नई दिल्ली : (मानवी मीडिया) सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है. यह फैसला केंद्र सरकार समेत बड़े-बड़े सियासी दलों के लिए झटका है. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला पांच जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से लिया. हालांकि, एक जज की राय कुछ अलग थी. जस्टिस संजीव खन्ना, जिनका निष्कर्ष भी सीजेआई के फैसले के समान था, जबकि कुछ राय अलग से व्यक्त की गई. जो कि फैसले के आगे के पेज में दी गई है. चुनावी बॉन्ड योजना के मामले पर आया फैसला पेज 1 से 152 तक है. अपने फैसलै के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा— “हम सर्वसम्मति से इस निर्णय पर पहुंचे हैं, कि मेरे फैसले का समर्थन संविधान पीठ के सभी न्यायाधीश (जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा एवं जस्टिस संजीव खन्ना), जिसमें संजीव खन्ना के तर्को में थोड़ा अंतर है, लेकिन निष्कर्ष सबका एक ही है. वो निष्कर्ष है कि चुनावी बॉन्ड योजना सूचना के अधिकार और अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन है सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राजनीतिक दलों के द्वारा फंडिग की जानकारी ना देना उनके उद्देश्य के बिल्कुल विपरीत है. जो योजना लाई गई, वो असंवैधानिक है. बॉन्ड की गोपनीयता बनाए रखना असंवैधानिक है. यह स्कीम सूचना के अधिकार का उल्लंघन है. अब 13 मार्च को पता चलेगा कि किस पार्टी को किसने, कितना चंदा दिया.
नई दिल्ली : (मानवी मीडिया) सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है. यह फैसला केंद्र सरकार समेत बड़े-बड़े सियासी दलों के लिए झटका है. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला पांच जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से लिया. हालांकि, एक जज की राय कुछ अलग थी. जस्टिस संजीव खन्ना, जिनका निष्कर्ष भी सीजेआई के फैसले के समान था, जबकि कुछ राय अलग से व्यक्त की गई. जो कि फैसले के आगे के पेज में दी गई है. चुनावी बॉन्ड योजना के मामले पर आया फैसला पेज 1 से 152 तक है. अपने फैसलै के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा— “हम सर्वसम्मति से इस निर्णय पर पहुंचे हैं, कि मेरे फैसले का समर्थन संविधान पीठ के सभी न्यायाधीश (जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा एवं जस्टिस संजीव खन्ना), जिसमें संजीव खन्ना के तर्को में थोड़ा अंतर है, लेकिन निष्कर्ष सबका एक ही है. वो निष्कर्ष है कि चुनावी बॉन्ड योजना सूचना के अधिकार और अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन है सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राजनीतिक दलों के द्वारा फंडिग की जानकारी ना देना उनके उद्देश्य के बिल्कुल विपरीत है. जो योजना लाई गई, वो असंवैधानिक है. बॉन्ड की गोपनीयता बनाए रखना असंवैधानिक है. यह स्कीम सूचना के अधिकार का उल्लंघन है. अब 13 मार्च को पता चलेगा कि किस पार्टी को किसने, कितना चंदा दिया.