नई दिल्ली : (मानवी मीडिया) देश की शीर्ष अदालत ने जनहित याचिका (पीआईएल) में मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए तटस्थ और स्वतंत्र चयन समिति का गठन करते हुए चयन की स्वतंत्र और पारदर्शी प्रणाली लागू करने के लिए भारत संघ को निर्देश देने की मांग की गई।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा दायर याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया। इसके साथ ही मामले को अप्रैल में सुनवाई के लिए अन्य दूसरी लंबित याचिकाओं के साथ सूचीबद्ध कर दिया।
याचिका में मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) अधिनियम, 2023 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। एनजीओ की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि यह कानून शीर्ष अदालत की संविधान पीठ के उस फैसले के विपरीत है, जिसने निर्देश दिया था कि सीजेआई उस समिति का हिस्सा होंगे, जो सीईसी और ईसी की नियुक्ति करेगा।
उन्होंने कहा कि दो चुनाव आयुक्त सेवानिवृत्त होने वाले हैं और यदि कानून के क्रियान्वयन पर रोक नहीं लगाई गई, तो याचिका निरर्थक हो जाएगी। जब भूषण ने कानून के क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगाने पर जोर दिया, तो पीठ ने कहा, ‘‘माफ करें, हम आपको इस मामले में अंतरिम राहत नहीं दे सकते। संवैधानिक वैधता का मामला कभी भी निरर्थक नहीं होता। हम अंतरिम राहत देने के अपने मानकों को जानते हैं।’’