लखनऊ : (मानवी मीडिया) उत्तर प्रदेश सरकार भले ही ज़ीरो टोलरेन्स की नीति पर काम कर रही हो लेकिन सरकार के अधीनस्त अधिकारी ही सरकार की साख पर बट्टा लगा रहे है. ताज़ा मामला व्यावसायिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत प्रशिक्षण एवं सेवायोजन निदेशालय द्वारा जनरेटर की टेंडर से जुड़ा हुआ है. प्रदेश के व्यावसायिक शिक्षा निदेशालय द्वारा जनरेटर खरीद के नियमों को ताक पर रख कर टेंडर निकाला गया. बताया जाता है कि अपने चहेते को टेंडर देने के नाम पर निदेशक कुणाल सिल्कू ने न सिर्फ टेंडर नियमों को ताक पर रखा, बल्कि तय अवधि से एक सप्ताह पहले ही टेंडर को खोल भी दिया गया.
इसके साथ ही जिस अतुल कुमार गुप्ता की डिजिटल कार्न कंपनी को एल -1 के तहत चयनित किया गया है वो वेब डेवेलपमेंट यानि कि कंप्यूटराइजेशन का कार्य करती है. सबसे हैरानी की बात यह है कि जिस डिजिटल कार्न कंपनी को काम मिला है उसने अपना लखनऊ का पता सरकारी दफ्तर को ही दिखाया है, पंचम तल, नई बिल्डिंग, गुरू गोविंद सिंह मार्ग, निकट लालकुआं लखनऊ के सरकारी पते को निजी पते में कैसे दर्शाया गया ? इस बात की जानकारी न तो विभाग दे रहा है और न ही शासन विभाग में पड़ताल करने पर पता चला कि 30 करोड़ रूo मूल्य के 150 जनरेटर खरीद को लेकर कुल चार कंपनियों ने आवेदन किए थे, जिसमें किर्लोसकर जैसी बड़ी कंपनी भी शामिल थी. हैरानी की एक और बात है कि अन्य कंपनी जो जेनरेटर सप्लाई में L2 और L3 है उसका मेक, ग्रीव्स और मॉडेल GPWII-PIV-160C सब एक ही रखा गया है. जिससे यह साफ ज़ाहिर होता है कि 30 करोड़ रूo मूल्य के टेंडर को सिर्फ एक कंपनी के लिए ही मैनेज किया गया.
मुख्यमंत्री कार्यालय के पत्र पर प्रमुख सचिव व्यावसायिक शिक्षा ने दिये जांच के आदेश जनरेटर खरीद को लेकर टेंडर में हेराफेरी की शिकायत विभाग के प्रमुख सचिव एम देवराज से भी की गयी है. आल इंडिया जेनसेट एसोसिएशन द्वारा टेंडर से जुड़े मामले और टेंडर की गाइलाइन में दुरूस्त करने को लेकर यूनियन ने बीती 9 जनवरी को पत्र भी लिखा, लेकिन विभाग में किसी तरह की कोई सुनवाई नहीं हुई. सरकारी पते को निजी कंपनी में दर्शाने और अपने चहेते को कम देने के साथ ही टेंडर नियमों की अनदेखी के चलते विभाग ने वित्तीय अनियमिताओं को लेकर एक गोपनीय पत्र भी जारी किया है. अब देखना होगा कि टेंडर के इस खेल में कौन - कौन बड़े नाम उजागर होते है.