नई दिल्ली : (मानवी मीडिया) जब भारत शनिवार को अपना लेटेस्ट मौसम उपग्रह लॉन्च करेगा, तो वह एक रॉकेट का उपयोग करेगा जिसे भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी का "शरारती लड़का यानि नॉटी ब्वॉय" नाम दिया गया है. जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) शनिवार शाम 5 बजकर 35 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से इन्सैट-3डीएस उपग्रह के साथ उड़ान भरने वाला है. इसरो के एक पूर्व अध्यक्ष ने इसे "नॉटी ब्वॉय" कहा था. चूंकि, इस रॉकेट ने अपनी 15 उड़ानों में से छह में बेहतर प्रदर्शन नहीं किया है. जीएसएलवी का आखिरी प्रक्षेपण, 29 मई, 2023 को सफल रहा था, लेकिन उससे पहले 12 अगस्त, 2021 को हुआ प्रक्षेपण असफल रहा था नॉटी ब्वॉय की तुलना में जीएसएलवी के मार्क-3 उर्फ 'बाहुबली रॉकेट' ने सात उड़ानें पूरी की हैं और शत-प्रतिशत सफलता का रिकॉर्ड बनाया है. इसरो के वर्कहॉर्स रॉकेट, ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) की सफलता दर भी 95 प्रतिशत है, जिसमें 60 प्रक्षेपणों में केवल तीन विफलताएं हैं. बता दें कि जीएसएलवी एक तीन चरणों वाला रॉकेट है, जिसकी लंबाई 51.7 मीटर है. इसका भार 420 टन है. रॉकेट भारत निर्मित क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग करता है और इसरो कुछ और प्रक्षेपणों के बाद इसे रिटायर करने की योजना बना रहा है.
नई दिल्ली : (मानवी मीडिया) जब भारत शनिवार को अपना लेटेस्ट मौसम उपग्रह लॉन्च करेगा, तो वह एक रॉकेट का उपयोग करेगा जिसे भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी का "शरारती लड़का यानि नॉटी ब्वॉय" नाम दिया गया है. जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) शनिवार शाम 5 बजकर 35 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से इन्सैट-3डीएस उपग्रह के साथ उड़ान भरने वाला है. इसरो के एक पूर्व अध्यक्ष ने इसे "नॉटी ब्वॉय" कहा था. चूंकि, इस रॉकेट ने अपनी 15 उड़ानों में से छह में बेहतर प्रदर्शन नहीं किया है. जीएसएलवी का आखिरी प्रक्षेपण, 29 मई, 2023 को सफल रहा था, लेकिन उससे पहले 12 अगस्त, 2021 को हुआ प्रक्षेपण असफल रहा था नॉटी ब्वॉय की तुलना में जीएसएलवी के मार्क-3 उर्फ 'बाहुबली रॉकेट' ने सात उड़ानें पूरी की हैं और शत-प्रतिशत सफलता का रिकॉर्ड बनाया है. इसरो के वर्कहॉर्स रॉकेट, ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) की सफलता दर भी 95 प्रतिशत है, जिसमें 60 प्रक्षेपणों में केवल तीन विफलताएं हैं. बता दें कि जीएसएलवी एक तीन चरणों वाला रॉकेट है, जिसकी लंबाई 51.7 मीटर है. इसका भार 420 टन है. रॉकेट भारत निर्मित क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग करता है और इसरो कुछ और प्रक्षेपणों के बाद इसे रिटायर करने की योजना बना रहा है.