बेंगलुरू (मानवी मीडिया):कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक विरोध प्रदर्शन के दौरान सड़क अवरुद्ध करने के मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और अन्य कांग्रेस नेताओं पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। कोर्ट ने यह कहा कि लोगों का प्रतिनिधि होने के कारण सड़क अवरुद्ध करने का कार्य स्वीकार नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति कृष्ण एस. दीक्षित की अध्यक्षता वाली पीठ ने विशेष अदालत में मुकदमे की कार्यवाही को रद्द करने की मांग वाली सीएम सिद्धारमैया की याचिका को खारिज कर दिया। पीठ ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को 6 मार्च को जन प्रतिनिधियों के लिए विशेष अदालत के समक्ष उपस्थित होने का भी आदेश दिया।
अदालत ने एआईसीसी महासचिव और कर्नाटक प्रभारी रणदीप सुरजेवाला को 7 मार्च, परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी को 15 मार्च और एमबी पाटिल को 11 मार्च को अदालत में उपस्थित होने के लिए कहा है। सभी नेताओं पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। यह जुर्माना बेंगलुरु के हाई ग्राउंड्स पुलिस स्टेशन से जुड़ी पुलिस सब-इंस्पेक्टर जाहिदा को मामले में घसीटने और उन्हें एक पक्ष बनाने के लिए लगाया गया है।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के वकील ने अपील किए जाने तक आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया। पीठ ने इस पर ध्यान देने से इनकार कर दिया। साथ ही कहा कि यदि जनता के प्रतिनिधि कानून का पालन करेंगे तो लोग भी उनका पालन करेंगे। अगर विरोध प्रदर्शन सड़कों पर किया गया तो लोगों को परेशानी होगी।
पीठ ने कांग्रेस नेताओं को फटकार लगाते हुए कहा कि शहरी जीवन एक यातना है, विरोध प्रदर्शनों ने शहरों में स्थिति को और खराब कर दिया है। इसी कारण से सड़कों को अवरुद्ध करने का कार्य मंजूर नहीं हो सकता है।
हाई ग्राउंड्स पुलिस स्टेशन में 14 अप्रैल 2022 को सीएम सिद्धारमैया और अन्य कांग्रेस नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। कांग्रेस पार्टी ने एक ठेकेदार संतोष पाटिल की आत्महत्या के मामले पर विरोध प्रदर्शन किया था और तत्कालीन मंत्री केएस ईश्वरप्पा के इस्तीफे की मांग की थी।