लखनऊ : (मानवी मीडिया) राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आज माँ शाकुम्भरी विश्वविद्यालय, सहारनपुर के जनमंच सभागार में विश्वविद्यालय का प्रथम दीक्षान्त समारोह संपन्न हुआ राज्यपाल ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया । यूनिवर्सिटी के प्रथम दीक्षांत समारोह में कुल 12755 विद्यार्थियों को उपाधियां दी गयी। इसमें 4077 छात्र एवं 8677 छात्राएं शामिल है। विशेष योग्यता वाले विद्यार्थियों को राज्यपाल महोदया द्वारा 06 कुलाधिपति स्वर्ण पदक, 49 कुलपति स्वर्ण पदक एवं एक छात्रा को शत-प्रतिशत अंक के लिए प्रायोजित स्वर्ण पदक दिया गया। इसके साथ ही कार्यक्रम में आंगनबाड़ी केंद्रों को सुसज्जित करने हेतु पांच किट एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय सरकडी शेख, आसनवाली, पुंवारका से दीक्षांत समारोह में आये 30 छात्र-छात्राओं को पठन -पाठन एवं पौष्टिक खाद्य सामग्री तथा 200 पुस्तकें भी दी गयी। दीक्षांत समारोह में प्रदान की गयी सभी 12755 उपाधियों को डिजीलॉकर पोर्टल पर अपलोड कर दिया गया।
इस अवसर पर समारोह को सम्बोधित राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दीक्षांत में उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना की और कहा कि विश्वविद्यालय किसी भी राष्ट्र को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। इनके द्वारा दी गयी शिक्षा-दीक्षा से ही युवा देश की प्रगति में अपना सकारात्मक योगदान देते हैं। विश्वविद्यालय केवल डिग्री देने के केन्द्र न बनते हुए स्थानीय जरूरतों के अनुसार शोध एवं विकास में योगदान दें तथा क्षेत्र की समस्याओं का सरल समाधान उपलब्ध कराएं। इसी क्रम में उन्होंने भारत सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की विशेषता एवं उपयोगिता की चर्चा की। उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री की मंशा है कि भारत के प्रत्येक विद्यार्थी अपने गौरवशाली अतीत से न केवल परिचित हों बल्कि उस ज्ञान से परिपूर्ण होकर विश्व के मार्गदर्शक की भूमिका निभाए।
प्रदेश की उच्च शिक्षा में हुए गुणवत्ता परक सुधारो की चर्चा करते हुए राज्यपाल ने बताया कि हमारे विश्वविद्यालय अब वैश्विक रैंकिंग में प्रवेश कर रहे है।
उत्तर प्रदेश के अनेक विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय विद्यार्थियों को गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान कर रहे है। उन्होंने प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान के अन्तर्गत प्रदेश के विश्वविद्यालयों को इस बार प्राप्त हुए उल्लेखनीय अनुदान के बारे में भी बताया और कहा कि एक बेहतर समाज और देश बनाना ही शिक्षा का सही उद्देश्य है।
राज्यपाल ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय से प्राप्त ज्ञान के द्वारा समस्याओं को हल करने एवं गांव के विकास करने में सहायता मिलेगी। ज्ञान के माध्यम से ही गरीबी को कम करते हुए समृद्धि की ओर बढ़ा जा सकता है।राजयपाल जी बतौर कुलाधिपति दीक्षांत समारोह में संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय, महाविद्यालय, मेडिकल कॉलेज के साथ ही आंगनबाड़ी केन्द्रों पर ध्यान दिया जाए। उन्होने जनप्रतिनिधियों को आवाहन करते हुए कहा कि सभी जनप्रतिनिधि आंगनबाड़ी केन्द्रों में जाएं एवं बच्चों से संवाद स्थापित करते हुए आंगनवाडी कार्यकत्रियों से समस्याओं का संज्ञान लें। उन्होने आंगनवाडी केन्द्रों को मिली किट की एक साल की सर्वे रिपोर्ट यूनिवर्सिटी तैयार कर उपलब्ध कराएगी। उन्होने कहा कि मध्यान्ह भोजन योजना का उद्देश्य बच्चों की नियमित उपस्थिति के साथ ही कुपोषण को समाप्त करना है। इसी के साथ शत-प्रतिशत संस्थागत प्रसव पर भी ध्यान दिया जाए जिससे समय रहते बच्चे की चिकित्सीय जांच हो सके।
मुख्य अतिथि योग गुरू पद्मश्री भारत भूषण ने कहा कि ज्ञानार्जन का अंतिम ध्येय विद्या प्राप्ति है और इसी विद्या प्राप्ति के द्वारा अंधकार से मुक्ति पाई जा सकती है। कुलपति प्रोफेसर एच0एस0सिंह ने कहा कि भविष्य में शासन द्वारा अनुमोदित पाठ्यक्रमों का अध्ययन एवं अध्यापन प्रारम्भ किया जाएगा। उन्होने कहा कि आने वाले समय में ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में शोध कार्यों को गति देने का कार्य किया जाएगा।
इस अवसर पर राज्यमंत्री संसदीय कार्य एवं औद्योगिक विकास जसवंत सैनी, राज्य मंत्री लोक निर्माण विभाग ब्रजेश सिंह, सांसद कैराना प्रदीप चौधरी, विधायक गंगोह किरत सिंह, विधायक रामपुर मनिहारान देवेन्द्र निम, महापौर डॉ0 अजय सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष मांगेराम चौधरी, जिलाधिकारी डॉ0 दिनेश चन्द्र, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ0 विपिन ताडा सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण एवं वरिष्ठ अधिकारीगण, कार्य परिषद एवं विद्या परिषद के सदस्यगण, अधिकारी एवं शिक्षक गण तथा विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं एवं उनके अभिभावक भी उपस्थित थे।