डाल दिया है।’
सर्वोच्च न्यायालय ने महाभारत का उदाहरण देते हुए कहा, ‘बाघों के बिना जंगल खत्म हो गए और अब जंगलों को सभी टाइगर्स को बचाना चाहिए।’ अदालत ने यह भी कहा कि हम टाइगर सफारी की इजाजत दे रहे हैं, लेकिन यह सब हमारे निर्देशों के मुताबिक रहेगा। इस मामले में यह स्पष्ट है कि वन मंत्री ने खुद को कानून से ऊपर समझा और यह दिखाता है कि कैसे मिस्टर किशन चंद ने जनता के भरोसे को हवा में उड़ा दिया। यह सब दिखाता है कि कैसे अफसर और नेता मिलकर कानून को अपने हाथों में लेते हैं।