लखनऊ : (मानवी मीडिया) विधानसभा सत्र के दौरान कांग्रेस विधानमंडल दल नेता, विधायक आराधना मिश्रा मोना ने प्रदेश की जनता के हित में प्रदेश में इमरजेंसी व्यवस्था के तहत 24 घंटे पोस्टमार्टम की व्यवस्था लागू करने के महत्वपूर्ण जनहित के सवाल को विधानसभा में उठाया और भाजपा सरकार से इस पर शीघ्र शासनादेश लाने का अनुरोध किया, आराधना मिश्रा मोना ने भाजपा सरकार पर बजट खर्च नही कर पाने का आरोप लगाते हुए प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार की नियत को ईमानदार करने की नसीहत दी, साथ ही, पत्रकारों की निधि को भी बढ़ाने के मुद्दे को उठाया, और तदर्थ शिक्षकों की सेवाएं समाप्त करने के मुद्दे को उठाया और उनकी सेवाएं बहाल करने की मांग की प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने जानकारी देते हुए बताया कि विधानसभा सत्र के दौरान कांग्रेस विधानमण्डल नेता आराधना मिश्रा मोना ने प्रदेशवासियों के जनहित में बहुत ही महत्तवपूर्ण पोस्टमार्टम के सेवाओं को इमरजेंसी कार्य के तहत 24 घंटे कराए जाने संबंधी शासनादेश भाजपा सरकार से लाने का अनुरोध किया, आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि प्रदेश में लगातार दुर्घटनाएं बढ़ने से शवों के पोस्टमार्टम के लिए लंबी कतारें लग रही हैं, जिसकी वजह से पीड़ित और दुखी परिवार को पोस्टमॉर्टम के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है, कभी - कभी पोस्टमॉर्टम की देरी से जनाक्रोश को संभालने में प्रशासन परेशान हो जाता है, अभी पोस्टमार्टम के लिए जो व्यवस्था है वह सुबह 11:00 बजे से सांय 5:00 बजे तक है , यह इंतजाम तब किए गए थे जब लाइट की समस्या थी अब संसाधनों की उपलब्धता है तो ऐसे में जैसे सभी अन्य इमरजेंसी स्वास्थ्य सेवाएं चल रही हैं उसी तरीके से पोस्टमार्टम सेवा को भी 24 घंटे चलाया जाए , जिससे पीड़ित- दुखी परिवारों को शीघ्र और समय से उनके परिजनों के शव मिल सके,
आराधना मिश्रा मोना ने प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के द्वारा बजट कि धनराशि बढ़ाए जाने पर घेरते हुए कहा कि सरकार ने इस बार 736443 करोड़ का बजट प्रस्तुत कर उसे ऐतिहासिक होने का दावा भी कर दिया, पिछला बजट भी सप्लीमेंट्री मिलाकर 690000 करोड़ का था, बजट बढ़ा देना सफलता की निशानी नहीं होती उसके लिए सरकार की बजट खर्च करने की ईमानदार नियत भी होनी चाहिए, पिछले बजट में प्रदेश के विकास के लिए महत्वपूर्ण और जरूरी विभाग जिनमें प्रमुख रूप से सिंचाई, जलापूर्ति, सड़क, परिवहन, स्वास्थ्य जैसे विभाग शामिल हैं, जो आवंटित बजट का 40 प्रतिशत भी खर्च नही कर पाए तो इस बजट की संख्या बढ़ाने का क्या मतलब और फायदा होगा, जब पिछली योजनाओं में बजट खर्च नही कर पाए तो इस बार आकार बढ़ाने की क्या आवश्यकता आ गईं इस बार कौन सी नई योजना लाए जिसके लिए बजट बढ़ाना पड़ा,