लखनऊ : (मानवी मीडिया) सोशलिस्ट किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव राजीव यादव ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को ट्रैक्टर ट्रॉली से जा रहे किसानों से दिक्कत है पर पूरे देश में बुलडोजर राज के नाम पर चुनाव में बुलडोजर के प्रचार से कोई दिक्कत नहीं होती. देश के किसान उनके प्रदेश से होकर दिल्ली जा रहे थे उन्हें तो उनका स्वागत करना चाहिए था पर उन्होंने रोड, नदी सब जगह गड्ढे खोद दिए. खट्टर साहब को जानना चाहिए कि यह देश का अन्नदाता है ऐसे पहाड़-पठार को अपनी मेहनत से खेत बना दिए हैं
यह भी जानना चाहिए कि इस देश के किसानों के पास कोई लक्जरी गाड़ी नहीं है ट्रैक्टर ही है और वे यह भी जानते हैं कि हमारी सरकारें उनपर गोली चला सकती हैं पर रोटी नहीं खिला सकती. पंजाब का किसान दिल्ली को निकला है, इस वक्त गेहूं की फसलें कटने की बाट जोह रही हैं, अगर उसको नुकसान होगा तो उसके बाल-बच्चे ही नहीं सिर्फ भूखे सोएंगे बल्कि देश को एक बड़ा खाद्य नुकसान होगा. कुछ सरकारी अर्थशास्त्री कह रहे हैं कि किसानों की बात मांग लेने से देश पर बड़ा भार पड़ेगा उनको जानना चाहिए कि आज भी कृषि सबसे बड़ा रोजगार का क्षेत्र है. भार तो उन कॉरपोरेट की वजह से पड़ रहा है जो मनमानी तरीके से एमआरपी तय करते हैं और किसान की एमएसपी की मांग को अपराध घोषित किया जा रहा है.
किसान नेता राजीव यादव ने कहा कि अपनी मांगों को लेकर दिल्ली जा रहे किसानों के ऊपर हो रहे दमन को देखकर ऐसा लग रहा कि किसान जैसे देश के नागरिक हैं ही नहीं. लोकतंत्र नागरिक को विरोध करने का अधिकार देता है. यह बात जिस सरकार को नहीं मालूम तो उसे सरकार में बने रहने का कोई हक नहीं. पिछले किसान आंदोलन से लेकर अभी चल रहे किसान आंदोलन के दौरान जो पुलिसिया सरकारी बॉर्डर बनाए जा रहे उससे देश कमजोर होगा. किसान नेताओं ने आरोप लगाया है कि आंसू गैस, रबर की गोलियां ही नहीं बुलेट भी चली हैं, जिसको प्रेस के सामने भी दिखाया गया.
वार्ता के दौरान किसान नेताओं पर ड्रोन से कार्रवाई बताती है कि सरकार मामले को सुलझाने के बजाए उलझाना चाहती है. किसानों के दिल्ली कूच को रोकने के लिए अर्धसैनिक बलों का प्रयोग साफ करता है कि सरकार किसानों के साथ दुश्मन जैसा व्यवहार कर रही है. सरकार के इसी रवैए ने न सिर्फ किसानों में असंतोष पैदा किया बल्कि व्यापक प्रतिरोध को मजबूत किया है. बोल्डर, कीलें, ड्रोन सब सरकार ने लगा लिए पिछली बार भी लगाया था पर किसानों को रोक नहीं पाए. सरकार को यह भी जानना चाहिए कि जय जवान, जय किसान सिर्फ नारा नहीं इस देश की रगों में दौड़ता है.