लखनऊ : (मानवी मीडिया) वायु प्रदूषण का अहम कारक बने फसल अवशेष (पराली) के निस्तारण की कवायद के तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने धान की पराली को बायोकंपोस्ट में बदलने के लिए 17 लाख किसानों को बायो डीकंपोजर उपलब्ध कराने का फैसला किया है। आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि सरकार पराली के प्रबंधन को लेकर बेहद गंभीर है और इसीलिये कंप्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) प्लांट को प्रोत्साहित करने के साथ ही सरकार ने तय किया है कि वह धान की पराली को बायोकपोस्ट में बदलने के लिए 17 लाख किसानों को बायो डीकंपोजर उपलब्ध कराएगी
इस बीच जागरूकता और अन्य अभियान भी जारी रहेंगे। उन्होने कहा कि सीबीजी प्लांट में पराली से ईंधन तैयार हो रहा है और ईंधन बनाने के लिए कच्चे माल के रूप में किसानों से उनकी पराली खरीदी जा रही है।हाल फिलहाल उत्तर प्रदेश में दस सीबीजी प्लांट क्रियाशील हो चुके हैं। आने वाले समय में प्रदेश में इनकी संख्या बढ़कर सौ हो जाएगी।इसी महीने की आठ तारीख को केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी इसकी घोषणा भी कर चुके हैं।
यंत्रीकरण के बढ़ते चलन और श्रमिकों की अनुपलब्धता होने की वजह से अब फसलों की कटाई कंबाइन से ही होती है। खरीफ और रबी की प्रमुख फसल धान और गेहूं की कटाई के बाद अगली फसल की तैयारी के लिए इन फसलों के अवशेष जलाने की प्रथा आम है।इसके कारण खासकर धान की कटाई के बाद मौसम में नमी के कारण यह समस्या कुछ इलाकों में गंभीर हो जाती है।
सरकार इस समस्या का स्थाई हल निकालने के लिए शिद्दत से लगी है।इससे संबंधित योजनाएं जब तक अमल में आएं तब तक के लिए भी सरकार की यह मंशा है कि हर संभव तरीकों से पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण की समस्या को कम किया जाय।इस दिशा में सीबीजी प्लांट एक शानदार विकल्प बनकर सामने आया है।