नई दिल्ली : (मानवी मीडिया) उपमुख्यमंत्री के पद को असंवैधानिक बताते हुए उसे खारिज करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अहम फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि यह पद संविधान में तो नहीं है, लेकिन इससे किसी नियम का उल्लंघन भी नहीं होता है। इस तरह अदालत ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें डिप्टी सीएम के पद को खत्म करने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि उपमुख्यमंत्री का पद संविधान में नहीं लिखा है। चीफ जस्टिस ने इस पर कहा कि उपमुख्यमंत्री भी मंत्री ही होता है। पद को कोई नाम दे देने से संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन नहीं होता। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि उपमुख्यमंत्री का पदनाम संविधान के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता है। जनहित याचिका (PIL) में कहा गया था कि संविधान में कोई प्रावधान नहीं होने के बावजूद विभिन्न राज्य सरकारों ने उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति की है। संविधान के अनुच्छेद 164 में केवल मुख्यमंत्रियों की नियुक्ति का प्रविधान है।
नई दिल्ली : (मानवी मीडिया) उपमुख्यमंत्री के पद को असंवैधानिक बताते हुए उसे खारिज करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अहम फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि यह पद संविधान में तो नहीं है, लेकिन इससे किसी नियम का उल्लंघन भी नहीं होता है। इस तरह अदालत ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें डिप्टी सीएम के पद को खत्म करने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि उपमुख्यमंत्री का पद संविधान में नहीं लिखा है। चीफ जस्टिस ने इस पर कहा कि उपमुख्यमंत्री भी मंत्री ही होता है। पद को कोई नाम दे देने से संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन नहीं होता। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि उपमुख्यमंत्री का पदनाम संविधान के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता है। जनहित याचिका (PIL) में कहा गया था कि संविधान में कोई प्रावधान नहीं होने के बावजूद विभिन्न राज्य सरकारों ने उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति की है। संविधान के अनुच्छेद 164 में केवल मुख्यमंत्रियों की नियुक्ति का प्रविधान है।