नई दिल्ली (मानवी मीडिया)5 लाख रु. की रिश्वत मांगने एवं स्वीकार करने से संबंधित एक मामले में नामित अदालत ने तत्कालीन उप आयुक्त (सीमा शुल्क) सहित चार आरोपियों को 4 वर्ष तक की कारावास के साथ कुल 28 लाख रु. के जुर्माने की सजा सुनाई*
सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश की अदालत, गाज़ियाबाद ने शशि कांत, तत्कालीन उपायुक्त (सीमा शुल्क), आईसीडी, दादरी, गौतम बुद्ध नगर (यूपी) सहित चार आरोपियों को सजा सुनाई है जिसमें शशि कांत, तत्कालीन उपायुक्त (सीमा शुल्क), आईसीडी, दादरी, गौतम बुद्ध नगर (यूपी) को 4 वर्ष की कारावास के साथ 8 लाख रु. का जुर्माना; उनकी पत्नी श्वेता को 2 वर्ष की कारवास के साथ 4 लाख रु. का जुर्माना; नरेंद्र कुमार चुघ, मैसर्स अबान एक्ज़िम प्राइवेट लिमिटेड के तत्कालीन मुख्य प्रोत्साहक (निजी व्यक्ति) को 4 वर्ष की कारावास के साथ 8 लाख रु. का जुर्माना एवं श्री सतीश गुप्ता, (मध्यस्थ व्यक्ति) को 4 वर्ष की कारावास के साथ 8 लाख रु. के जुर्माने की सजा शामिल है। अदालत के द्वारा कुल 28 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया।
सीबीआई ने उक्त आरोपियों यथा शशि कांत, तत्कालीन उप आयुक्त (सीमा शुल्क); नरेन्द्र कुमार चुग एवं सतीश गुप्ता (मध्यस्थ व्यक्ति) तथा अन्य अज्ञात व्यक्तियों के विरुद्ध दिनाँक 29.11.2013 को तत्काल मामला दर्ज किया था। यह आरोप था कि श्री नरेंद्र कुमार चुग ने आईसीडी, दादरी, गौतम बुद्ध नगर, यूपी में सीमा शुल्क विभाग द्वारा जब्त की गई अपनी कंपनी के टायरों की खेप को जारी करने हेतु मध्यस्थ व्यक्ति सतीश गुप्ता से संपर्क किया। यह भी आरोप था कि सतीश गुप्ता ने कंपनी की जब्त की गई खेप को पक्ष लेते हुए निर्गत करने हेतु मंजूरी दिलाने के लिए शशिकांत, तत्कालीन उपायुक्त (सीमा शुल्क), आईसीडी दादरी से संपर्क किया। इस क्रम में आगे, शशि कांत ने पक्षपात करने के लिए कथित मध्यस्थ व्यक्ति सतीश गुप्ता के माध्यम से नरेंद्र कुमार चुघ से 5 लाख रु. की रिश्वत की मांग की।
सीबीआई ने जाल बिछाया एवं नरेंद्र कुमार चुघ को उक्त लोक सेवक की ओर से सुश्री श्वेता (पत्नी शशिकांत) को उनके नोएडा स्थित आवास पर दिनाँक 29.11.2013 को रिश्वत के तौर पर 5.00 लाख रु. देते हुए पकड़ लिया। .
आरोपियों के आवासीय एवं कार्यालयी परिसरों में तलाशी ली गई। आरोपी शशि कांत, नरेंद्र कुमार चुग एवं सतीश गुप्ता को दिनाँक 30.11.2013 को गिरफ्तार किया गया तथा बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया।
जांच के दौरान, आरोपी व्यक्तियों के विरुद्ध साक्ष्य/प्रमाण एकत्र किए गए एवं मामले में दिनाँक 29.01.2014 को आरोप पत्र दायर किया गया। विचारण के दौरान, सीबीआई ने अदालत के समक्ष कई दस्तावेजों के साथ अभियोजन पक्ष के 31 गवाहों का हवाला दिया।
विचारण के पश्चात, अदालत ने आरोपियों को कसूरवार पाया एवं उन्हें तदनुसार सजा सुनाई।